17.8.18

अमर अटल

कल शाम लोहे के घर में किसी ने बताया कि अब अधिकृत सूचना आ गई ..अटल जी नहीं रहे। सफ़र में लिखने की आदत है। लिखना चाहा, लिख नहीं पाया।  सिर्फ उनका समाचार लेता, याद करता रह गया।

एक होता है मृत्यु का अंदेशा, एक होती है डाक्टर द्वारा अधिकृत घोषणा। दोनों के दरमियान जो लम्हें गुजरते हैं वो बड़ी बेचैनी, बड़ी लाचारगी से भरे होते हैं। दिमाग कहता है कि अब हमारा प्रिय हमसे बिछुड़ जाएगा और दिल कहता है.. काश! कि यह फिर बोलने लगे!!! जब हमारे वश में कुछ नहीं रहता हम ईश्वर की शरण जाते हैं.. हे ईश्वर! बचा लो। हाय! ईश्वर भी इस मामले में कुछ नहीं कर सकता। जब मृत्यु की घोषणा होती है तब जाकर होता है एहसास..मृत्यु अटल है। 

कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमारे पास कभी नहीं होते मगर कोई हल्का सा भी तार छेड़ दे तो उनकी याद दिल दिमाग में छाने लगती है। न उनके चरण छूने का सौभाग्य मिलता है, न कंधा देने का। न लाभ पक्ष में दिखते हैं, न हानी में लेकिन जीवन के चिट्ठे  में हमेशा संपत्ति की तरह जड़े रहते हैं। उनके बिना अपना जीवन चिठ्ठा अधूरा अधूरा रहता है। कुछ ऐसे ही थे/हैं अटल जी।  

जब से होश संभाला हम उनकी मुखरता को सुनते, चरित्र को गुनते रहे। अचरज होता कि राजनीति में भी कोई व्यक्ति इतनी ईमानदारी से मनुष्य बने रहकर भी, शिखर तक पहुंच सकता है! विरोध कर के भी कोई कैसे विरोधियों का दिल जीत सकता है!!!  जब तक मौन रहे तो लगता.. काश! बोल पाते। अब बिन बोले चले गए तो यह भी लगता है .. अच्छा ही हुआ कि उन्हें कुछ बोलना नहीं पड़ा। बोलने की शक्ति होती और उन्हें कोई चुप कराने का प्रयास करता तो अच्छा नहीं लगता। 

कविता प्रेमी होने के कारण भी अटल जी हमें प्रिय थे। साहित्य जगत ने भले उन्हें बड़ा गीतकार न माना हो लेकिन उनके गीत हारे हुए मन को नई उर्जा और राष्ट्र प्रेम की भावना जगाने में समर्थ हैं। एक राष्ट्रप्रेमी गीत रचेगा तो उसके गीतों में राष्ट्र प्रेम की गूंज सुनाई तो देगी ही। एक मानवता वादी गीत रचेगा तो विरोधी विरोध भूल संमोहित हो सुनेंगे ही। 

गीत के अलावा जो सबसे प्रिय था वह था उनका ओजस्वी भाषण। संसद हो या सड़क, कोई समारोह हो या कोई चुनावी सभा, अटल जी के भाषण सबको चित्त करते हुए भी मर्यादा की सीमा का उल्लंघन कभी नहीं करते थे। उनके मुख से कभी कोई ऐसा शब्द नहीं सुना कि जिससे कोई आहत हुआ हो। पटकनी खा कर छटपटाने वाला भी दिल से उनका मुरीद ही हुआ। 

हो गई अधिकृत घोषणा... नहीं रहे अटल। उनके घर पर शव के अंतिम दर्शन का तांता लगा है। अब विनम्र श्रद्धांजलि देने के सिवा अपने वश में और है ही क्या! यह सत्य है कि मृत्यु अटल है लेकिन यह भी सत्य है कि अटल जी अमर हैं। जैसे इंकलाब जिंदाबाद वैसे अटल जी जिंदाबाद।

विनम्र श्रद्धांजलि

7 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (18-08-2018) को "उजड़ गया है नीड़" श्रद्धांजलि अटलबिहारी वाजपेई (चर्चा अंक-3067) (चर्चा अंक-2968) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेई जी को नमन और श्रद्धांजलि।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विनम्र श्रद्धांजलि - श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी - ब्लॉग बुलेटिन परिवार में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  3. श्रधांजलि

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  4. इंसान इससे ज्यादा कुछ नहीं कर पता ...
    विवश है वो प्राकृति के आगे ... जितना जल्दी समझे उतना अच्छा ...
    विनम्र श्रधांजलि अटल जी को ...

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