तिनका-तिनका बटोरकर
एक अच्छा सा घंरोदा बनाने का खयाल
हर चिड़िया करती है
एक अच्छा सा घंरोदा बनाने का खयाल
हर चिड़िया करती है
आँधियों में पंख फैलाकर
सूरज को
चोंच में दबा लेना चाहती है
सूरज को
चोंच में दबा लेना चाहती है
उषा की पहली किरण
उसे उत्साहित करती है तो
दोपहर की चमक
संवेदनशील
उसे उत्साहित करती है तो
दोपहर की चमक
संवेदनशील
मेरे आंगन से
अपना महल उठाते हुए
बच्चों के सुख की चिंता होती है
अपना महल उठाते हुए
बच्चों के सुख की चिंता होती है
सुबह के गीत गाती है,
ओस में नहाती है,
धूप में कपड़े निचोड़कर
बच्चों से ठिठोली करती है
ओस में नहाती है,
धूप में कपड़े निचोड़कर
बच्चों से ठिठोली करती है
दिन ढले
अपने आप से सशंकित,
घर लौटना चाहती है
अपने आप से सशंकित,
घर लौटना चाहती है
चोंच से फिसलकर
पीला सूरज
समुद्र में डूबने लगता है
उस वक़्त वह
बहुत चीखती है
पीला सूरज
समुद्र में डूबने लगता है
उस वक़्त वह
बहुत चीखती है
रोज एक सूरज उगता,
एक डूब जाता है
सुबह शाम का यह अंतराल
उसके संघर्ष की कहानी कहता है
एक डूब जाता है
सुबह शाम का यह अंतराल
उसके संघर्ष की कहानी कहता है
सूरज को चोंच में दबाने का खयाल
वह नहीं छो़ड़ पाती
अंधेरे में चोंच गड़ाना
उसे पसंद नहीं।
..................
वह नहीं छो़ड़ पाती
अंधेरे में चोंच गड़ाना
उसे पसंद नहीं।
..................
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर कविता
ReplyDeleteधन्यवाद।
DeleteI just read you blog, It’s very knowledgeable & helpful.
ReplyDeletei am also blogger
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (07-08-2018) को "पड़ गये झूले पुराने नीम के उस पेड़ पर" (चर्चा अंक-3056) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार।
Deleteचिड़िया का यही संघर्ष उसे जिलाए रखता है हर दिन को नये उत्साह के साथ स्वागत करने की ताकत भी देता है..सुंदर भावपूर्ण कविता !
ReplyDeleteआभार आपका।
Deleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन हिरोशिमा दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteउम्दा रचना !
ReplyDeleteधन्यवाद।
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