आपने कभी सुनी है
मौन की गूँज?
सुनिए
मैं सुन रहा हूँ
राजघाट में
बापू की समाधी पर
गूँज रहा है
मौन
सुनाई दे रही है उसकी धमक
वहाँ से
यहाँ तक!
मौन जब चीखता है
सुनने लगते हैं
बहरे भी
डरने लगते हैं
अत्याचारी भी
क्या होगा आगे?
जानना चाहते हैं सभी
वे भी
जो मौन के साथ हैं
वे भी
जिनके कारण गूँजा है
मौन
अरे मरारे..!
चीख रहे हैं अधिकारी
हरे मुरारे
कह रही है जनता
बढ़ता जा रहा है
भीड़ का घेरा
मौन हैं
अण्णा हजारे।
..............
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ReplyDeleteवाह बेहतरीन !!!!
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं....!
इतिहास में यह मौन कुछ निष्कर्ष देकर जायेगा।
ReplyDeleteवाह तत्काल पोस्ट ।
ReplyDeleteयह एक सैलाब बन चुका है ।
अब तो कुछ होकर रहेगा ।
शुभकामनायें ।
bahut achchha likha hai .
ReplyDeletesamay hi batayega aage kya hota hai .
कह रही है जनता
ReplyDeleteबढ़ता जा रहा है
भीड़ का घेरा
मौन हैं
अण्णा हजारे।
अन्ना बेचारे क्या करे .......!
मौन हैं
ReplyDeleteअण्णा हजारे। नासूर बन चुका है भ्रष्टाचार इससे कौन उबारे……… कुछ तो होगा असर…स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
बहुत सुन्दर और सार्थक रचना!
ReplyDeleteआजादी की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
मौन जब चीखता है
ReplyDeleteसुनने लगते हैं
बहरे भी
डरने लगते हैं
अत्याचारी भी
zaruri hai...
बहुत सही, मौन जब चीखने लगता है तब एक भूचाल आता है, आ ही गया है अबकि बार.
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की घणी रामराम.
रामराम.
अच्छी प्रस्तुति ... मौन की धमक सुनाई दे रही है ..
ReplyDeleteदेवेन्द्र जी
ReplyDeleteइस मौन में शंखनाद की अनुगूंज है…
जनविरोधी , आतताई और हर मोर्चे पर असफल , भ्रष्ट सरकार की अंतिम घड़ियों के आर्तनाद की ध्वनि भी सुन लीजिएगा …
सुंदर रचना … साधुवाद !
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
-राजेन्द्र स्वर्णकार
मौन अब मुखर हो चूका है जनता की भीड़ में !
ReplyDeleteयह मौन अब गर्जन भरा तूफ़ान हो चुका है,जरी रहे,लोकतंत्र के लिए अब यह आवश्यक भी है,आभार.
ReplyDeleteतूफ़ान तो आ चूका है.
ReplyDeleteकई बार मौन का टूटना ज़रूरी भी हो जाता है|
ReplyDeleteशुरू में जो केवल फूलता हुआ गुब्बारा लग रहा था,अब जाके जलता हुआ मशाल बन गया है.
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