15.8.11

मौन की गूँज

आपने कभी सुनी है
मौन की गूँज?
सुनिए
मैं सुन रहा हूँ

राजघाट में
बापू की समाधी पर
गूँज रहा है
मौन
सुनाई दे रही है उसकी धमक
वहाँ से
यहाँ तक!

मौन जब चीखता है
सुनने लगते हैं
बहरे भी
डरने लगते हैं
अत्याचारी भी

क्या होगा आगे?
जानना चाहते हैं सभी
वे भी
जो मौन के साथ हैं
वे भी
जिनके कारण गूँजा है
मौन

अरे मरारे..!
चीख रहे हैं अधिकारी
हरे मुरारे
कह रही है जनता
बढ़ता जा रहा है
भीड़ का घेरा
मौन हैं
अण्णा हजारे।
..............

17 comments:

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  2. वाह बेहतरीन !!!!

    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं....!

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  3. इतिहास में यह मौन कुछ निष्कर्ष देकर जायेगा।

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  4. वाह तत्काल पोस्ट ।
    यह एक सैलाब बन चुका है ।
    अब तो कुछ होकर रहेगा ।
    शुभकामनायें ।

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  5. bahut achchha likha hai .
    samay hi batayega aage kya hota hai .

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  6. कह रही है जनता
    बढ़ता जा रहा है
    भीड़ का घेरा
    मौन हैं
    अण्णा हजारे।

    अन्ना बेचारे क्या करे .......!

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  7. मौन हैं
    अण्णा हजारे। नासूर बन चुका है भ्रष्टाचार इससे कौन उबारे……… कुछ तो होगा असर…स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

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  8. बहुत सुन्दर और सार्थक रचना!
    आजादी की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  9. मौन जब चीखता है
    सुनने लगते हैं
    बहरे भी
    डरने लगते हैं
    अत्याचारी भी
    zaruri hai...

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  10. बहुत सही, मौन जब चीखने लगता है तब एक भूचाल आता है, आ ही गया है अबकि बार.

    स्वतंत्रता दिवस की घणी रामराम.

    रामराम.

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  11. अच्छी प्रस्तुति ... मौन की धमक सुनाई दे रही है ..

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  12. देवेन्द्र जी

    इस मौन में शंखनाद की अनुगूंज है…

    जनविरोधी , आतताई और हर मोर्चे पर असफल , भ्रष्ट सरकार की अंतिम घड़ियों के आर्तनाद की ध्वनि भी सुन लीजिएगा …

    सुंदर रचना … साधुवाद !


    रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  13. मौन अब मुखर हो चूका है जनता की भीड़ में !

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  14. यह मौन अब गर्जन भरा तूफ़ान हो चुका है,जरी रहे,लोकतंत्र के लिए अब यह आवश्यक भी है,आभार.

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  15. तूफ़ान तो आ चूका है.

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  16. कई बार मौन का टूटना ज़रूरी भी हो जाता है|

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  17. शुरू में जो केवल फूलता हुआ गुब्बारा लग रहा था,अब जाके जलता हुआ मशाल बन गया है.

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