9.10.09

आभार

अभी तक तो अंतर्जाल में मात्र हिंद युग्म के लिए ही लिखता था। 'देखा देखी पाप, देखा देखी पुण्य' मैंने भी एक ब्लॉग बना लिया। पाठकों की प्रतिक्रियाओं से उत्साहित हूँ । मेरा प्रयास होगा कि प्रतिसप्ताह कम से कम एक रचना अवश्य पोस्ट करुँ। आशा है आप सभी का सहयोग मिलता रहेगा।

सादर
देवेन्द्र पाण्डेय ।

मेरी बातों से बोझिल हुए मन को पुनः तरोताजा करने के लिए प्रस्तुत हैं दो दोहे :-

कर्जा इतना लीजिये, सब कर्जा चुक जाय
दर्जा झूठे शख्स का, कभी न मिलने पाय।

चमड़ी से चाँदी झरे, दमड़ी एक न जाय
मीठी वाणी बोलिए, देनदार फँस जाय।



7 comments:

  1. Devendra Ji...Blog bana kar bahut achchha kaam kiya hai aapne...dohe bahut rochak hain...likhte rahiye...

    Neeraj

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  2. लाजवाब दोहे हैं ......... सत्य कहा है .........
    स्वागत है आपके नए ब्लॉग पर ........

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  3. परिपक्व दोहे.
    स्वागत है आपके नए ब्लाग का.

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

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  4. चमड़ी से चाँदी झरे, दमड़ी एक न जाय
    मीठी वाणी बोलिए, देनदार फँस जाय।

    बहुत खूब .....बड़ी नेक सलाह दे दी दो पंक्तियों में .....!!

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  5. आप बढ़िया लिखते है जहाँ भी लिखेंगे आपको बहुत पसंद किया जाएगा..अब यही चार लाइने देखिए..कितनी बड़ी बात कम शब्दों में समेट दी आपने..बहुत अच्छा लगा..बधाई

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  6. Devendraji!.....aapane blog bana kar bahut achha kiya,aapaki sabhi kawitanye padhane ka saobhagya prapta huaa.Dhanyawad.
    pbpandey

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