आज रविवार है, नववर्ष के पूर्व का अंतिम रविवार। सिगरेट के आखिरी कश सा प्यारा... अंतिम रविवार। मैं आज आप सभी को नववर्ष की बधाई देता हूँ। वर्ष दो हजार दस आप सभी के लिए मंगलमय हो। आप सभी ने मेरे पिछले रविवारीय पोस्ट "यह गहरी झील की नावें....." को सराहा, इसके लिए मैं सभी का शुक्रिया अदा करता हूँ। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप सभी का स्नेह नववर्ष में भी मुझे मिलता रहेगा । प्रस्तुत है आज की पोस्ट:-
बधाई देने....
प्रथम मास के
प्रथम दिवस की
उषा किरण बन
मैं आउंगा बधाई देने नए वर्ष की
तुम अपने कमरे की खिड़कियाँ खुली रखना।
हौले से आ जाउंगा तुम्हारी खिड़कियों से
तुम्हारी उंनिदी पलकों को सहलाकर
चूमकर अधरों को
फैल जाउंगा तुम्हारे कानों तक
तुम अपनी बाहें फैलाकर मेरा एहसास करना
मैं धूप बन लिपट जाउंगा
तुम्हारे संपूर्ण अंग से
तुम देर तक पीते रहना मुझे
चाय की चुश्कियों में............
मैं आउंगा बधाई देने नए वर्ष की
तुम अपने कमरे की खिड़कियाँ खुली रखना।
मैं धूप बन लिपट जाउंगा
ReplyDeleteतुम्हारे संपूर्ण अंग से
तुम देर तक पीते रहना मुझे
चाय की चुश्कियों में............
मैं आउंगा बधाई देने नए वर्ष की
तुम अपने कमरे की खिड़कियाँ खुली रखना।
बहुत सुन्दर रचना है। नववर्ष की आपको बहुत बहुत शुभकामायें
प्रथम मास के
ReplyDeleteप्रथम दिवस की
उषा किरण बन
मैं आउंगा बधाई देने नए वर्ष की
तुम अपने कमरे की खिड़कियाँ खुली रखना।
bahut sunder rachana Bas pasand nahee aaya to is mui cigrate ka beech me aana
बहुत सुन्दर अहसास, देवेंद्र जी।
ReplyDeleteनव वर्ष की अग्रिम शुभकामनायें।
मैं आउंगा बधाई देने नए वर्ष की
ReplyDeleteतुम अपने कमरे की खिड़कियाँ खुली रखना।...
देवेन्द्र जी ..... नव वर्ष आपको भी मंगलमय हो .......... आपकी प्रतीक्षा में हम अपने घर की खिड़कियाँ खुली रखेंगे .......... आपकी रचना ने अभी से नाव वर्ष का आभास करा दिया है ..........
देवेंद्र जी, बहुत सुंदर कविता अति सुंदर सन्देश नव बर्ष का
ReplyDeleteक्या बात है देवेन्द्र साब...बहुत खूब! सर्दियों में सिहरती सुबह की धूप का खिड़की से आना और वो चाय की चुस्कियों वाला इमेज...अहा!
ReplyDeleteआखिरी रविवार का सिगरेट के आखिरी कश से जोड़ना...बहुत खूब!
देवेन्द्र जी, आदाब
ReplyDeleteहमारी तरफ से भी आपको, सभी साथियों को
नये साल की अग्रिम मुबारकबाद
इस नये साल हर इन्सां हो खुदाया ऐसा
हर बशर से उसे अपनी ही सी खुशबू आये
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
बहुत खूब ..आपको भी नये वर्ष की हार्दिक बधाई एडवांस में ,
ReplyDeleteऔर आपके पोस्ट का दिन यानी रविवारजो इस साल का अंतिम है उसे भावभीनी विदाई,
अब नये साल में नये नये विचार,
आएँगे लेकर हर रविवार....और हम पढ़ने को रहेंगे बेकरार..
सुंदर और शानदार .
आपकी कविता.
इंतजार रहेगा नव वर्ष की प्रथम किरण का।
ReplyDeletebahut sunder panktiyo se nav varsh ke intzar ki utsukta badha di hai aapne. bahut sunder.badhayi.
ReplyDeleteनए वर्ष का इंतज़ार है.......
ReplyDeleteओ-हो..नये साल की दुआओं के दिल की पाक खिड़कियों से ख्वाहिशों की धूप की तरह आने के इस दिलकश अंदाज पर भला कौन न निसार हो जाये..
ReplyDeleteजैसे कि..
तुम अपने कमरे की खिड़कियाँ खुली रखना।
चूमकर अधरों को
फैल जाउंगा तुम्हारे कानों तक
मैं धूप बन लिपट जाउंगा
तुम देर तक पीते रहना मुझे
चाय की चुश्कियों में............
और सबसे प्यारा तो यह..
सिगरेट के आखिरी कश सा प्यारा... अंतिम रविवार।
दुआएं हैं कि चाय की यह चुस्कियाँ अगले पूरे साल खतम न हों..
आपको भी नये साल की अग्रिम धूप-नुमा शुभकामनाएं.
Achchhi rachana..
ReplyDeletekano tak faili muskaan kitni bhari masoom or dil se nikli hoti hai.
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeleteshukriya :)
नया साल मंगलमय हो ..बहुत सुन्दर लिखा है आपने ...
ReplyDelete... बहुत सुन्दर, शुभकामनाएं !!!!!
ReplyDeleteHAE DUNIYA BHAR KI BAECHAIN AATMAO IKKATHE HO JAO ... NAYE VARSH MEIN KOI RESOLUTION PASS KRO KI DUNIYA CHAIN SE RAHANA SEEKH SAKE .. KUCH AISA KARO AANE WALI PEEDIYON KI RAHON MEIN KANTE NA BICHHE RAHE JAEIN .. KUCHH AISA KI PYAR KI IS ANTHEEN PYAS KO KOI SOTA MIL JAYE.. JIN MRIG MAREECHIKAON MEIN HUM JEE RAHE HAIN INSE MUKTI MILE
ReplyDeleteसुन्दर कविता. देवेन्द्र जी, हमने हृदय गवाक्ष खोल कर रख्खा है.
ReplyDeletenaye varsh ke aagman me aapki rachna man ko bha gai devendr bhai .
ReplyDeleteusha ki nai kiran ki naye sal me ho aguvai .
shubhkamnaye
अति सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक साधुवाद
तुम देर तक पीते रहना मुझे
ReplyDeleteचाय की चुश्कियों में............
मैं आउंगा बधाई देने नए वर्ष की
तुम अपने कमरे की खिड़कियाँ खुली रखना।
बिलकुल ऐसा ही अहसास है. सुन्दर पंक्तिबद्ध कर दिया आपने.
नववर्ष आपके प्रतिभा को विस्तार दे. काव्य संवेदना चरम को प्राप्त करे.
शुभकामनाये!! शुभकामनाये!! शुभकामनाये!!!
बेहतरीन कविता | हम भी संजो रहे हैं नए वर्ष की पहली किरणों के आने की प्रतीक्षा | आभार |
ReplyDeleteNaye warsh kee aapko bhi anek shubhkamnayen ! Ham to darwazese aayenge!
ReplyDeletevvखुली खिड़की से आती यह भाव भरी शुभकामनायें ---स्वागत है ,यह आने वाला नया वर्ष हम सब के लिए मंगल मय हो ।
ReplyDeleteनया साल मंगलमय हो ..बहुत सुन्दर लिखा है आपने.
ReplyDeleteदेवेन्द्र जी खिड़कियाँ खोल दी हैं ....अब मच्छर या सर्दी ने परेशान किया तो आप जाने ......!!
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनायें..
ReplyDeleteआपके ब्लोग पर पहली बार आकर अच्छा लगा. चित्र बेहद ही बढियां है.
khuli hain khidkiyaan...
ReplyDeleteaapka swaagat hai....
welcome.
मेरी तरफ से भी आपको और सभी पारिवारिक जनों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये, इस नये साल पर आपके लिए इन 12 इच्छाओ के साथ;
ReplyDelete१. दिलों में गहरे अंदर तक खुशी.
२.हर सूर्योदय पर स्थिरता.
३.आपके जीवन के हर मोड़ पर सफलता.
४.आपके पास आपका परिवार.
५.शुभचिंतक मित्र आपके चारों ओर.
६.प्यार जो कभी ख़त्म न हो .
७.आपके पास अच्छा स्वास्थ्य.
८. बीते दिनों की खूबसूरत यादें.
९.आभारी बनने के लिए एक उज्जवल आज.
१०. बेहतर कल के लिए एक अग्रणी मार्ग.
११.सपने जो सच साबित हो .
१२.आप जो भी करे उसके लिए ढेरों सराहनाये मिले .
ब्लॉग का हेडर देख कर अभिभूत हूँ।
ReplyDeleteनव वर्ष की अशेष कामनाएँ।
आपके सभी बिगड़े काम बन जाएँ।
आपके घर में हो इतना रूपया-पैसा,
रखने की जगह कम पड़े और हमारे घर आएँ।
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2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।
बहुत सुंदर अहसास है
ReplyDeleteप्रथम मास के
प्रथम दिवस की
उषा किरण बन का
नववर्ष पर हार्दिक बधाई आप व आपके परिवार की सुख और समृद्धि की कमाना के साथ
सादर रचना दिक्षित
मैं आउंगा बधाई देने नए वर्ष की
ReplyDeleteतुम अपने कमरे की खिड़कियाँ खुली रखना।
देवेन्द्र जी, तपाईलाई स्वागत छ ! कविता निकै राम्रो लाग्यो । नयाँ वर्ष २०१० को उपलक्ष्यमा हार्दिक मंगलमय शुभकामना तपाईलाई !!
जरूर खुली रखेगे ......नव वर्ष की शुभकामनाएं !
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