मैं तुम्हें
श्रद्धांजलि देना चाहता था
ढूँढता रहा गूगल में
तुम्हारा कोई ऐसा चित्र
जो दिखा दे तुम्हें
पूरा
जिसे अपलोड कर
नीचे लगा दूँ
एक जलते हुए दिये का चित्र भी
तुम्हारे हाथों में थमा दूँ
मिसाइल
वीणा
या कोई पुस्तक
मगर गुरु!
तुम मिले ही नहीं
किसी एक चित्र में
सम्पूर्ण!
फिर मैं
तुम्हारे सन्देश याद करने लगा
तुम कहते थे
सपने वो नहीं
जो नींद में दिखते हैं
सपने वो हैं
जो तुम्हें सोने नहीं देते!
तुम कहते थे
गिरने का मतलब है
चलने का
पहला सबक सीखना!
तुम कहते थे
अपने काम को खूब लगन से करो
पहली विजय के बाद चुप हो कर मत बैठो
लोग यह न समझ बैठें कि तुम्हारी विजय
सिर्फ किस्मत की बात थी!
तुम कहते थे
यदि अपने कर्तव्यों को सलाम करते हो तो
किसी दुसरे को सलाम करने की
आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी
यदि अपने कर्तव्यों से मुँह मोड़ते हो
तो तुम्हें
सबको सलाम करना पड़ेगा!
तुम कहते थे
मेरे मरने के बाद छुट्टी मत मनाना
बल्कि और मेहनत से काम करना!
तुम कहते थे...
बहुत कुछ कहते थे गुरु!
सच लगता है
अच्छा लगता है
जो तुम कहते थे
तुमने इन्ही राहों पर चलकर
उंची उड़ान भरी
तुम्हें सलाम करता हूँ
प्यार करता हूँ
मगर गुरु!
सरल नहीं है
तुम्हें सच्ची
श्रद्धांजलि देना!