6.9.12

गर्भ का आशय



कभी मंदिर-मस्जिद
कभी आरक्षण पर
चोंच लड़ाते रहिए
वे चैन से
करते रहेंगे गोलमाल

छेड़छाड़, बलात्कार, भ्रूण हत्या के बाद
ताजा समाचार यह
कि वे
लूट लेते हैं  
गर्भाशय भी !

गरीबों के लिए आई योजना
तीस हजार तक के ऑपरेशन का खर्च उठायेगी बीमा कम्पनियाँ
खबर है
लोभियों ने उठाया योजना का भरपूर लाभ
निकाल दिये
हजारों महिलाओं के
गर्भाशय !

हैरानी यह नहीं है कि वे लोभी हैं
दुःख है तो यह
कि वे नहीं जानते
गर्भ का आशय
और राहत यह
कि अभी हैं
ईमानदार अधिकारी।
.............

इस समाचार को पढ़कर ....

बिहार में घात और घपले का सियाह कारनामा

21 comments:

  1. आखिर गिर कर कहाँ पहुँचेगा इंसान का ईमान !

    ReplyDelete
  2. हमारी व्यवस्था न जाने किस हाल में छोड़ेगी ?

    ...अफ़सोसनाक ।

    ReplyDelete
  3. सटीक प्रस्तुति

    ReplyDelete
  4. कमाल की अभिव्यक्ति... कहाँ जा रहे हैं हम.. किडनी से गर्भाशय तक... इतिहास दोहरा रहा है जब एक बार यूं ही पुरुष-नसबंदी का अभियान चलाया था.. और अब ये!!

    ReplyDelete
  5. विज्ञान की पृष्ठभूमि और इस महादेश की जमीनी सच्चायइयों से गहरा परिचय,आपके कवि मन की ताकत है ।

    यह कविता एक संवेदनशील मन की निश्छल अभिव्य्क्तियों से भरी-पूरी है ।

    ReplyDelete
  6. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  7. संवेदनशील अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  8. नीजि अस्पतालों की ये घालमेल नई नहीं है वो तो मरीज से सीधे झूठ बोल गलत आपरेशन कर पैसे वसूल लेते है जिसकी शिकार सबसे ज्यादा महिलाए होती है सबसे जयादा बच्चे के जन्म के समय , अब ये नया तरीका हो गया है , फिर ये तो सरकारी मामला है यहाँ तो उनका सीधा हक़ बनता है सरकारी पैसा देख कर मन ज्यादा ललचता है क्योकि उन्हें लगता है की यहाँ तो आसानी से पैसे बन सकते है | कुछ समय पहले दिल्ली एम्स में भी घपला सामने आया था वहा तो सरकारी डाक्टर ने केन्द्रीय कर्मचारियों का बिना जरुरत ओपन हार्ट सर्जरी धड़ा धड कर डाली थी |

    ReplyDelete
  9. "कुछ कहना है"
    09 August, 2012
    गर्भाशय निक्लाय, पाप पर पुरुष धो रहा
    http://dcgpthravikar.blogspot.in/2012/08/blog-post_9.html

    (1)
    उन्नति पथपर अग्रसर, अब बिहार के लोग |
    जनसँख्या कंट्रोल में, सुन पुरुषों का योग |
    सुन पुरुषों का योग, करोडो खर्च हो रहा |
    गर्भाशय निक्लाय, पाप पर पुरुष धो रहा |
    यह नितीश सरकार, जांच तो व्यर्थ कराये |
    बनता वर्ल्ड रिकार्ड, डाक्टर बड़े मुटाये ||
    (2)
    हुई कहानी सब ख़तम, दफ़न जवानी दोस्त |
    हड्डी कुत्ते चाटते, सिस्टम खाया गोश्त |
    सिस्टम खाया गोश्त, रोस्ट कर कर के नोचा |
    बन जाता जब टोस्ट, होस्ट इक अफसर पोचा |
    आया न आनंद, वही लंदफंदिया बोला |
    करके फ़ाइल बंद, बिना सिग्नेचर डोला ||

    ReplyDelete
  10. उफ़.....क्या क्या होगा इस देश में.....शर्मसार करती घटना ।

    ReplyDelete
  11. पतन यहाँ तक पहुँच गया, ना जाने इसके आगे क्या होगा...?
    संवेदनशील ह्रदय से उपजी गहन अभिव्यक्ति... आभार

    ReplyDelete
  12. main bahut dukhi ho gayi ye jaan kar.

    ReplyDelete
  13. राहत यह कि कभी कभी ठण्डी हवा भी आ जाती है इस उमस और सड़ान्ध के माहौल में!

    ReplyDelete
  14. आशय समझ ही नहीं आता है, न जाने क्या चाहते हैं ये?

    ReplyDelete
  15. सुरुवात की लाइन बहुत अछ्छी बनी है.वो गोलमाल करते रहेंगे और हम-आप चोंच लड़ाते रहेंगे.
    डॉक्टर के बिना गुजारा नहीं चलता,मगर ये लोग कुछ आमदनी के लिये लोगों के अंग भी बिना जरूरत निकाल देते हैं ये बहुत बड़ी दुखदायी परिस्थिति है.न जाने और कितने तरीकों से ये लोग ठगते रहते हैं.अब सामान्य आदमी को शरीर और रोगों के बारे में कोई खास जानकारी नहीं होती.ये लोग टीभी,कम्पूटर बनाने वालों की तरह ठगते रहते हैं.क्या किया जाय ! हम सब मजबूर हैं इनसे ईलाज करवाने के लिये !

    ReplyDelete
  16. हृदय को विचलित करती पंक्तियां।
    यह घृणित करोबार केवल बिहार में ही नहीं, और भी कई राज्यों में पांव पसार चुका है।

    ReplyDelete
  17. बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने... :-)

    ReplyDelete