कर्फ्यू वाले दिनों में बनारस की गलियाँ आबाद, गंगा के घाट गुलजार हो जाते । इधर कर्फ्यू लगने की घोषणा हुई, उधर बच्चे बूढ़े सभी अपने-अपने घरों से निकल कर गली के चबूतरे पर हवा का रुख भांपने के लिए इकठ्ठे हो जाते। बुजुर्ग लड़कों को धमकाते..अरे! आगे मत जाये!!
बनारस की गलियों में लड़कों को गली में निकलने से कौन रोक सकता था भला! घर के दरवाजे पर बाबूजी खड़े हों तो बंदरों की तरह छत डाक कर पड़ोसी के दरवाजे से निकल जाना कोई बड़ी बात नहीं थी। लड़के गली के उस मोड़ तक पहुंच जाते जहाँ सड़क शुरू होती और पुलिस का पहरा चकाचक होता। जब पुलिस गली में लड़कों को दौड़ाती तो लड़के भाग खड़े होते। भागते हुए कोई दिख जाता तो जोर से चीखतेे...भाग @सड़ी के! हवा खराब हौ!!! मुसीबत के समय ही यह ज्ञान होता है कि हवा भी खराब होती है!
मास्टर साहब से पूछा..गुरुजी! हवा बहती है कि बहता है? गुरुजी भोजपुरी बेल्ट के थे, हँस कर बोले..हवा न बहती है न बहता है, हवा त बहेला! मुझे लगा वाकई हवा बड़ी खतरनाक चीज है। धीरे-धीरे ज्ञान हुआ हवा में ऑक्सीजन भी होता है, कार्बन भी। जहरीली भी होती है, प्राणदायी भी। एक कविता पढ़ी थी अपने पाठ्यपुस्तक में जिसमें हवा सूरज से भिड़ जाती है और एक राह चलते पथिक की शामत आ जाती है। यह कवि की निच्छल भावना थी। हर आदमी कवि नहीं होता और हर आदमी साधारण पथिक भी नहीं होता जिसे धूप और हवा अपनी उँगलियों पर नचाती हैं। धरती में ऐसे भी आदमी हैं जो धूप और हवा दोनो को अपनी मुट्ठी में कैद कर लेते हैं!
दूसरों की हवा खराब करना और अपनी बनाना राजनीति का मूल मंत्र है। राजनीतिज्ञ से बड़ा कोई देशभक्त नहीं होता क्योंकि देशभक्ति से बड़ी कोई राजनीति नहीं होती। हवा बनाने से बनती है, बिगाड़ने से बिगड़ती है। विपक्ष प्रायः सरकार के हर निर्णय में कमी ढूँढ लेता है और सरकार अपने हर निर्णय को सही ठहराती है। सरकार का हर निर्णय सही और विपक्ष की हर आलोचना राजनीति से प्रेरित मानी जाती है। हवा का रुख भांप कर निर्णय इस प्रकार से लेना कि भले देश का आर्थिक नुकसान हो, उसके वोटर प्रसन्न रहें तो ऐसे निर्णय को राजनैतिक हवाबाजी कहते हैं।
दूसरों की हवा खराब करने और अपनी बनाने का खेल छोटे स्तर से अंतर्राष्टीय मंच तक चलता रहता है। विपक्ष की हवा खराब कर सत्ता हासिल करने के बाद राष्ट्राध्यक्ष की कोशिश होती है कि अंतर्राष्टीय स्तर पर दुश्मन देश की हवा खराब की जाये और मित्र देश की हवा बनाई जाये।
इस वक्त भारत में विपक्ष की और अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की हवा खराब है। तीन तलाक के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद देश के महिलाओं के पक्ष में हवा बन गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति की ताजा विदेश नीति के कारण तो पाकिस्तान की हवा गुम हो गई लगती है। चीन हवा का रुख मोड़ना चाहता है। यही हाल रहा तो एक दिन आतंकवादी भागते हुए चिल्लाते मिलेंगे...भागे रे! हवा खराब हौ।