16.3.25

लोहे का घर (विमोचन)

 एक सफर है जिंदगी तो एक सफर लोहे का घर,

आत्मा बेचैन की पैनी नजर लोहे का घर।

पूरे भारत का यहाँ दर्शन मिलेगा आपको,

भूल न पाएंगे पढ़ कर उम्रभर लोहे का घर।।

.... संतोष प्रीत।

गुदगुदी, उपदेश, ताना-वेदना, लोहे का घर। 

सूक्ष्म-दृष्टि,विवेक-दृष्टि में सना लोहे का घर। 

है गहन संवेदना का घर बना लोहे का घर-

हर कसौटी की कसौटी पर तना लोहे का घर।।

                                सगुन 16/03/2025


"लोहे के घर" पर विशेष 


सुनें जब रेल का नाम याद आतीं है कई बातें।

अपरिचित यात्रियों से नित नए परिचय मुलाकातें।


बैठ खिड़की पर देखें कैसे पीछे भागती धरती। 

नए स्थान पर जाने पहुंचने की खुशी रहती।


खेत खलिहान गांव शहर नदी नालों से होकर।  

हमारे देश की रेलें चलें नित चीरती भूधर।


हरेक धर्म भाषा जाति के हैं इसमें चलते लोग।

करे गंतव्य तक जाने का,इसका हर कोई उपयोग।


हमारी जिंदगी भी  रेलगाड़ी के  सरीखी है।

यहां दिन रात सबने भागते रहने की सीखी है।


सभी का बोझ कंधे पर उठाये हुए चलती है।

जहां भी हो जरूरत, यह पटरियां भी बदलती है।


हजारों यात्रियों के मध्य बैठा एक कवि ऐसा।

देखता है जो सूक्ष्म सीसीटीवी कैमरे जैसा।


कई भावों में डूबकर, हजारों दृश्य को पढ़कर। 

लिखा है "बेचैन आत्मा" ने ये "लोहे का घर"।


उन्हें जैसा दिखा है दृश्य अन्दर और बाहर का। 

यथावत लिख दिया उसमें लगाकर रसों का तड़का।


इस तरह बन गयी "देवेन्द्र पाण्डेयजी" की अद्भुत कृति।

सभी के पठन-पाठन हेतु होती आज लोकार्पित।


"लोहे के घर" में रोचकता है और प्रवाह है अद्भुत।  

बहुत पछताएगा जो इसको पढ़ने से रहेगा च्युत।


आइये पढ़ें "देवेंद्र पांडेयजी" का "लोहे का घर"। 

और फिर निकल चलें भावनात्मक  यात्रा पर।


साहित्याकाश में महकेगी यह ज्यों अंकुरित चन्दन।

प्रकाशक और लेखक युगल का हम करें  अभिनंदन।।

🙏बुद्ध देव तिवारी🙏































































2 comments:

  1. अत्यंत सुंदर प्रस्तुति 👌😊💞
    "लोहे के घर" जैसी अप्रतिम कृति के लिए लेखक "देवेंद्र पांडेयजी" को हार्दिक बधाई एवं अशेष शुभकामनाएं🌹🎉🎊🎁

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