3.12.22

लोहे का घर 64

फरक्का जलालपुर से अभी चली है। बहुत से लड़के जलालपुर से चढ़े हैं। ये #अग्निवीर हैं। इनसे बात करने पर पता चला, कल सुबह फिजिकल परीक्षण होगा। आज रात्रि में 12 बजे ग्राउंड में प्रवेश मिलेगा, वहीं इन्हें अलग-अलग समूहों में बांट दिया जाएगा, भोर से परीक्षण शुरू होगा। रात भर ये बच्चे ग्राउंड में बिताएंगे। अपना कम्बल/चादर लेकर, पूरी तैयारी से आए हैं। इनका जोश देखते ही बनता है। 


इनके अतिरिक्त ट्रेन की इस बोगी में कई परिवार हैं। दूर के यात्री शंकालू, लड़के अनुशासित हैं। आपस में बतिया रहे हैं, कोई उपद्रव नहीं कर रहे। इसका अगला स्टॉपेज बनारस है लेकिन अभी यह खालिसपुर में रुकी है। भारतीय रेल धैर्यवान और सहनशील बनने की ट्रेनिंग देनी शुरू कर चुकी है। एक मालगाड़ी विपरीत दिशा से हॉर्न बजाते हुए गुजरी है, उसके निकलते ही यह ट्रेन भी चल दी। लड़कों ने शोर मचाया, जिनको सीट नहीं मिली है, वे प्रेम से खड़े हैं। एक ही गाँव के, आपस मे परिचित दिखते हैं। खूब हंस/बोल रहे हैं। इनकी भाषा शुद्ध भोजपुरी है। इनकी बोली सुनकर एकाध वाक्य लिखने का प्रयास करता हूँ...


ए! चदरवा लियायल है न? बिछावा!

हमहूँ आवत हई, जगह हौ?

ए! कुछ लहलेहै, खाए वाला? निकाल।

बाबतपुर भी रुकी का यार?ट्रेन क स्पीड धीमा होत हौ।

टी.टी. आई, सबके भगा देई।

आज टी.टी.का करी यार!

कौन ट्रेन हौ ई?

फरक्का!


ट्रेन में चढ़ गए, ट्रेन का क्या नाम है, नहीं पता। बस इतना जानते हैं, बनारस जा रही है। ऐसे ही हँसते/बोलते ये बच्चे भारत की रक्षा करने वाले सैनिकों में शामिल होने जा रहे हैं। एक अलग प्रकार का आनन्द ले रहे हैं। ट्रेन बाबतपुर में फिर रुकी है। ऐसे ही हर स्टेशन रुकते हुए, नॉनस्टॉप ट्रेन चल रही है। इन्होंने सोचा था कि जलालपुर से चलेंगे तो आधे घण्टे में बनारस पहुँच जाएँगे। ये ऐसे खुशी-खुशी जा रहे हैं जैसे पहुँचते ही कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति मिल जाएगी। 


इन सब शोरगुल से परे, इत्मीनान से थोड़ी देर रुककर ट्रेन फिर चल दी। लड़कों में जल्दी पहुँचने की उम्मीद जगी है। ये सभी भारतीय रेल की चाल से पूर्व परिचित/अनुभवी लग रहे हैं। कल जो  आगे की परीक्षा के लिए सफल होंगे, उनकी खुशी देखने लायक होगी, जो असफल होंगे वे माथा पीटेंगे। यह जीवन संघर्ष क्या-क्या रंग दिखाता है! ये संघर्ष की ट्रेन में सवार हो चुके हैं। अब जीवन में जो भी पड़ाव आएगा, इन्हें ऐसे ही हँसते हुए स्वीकार करना है। मंजिल कहाँ है? यह जब मैं नहीं जान सका तो इन्हें क्या पता होगा! अभी तो इन्हें शुभकामना ही दे सकते हैं। ट्रेन एक छोटे से स्टेशन 'वीरापट्टी' में देर से रुकी है।

...@देवेन्द्र पाण्डेय।

1 comment:

  1. अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
    greetings from malaysia
    let's be friend

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