29.7.12

त्रिदेव मंदिर की झांकी



चलिए आज आपको वाराणसी में तुलसी मानस मंदिर और संकट मोचन मंदिर के बीच स्थित त्रिदेव मंदिर के दर्शन कराते हैं। आज रविवार की शाम त्रिदेव मंदिर में सावन के श्रृंगार की अलौकिक झांकी सजाई गई। वृंदावन के फूल बंगला की कृत्रिम झांकी के साथ मंदिर के मध्य भाग में कृत्रिम झील बनाई गई थी।  झील के बीचों बीच रंग बिरंगे फूलों से सजे झूले पर राधा-कृष्ण की झांकी सभी का मन मोह रही थी।  बर्फ की सिल्लियों से परिक्रमा पथ सजाया गया था। हालांकि मैं जब वहाँ पहुँचा तो बर्फ गल चुका था। झील में तैरते बतख और झूले के उपर बैठे सफेद कबूतर  प्यारे लग रहे थे। मंदिर की हरियाली देखते ही बनती थी।


प्रवेश द्वार 


प्रवेश द्वार की सीढ़ियाँ चढ़ते ही यह दृश्य दिखा।


झील के बीचों बीच फूलों से सजे झूले पर बैठे राधा-कृष्ण


लाइटिंग की व्यवस्था भी गज़ब की थी।


दायें से खींची गई यह तश्वीर।


झूले के ऊपर बैठे दो कबूतरों के लिय यह तश्वीर बायें से।


हमेशा विराजमान रहने वाले त्रिदेव.. (राणी सती)


सालासर हनुमान


प्रभु खाटू श्याम


बतख के जोड़े कभी तैरते कभी चकित हो, मनुष्यों की लीला देखते रहते। 


कल सावन का आखिरी सोमवार है। भोलेनाथ के दर्शन भी करते जाइये।

इस मंदिर की सबसे अच्छी बात यह लगी कि यहाँ फोटो खींचने की कोई मनाही नहीं थी। सभी खूब फोटो खींच रहे थे। इतनी सजावट के बाद यदि फोटो खींचने पर प्रतिबंध लगा दिया होता तो मैं आपको ये दृश्य कैसे दिखा पाता! इसके लिए व्यवस्थापकों का तहे दिल से आभार। मंदिर में जब तक रहा पूरे समय राधे-राधे-राधे.. का कर्ण प्रिय भजन आनंदित करता रहा।


15 comments:

  1. वाह क्या गजब माहौल है, राधे राधे

    ReplyDelete
  2. कितनी सुन्दर झाँकियाँ -रचनेवालों और प्रस्तुत करनेवाले का आभार !

    ReplyDelete
  3. कलर्स बहुत ज्यादा हैं !

    ReplyDelete
    Replies
    1. कलर्स लाइट के कारण कलर ज्यादा आया है फोटो में। देखने में खूबसूरत लग रहा था।

      Delete
  4. बढ़िया दर्शन कराय दिहो :-)

    ...जय त्रिदेव !

    ReplyDelete
  5. जय भोले बाबा, मनोहारी दृश्य..

    ReplyDelete
  6. बहुत ही अच्छा है , लेकिन ये मंदिर कहा है मुझे याद नहीं आ रहा है क्या इसे किसी और नाम से भी जानते है | सावन में तो हम लोग तुलसी मानस मंदिर जाते थे जहा स्वचालित खिलौने होते थे कृष्ण और राम के जीवन की झाकी दिखाते हुए | मुझे एक बार अपनी बेटी को ले जा कर वो दिखाना है |

    ReplyDelete
    Replies
    1. यह प्राचीन मंदिर नहीं है। 4-5 वर्षों पुर्व ही इसकी स्थापना हुई है। मानस मंदिर से आगे संकट मोचन मार्ग पर 10 कदम चलने पर सड़क पर ही दाईं ओर मंदिर स्थापित है। सुंदर मंदिर है। आपके समय नहीं था इसीलिए आपने नहीं देखा। अपनी बेटी को जरूर दिखलाइये मानस मंदिर की सजावट। वहाँ कैमरा ले जाने नहीं देते वरना उसकी भी फोटू खींच कर दिखा देता।

      Delete
  7. मनोहारी अद्भुत दर्शन ...

    ReplyDelete
  8. सुन्दर रंगों की बहार है .

    ReplyDelete
  9. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार को ३१/७/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आपका स्वागत है

    ReplyDelete
  10. पुण्‍य लाभ हुआ.
    कृतिम को कृत्रिम बना लीजिए.

    ReplyDelete