आज सुबह मार्निंग वॉक में शाख से झूलते तोते मिले.
मैंने कहा,
आज प्रभु श्री राम जी का बड्डे है बोलो-जय श्री राम!
तोते इस शाख से उस शाख में झूलते और मुझे देख कहते-टें..टें..
मुझे लगा पंडित जी ने इन्हें ज्यादा नहीं पढ़ाया होगा. फिर बोला-
गोपी कृष्ण कहो बेटू, गोपी कृष्ण.
तोते बोले-टें.टें....
अच्छा बोलो-जय भीम!
तोते बोले-टें.टें...
तभी मुझे जेएनयू की घटना का संस्मरण हो आया. मैंने सोचा अभी ये मेधावी छात्र होंगे. मैंने कहा-बोलो आजादी! छीन के लेंगे आजादी!!! टुकड़े होंगे, टुकड़े होंगे.
तोते इस बार गुस्से से चीखते हुए उड़ गए-टें..टें..टें...टें...
मुझे एक बात समझ में आ गई. तोते यदि वास्तव में आजाद हों तो बस अपनी ही जुबान बोलते हैं.
#व्यंग्य
काफी गंभीर अर्थ छिपे हैं इन पंक्तिओं में
ReplyDeleteअपनी बात बोलते हैं क्योंकि अपने को वही जानते हैं जो हैं..
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