जूते का यह अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान।
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एक मंदिर के द्वार पर जूतों का एक झुण्ड अपने-अपने चरणों की प्रतीक्षा में भजन-कीर्तन का आनन्द ले रहा था। उन्हें देख चप्पलों ने तंज किया.. यहाँ तो ये भजन सुनते हुए आराम फरमा रहे हैं और वहाँ इनके एक साथी को एक नेता जी के द्वारा दूसरे नेता जी से लड़ाया जा रहा है! दूसरी सभी चपल चप्पलें एक स्वर में बोल उठीं ...हाँ, हाँ, इन्हें तो कोई चिंता ही नहीं। 😊
चप्पलों की बातों ने जूतों पर जादू का असर किया। उन्होंने तत्काल एक यूनियन का गठन किया और दो पायों के चरणों का सामूहिक बहिष्कार करते हुए अपनी कई मांगें रखीं। उन्होंने चप्पलों से भी आह्वाहन किया.... साथियों! आज हमें यह दुर्दिन देखना पड़ा, कल तुम्हारा भी इस्तेमाल किसी नेता से लड़ाने के लिए किया जा सकता है। हम चरण दास हैं, चरण दास रहने में ही गर्व का अनुभव करते हैं। हमें न तो किसी मनुष्यों के सर चढ़ना है और न उनके गले का हार ही बनना है। जिसका जन्म जिस हेतु हुआ है, उसे वही करना चाहिए। अपने कर्मों को छोड़, मनुष्यों की तरह, दूसरे कृत्यों में उलझना या उलझाया जाना, हमारा घोर अपमान है। जो देश की सेवा के लिए बने हैं वे देश सेवा करें, जो समाज सेवा के लिए बने हैं वे समाज सेवा करें। सर पर बिठाने के लिए और आराम करने के लिए टोपियाँ बनी हैं। हमें न तो टोपियों की तरह परजीवी बनना है और न ही गुंडे बदमाशों की तरह नेताओं से उलझना है। हम श्रमजीवी हैं। अपने देश के सभी नागरिकों के चरणों की हिफाजत करना हमारा धर्म है। देश के मेहनती नागरिकों और देश सेवा में लगे वीर सैनिकों के चरणों की सुरक्षा ही देश को विकास के मार्ग पर ले जा सकता है। यदि कोई मनुष्य या मनुष्य भेषधारी गुंडा, हमारा दुरुपयोग करता है तो हमें एक बड़ा आंदोलन चलाते हुए सभी चरणों का बहिष्कार कर देना चाहिए। हम मन्दिर-मंदिर जाएंगे, हम मस्जिद-मस्जिद जाएंगे। सभी साथियों को इकठ्ठा करेंगे और दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल सभा का आयोजन कर के अपने अधिकारों के साथ-साथ सभी मनुष्यों के कर्तव्य निर्वहन की माँग करेंगे।
देखते ही देखते जूतों, चप्पलों, सैंडिलों, घरेलू स्लीपरों आदि सभी प्रकार के चरण रक्षकों ने पूरे भारत में एक बड़े आंदोलन की हुँकार भर दी। वे दिल्ली के राम लीला मैदान में लाखों जोड़ों में जमा थे और जोरदार नारा लगा रहे थे...जूतों का यह अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान।
रामलीला मैदान के बाहर अपने अपने जूतों/चप्पलों को आवाज दे कर बुलाते नङ्गे पाँव खड़े मनुष्यों की भीड़ बार-बार यह आश्वासन दे रही थी कि अब भविष्य में कभी आप लोगों का गलत इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। आइए! हमारे चरणों की रक्षा कीजिए। आपके सहयोग के बिना देश के विकास का पहिया चरमरा जाएगा। हम नंगे पाँव अब एक कदम भी और नहीं चल सकते।
इधर एक कोने में सभी जूते चप्पल पीड़ित जूते को घेरकर खड़े थे जिसे बलात चरण से निकाल कर सर से भिड़ाया गया था। सभी उससे तरह-तरह के प्रश्न कर रहे थे... जब तुम्हें नेता द्वारा, नेता को पीटने के लिए बलात काम पर लगाया गया तब कैसा अनुभव हुआ? पीड़ित ने झल्लाकर प्रतिप्रश्न किया....तुम्हीं बताओ, कैसा लगेगा? यहाँ आए साथियों में से कोई बता दे! क्या किसी मनुष्य का आचरण उसके चरण से पवित्र है? हम किसी के सर पर बरसाये जाएं या माला बनाकर गले में लटकाए जाएं, अपमान किसका हुआ? अपमान हमारा हुआ और शर्मिन्दे यही मनुष्य हो रहे हैं! पिटे जाने वाले के मित्र दुखी हैं और विरोधी जश्न मना रहे हैं! क्या मनुष्य जाति पर हमारा योगदान किसी से कम है? तब तक किसी जूते ने जोश में आकर फिर से नारा बुलंद किया..जूते का यह अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।
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वाह, बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत कमाल का पोस्ट लिखते हैं आप, कंप्यूटर मोबाइल ब्लॉगिंग और इंटरनेट से संबंधित ढेर सारी जानकारी, अपनी मातृभाषा हिंदी में पढ़ने के लिए एक बार हमारे ब्लॉग पर भी विजिट करें मोबाइल पानी में गिर जाए तो क्या करें? और क्या नहीं करना चाहिए
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