स्कूल में खेलते थे
कुर्सी दौड़
बच्चों की संख्या से
कम रहती थी हमेशा
एक कुर्सी
घंटी बजते ही
गोल-गोल दौड़ते थे
कुर्सी के इर्द-गिर्द
बच्चे
घंटी थमते ही
झट से बैठ जाते थे
जो नहीं बैठ पाते
बाहर हो जाते
खेल से
हर बार
हटा दी जाती
एक कुर्सी
अंत में बचते
दो बच्चे
और एक कुर्सी
जो बैठ पाता
उसी को मिलती
ऊपर
धागे से लटकी
जिलेबी
खुद नहीं
तो अपने साथी की जीत पर
खुश होते थे
बच्चे
रहती थी उम्मीद
इस बार नहीं
तो अगली बार
अवश्य ही मिल जायेगी
कुर्सी
उचककर खायेंगे
हम भी
रसभरी जिलेबी
स्कूल में
बच्चे नहीं जान पाते
खेल का मर्म
स्कूल छूटते ही
होता है क्रूर मजाक
बजती है
पगली घंटी
शुरू होती है असली दौड़
निर्दयता से
कम कर दी जाती हैं कुर्सियाँ
हाहाकारी में
बढ़ती जाती है
भीड़
एक तो कुर्सी कम
ऊपर से
बेईमानी
चोर
लूट लेते हैं
तेज दौड़ने वालों की
पूरी जिलेबी।
................
................
( चित्र गूगल से साभार )