21.9.24

हे भगवान! तेरे कैसे-कैसे नाम!!!(3)

 मूँछ वाले हनुमान जी 

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वाराणसी 'कचहरी' से 'मकबूल आलम रोड' होते हुए 'चौकाघाट' की तरफ जाते समय 'वरुणा पुल' आता है। इसी पुल से ठीक पहले बाईं तरफ यह मन्दिर है। यहाँ 'मूँछ वाले हनुमान जी' विराजमान हैं।

यह भक्तों का प्रेम है जो अपने भगवान को विभिन्न नामों से पुकारता है। किसी भक्त ने सोचा होगा, 'हनुमान जी ब्रह्मचारी थे तो इसका मतलब यह थोड़ी न है कि उनकी मूंछे नहीं होंगी! आखिर कब तक मूंछे नहीं होंगी? इसी प्रश्न ने ऐसे हनुमान जी की कल्पना की होगी जिनकी मूँछ होंगी। भगवान ने भी भक्त की इच्छा पूर्ण करी और इस रूप में विराजमान हो गए। जय हो, मूँछ वाले हनुमान जी की। 🙏

(यह मेरी भक्त रूप में कल्पना है, इस मन्दिर की स्थापना का मूल कारण पता हो तो कृपया कमेंट कर अवगत कराने का कष्ट करें। 🙏)

https://youtu.be/a2UsYZQ29pc?si=IPftv9A1hO9_k-6h

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