साथी की तलाश में भटक रहा हूँ सबेरे-सबेरे
इसी को पटाता हूँ
मजा आयेगा! समझता क्यूँ नहीं ?
प्रेम की कोई जाति नहीं होती। मान भी जाओ....
हम लोग अच्छे दोस्त बन सकते हैं।
देखो! यूँ मुँह ना मोड़ो, मैं तु्म्हें छोड़ने वाला नहीं।
अब मान भी जाओ।
अब ठीक है।
स्थानः वही.. जहाँ रोज सुबह घूमने जाता हूँ। काशी हिंदू विश्व विद्यालय, विश्वनाथ मंदिर के सामने की सड़क।
समयः सुबह 6 बजे के आसपास।
दिनांकः 16-06-2012
फोटू ग्राफरः देवेन्द्र पाण्डेय।
मुझे तो एक गाना सूझ रहा है ...
ReplyDeleteखुल्लम-खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों
इस दुनिया से नहीं डरेंगे हम दोनों
मुझे दूसरा गाना सूझ रहा हैं
ReplyDeleteतुही रे , तेरे बिना मै कैसे जियूँ
...प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो.
ReplyDeleteआप कैमरा लिए बिलकुल रेडी रहते हैं क्या...?
कभी-कभी एकदम रेडी।:)
DeleteNice...Rare photographs...
ReplyDelete:):) सुंदर चित्रावली
ReplyDeleteहा हा हा ! बहुत मजेदार तस्वीरें ! क्या इन्हें खींचने का सौभग्य आपको मिला है ?
ReplyDeleteजी हाँ। आज सुबह-सुबह यह सौभाग्य मिल गया।:)
Deleteदराल साहब ,
Deleteसौ भाग्य का क्या है ? वो तो बनारस में यूंहीं बिखरा पड़ा है , किसी ब्लागर के दिल से पूछिये , कि वानर प्रेम , आर्तनाद और व्यथा और विरह के सौ भाग्य का कारण कैसे बनता है :)
शायद आपको स्मरण नहीं है कि , देवेन्द्र जी महानगर में वन्य जीवन के ख्यातिलब्ध / ख्यातनाम फोटोग्राफर हैं :)
महानगर में वन्य जीवन के! हा हा हा...
Deleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteलाजवाब ...
hahahaah ekdam mast, e kaha k ghatna hauwe?
ReplyDeleteहा हा हा ....
ReplyDeleteजय हो, देख कर आनन्द आ गया, बनारस का प्रभाव है..
ReplyDelete:)
ReplyDeleteso pleasant :)
ha ha ha :-))
ReplyDeleteचलो मन तो गया
ReplyDeleteहा हा हा ............
☺☺☺
ReplyDeleteमजेदार :)
ReplyDeleteदुलर्भ तस्वीरें हैं। कैमरा साथ हो और आप तैयार तभी ये मिलती हैं।
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी।
Deleteबंदर का बच्चा बड़ा शैतान था। आस पास फटकने वालों को काटने के लिए दौड़ा भी रहा था। मेरे कैमरे में जूम है लेकिन पिक्चर साफ नहीं आता, फैल जाता है। खतरा उठा कर फोटू खींचता चला गया जबकि लोग मुझे परे हटने की सलाह दे रहे थे।:)
ऐसी तस्वीरे लेने का मौक़ा कभी कभी नसीब होता है,सुंदर चित्र,,,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
बेहतरीन, सौभाग्य के साथ साथ काफी श्रमसाध्य कार्य रहा होगा ये.
ReplyDeleteसाधुवाद.
अच्छी प्रस्तुति । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत खूब.
ReplyDeleteशुक्र है सब बन्दर आदमी नहीं बने, कुछ बंदर ही रह गए|
ReplyDeleteक्या बात कही है आपने! उसी तेवर में करारा कटाक्ष।
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बेहतरीन रचना
दंतैल हाथी से मुड़भेड़
सरगुजा के वनों की रोमांचक कथा
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ पढिए पेसल फ़ुरसती वार्ता,"ये तो बड़ा टोईंग है !!" ♥
♥सप्ताहांत की शुभकामनाएं♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
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देवेन्द्र जी ,
ReplyDeleteराष्ट्रपति चुनाव की बेला में माकूल चित्र खींचना और लगाना आपके ही वश की बात है ! ऐसा लगा कि दल अपने दलदल के लिए समर्थन मांगने पर उतारू हों :)
दल अपने दलदल के लिए समर्थन मांग रहे हों! अर्थ ढूँढना कोई आपसे सीखे।:)
Deleteअंतरजातीय / अंतरधर्मीय प्रेम के इस सार्वजानिक प्रदर्शन का कोई भी बंदा विरोध क्यों नहीं कर रहा है :)
ReplyDeleteकहीं इसका मतलब यह तो नहीं कि अगर प्रेमी जोड़े में काट खाने का सामर्थ्य हो तो किस की मजाल है जो विरोध में खडा हो जाये :)
और कुछ लोग हैं जो इसका दस्तावेजीकरण / रिकार्डिंग कर रहे हैं , उन्हें यह समझना होगा कि सब्र / बर्दाश्त का फल मीठा होने की कहावत का क्या मतलब है ? वानरों ने उनके केबल तोड़े और उन्होंने सब्र किया तो इस एतिहासिक फोटोग्राफ का जुगाड़ भी वानरों ने ही करा दिया ना :)
सभी जीव जंतु आम आदमी को हैरान-परेशान करते हैं लेकिन ब्लॉगर उन्हीं से उर्जा प्राप्त करता है।:)
Delete@ चित्र ,
ReplyDeleteहम इंसानों के लिए बड़ी शर्म के बात है / डूब मरने का विषय है जो एक मूल के होकर भी दुनिया में प्रेमपूर्वक एक साथ नहीं रह सकते हम लोग और वे हैं जिन्होंने किसी स्कूल में दाखिला तक नहीं लिया कभी !
धर्म जाति का कुसंस्कार घर से साथ लाये नहीं थे। विश्वविद्याल की पावन भूमि का संसर्ग इन्हें प्रेमपूर्वक रहना सिखा गया होगा।:)
Deleteहाँ, मालवीय जी की तपोभूमि का इतना ’इफेक्ट’ तो आना ही चाहिए...चाहे जिन पर आए!
Deleteलगता है बनारस के बंदर भी बड़े प्रेमी जीव है. सुंदर और दुर्लभ चित्र संकलन.
ReplyDeleteबनारस के बंदर ही नहीं और भी जीव बड़े प्रेमी हैं। यहाँ सांड़ भी कविता करते हैं।:)
Deleteभी? ही? :D
Deletewaah-waah , kamaal kar diyaa....
ReplyDeleteक्या पता वह बताना चाह रही हो कि गठबंधन सरकारें कैसे चलती हैं। :)
ReplyDeleteयह भी हो सकता है। एक छटकता रहता है, दूसरा मनाता रहता है।:)
Deletewaah, kamaal hai, lagta hai kaimra hardam gatee men latkaye rahte hain :)
ReplyDeleteकाशी जीवित ! शहर जीवित लोग !! ..... बेहतरीन क्लीक
ReplyDeleteजैसे पत्रकार की एक नजर होती है, वैसे ही ब्लॉगर की भी एक नजर होती है... यह वही नजर है... :)
ReplyDeleteआपके कमरे का कमाल तो है ही ... साथ में इन जानवरों का भी कमाल है जो गाहे बगाहे इंसान कों बताते रहते हैं की कुछ सीखो ...
ReplyDeletesach me janvar hamen bhaichara sikha sakte hain...bahut acchi photographi bhi...
ReplyDeletevery unusal photographs...
ReplyDeleteबेचारा कुत्ता! बंदरों से पर पाना किसी कुत्ते के वश का नहीं है. बड़े से बड़ा, वीर से वीर कुत्ता इनसे जीत नहीं सकता. मैंने बंदरों को यूँ ही पालतू कुत्तों को भी स्टेट देखा है. यह प्यार नहीं कुत्ते के साथ अन्याय है.
ReplyDeleteघुघूतीबासूती
यह अलग तरह की कमेंट पढ़ने को मिली। दिखता भी कुछ ऐसा है कि कुत्ता सीधा है और बंदर दुष्ट। पहले तो सोचा कि तश्वीरें ज्यों की त्यों लगा दूँ और अर्थ लगाने का आग्रह करूँ फिर सोचा कि कुछ रोचकता बढ़ा दूँ। बजाय अन्याय कहने के एक तरफा प्यार भी भी तो कह सकते हैं इसे ? :)
Deleteतुषार कपूर के अलावा कोई भी नाम जो आपको रुचे, दे दीजिये :)
ReplyDelete:)
ReplyDeleteक्या फोटो खिंचे है वाह :}
ReplyDeleteमजेदार ....दोस्ती जताने का अंदाज निराला है !
मस्त!!! :)
ReplyDeleteएकतरफा सा लग रहा है प्यार...दूसरी तरफ से कोई खास रेस्पोंस नहीं दिख रहा!!
ReplyDeleteआज ये तस्वीरें देखीं....कहीं और देखती तो लगता फोटोशॉप है...:)
ReplyDeleteसुन्दर प्यार-संकलन..
ReplyDeleteरोचक फोटो लिया है आपने.वहाँ और कोई कुत्ता नहीं था ? नहीं तो उसे प्रेम में अवरोध करना चाहिये था.
ReplyDeleteWow...very funny and also gives a message.
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