देर शाम
सब्जियों का भारी झोला उठाये
लौटते हुए घर
चढ़ते हुए
फ्लैट की सीढ़ियाँ
सहसा
कौंध जाती है ज़ेहन में
पत्नी के द्वारा दी गई
सुबह की हिदायतें
और
ज़रूरी सामानो की लम्बी सूची...!
आते ही ख़याल
भक्क से उड़ जाती है
(घर को सामने देख भूले से आ गई)
चेहरे की रंगत
और वह
अगले ही पल
भकुआया
दरवज्जा खटखटाते काँपता
देर तक
हाँफता रहता है।
उस वक्त, वह मुझे
थका कम
मादा अधिक नज़र आता है!
शायद इसीलिये
दफ्तर से देर शाम घर लौटने वाला
थका माँदा नहीं,
थका मादा कहलाता है।
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