छुट्टी का दिन था। सुबह का समय था। अचानक से खयाल आया कि आज क्यों न
सुबह की सैर की जाय और जमकर फोटोग्राफी की जाय ! मूड मिज़ाज एक था, इरादा नेक था, मेरे हाथ में कैमरा
और श्रीमती जी के कंधे पर हमेशा की तरह बाहर निकलते वक्त टंग जाने वाला बैग था।
बच्चे बड़े और समझदार हो चुके हैं। हमें देखते ही समझ गये कि आज अम्मा-पापा सुरिया
गये हैं। अपनी दुवाओं के साथ हमें रुखसत किया और हम उछलते-कूदते, चलते-मचलते पहुँच
गये काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित कृषि विभाग के विशाल कंपाउंड में। यहाँ का
नजारा बड़ा मन मोहक है। कहीं गुलाब खिल रहे हैं तो कहीं हरी-हरी धान की बालियाँ
लहलहा रही हैं। कहीं छोटी जुनरी लहक रही है तो कहीं कमल के फूल ही फूल तैर रहे
हैं। भौरों की गुंजन और पंछियों के कलरव का तो कहना ही क्या ! एक कैमरा और नौसिखिये दो फोटोग्राफर । कभी हम उनकी फोटू खींचते कभी वो
हमारी। हम दो ही थे । ये कहिए कि हम ही हम थे । दूर-दूर तक सुंदर प्राकृतिक नजारों
के सिवा और कोई न था। यदा कदा, इक्का दुक्का ग्रामीण दिख जा रहे थे। धूप निकल आई
थी और मार्निंग वॉकर रूखसत हो चुके थे। वैसे भी सभी स्वर्ग में पहुँच ही कहाँ पाते
हैं...! पहुँचते भी हैं तो ठहर कहाँ पाते हैं !! हम तो भई जन्नत की सैर करि आये। लोगों की शिकायत रहती
है कि हम अपनी पोस्ट में तश्वीर नहीं लगाते। हम सोचते हैं कि लिखें तो शब्द बोलें।
तश्वीर लगायें तो तश्वीर बोले, शब्द फीके पड़ जांय। आज फोटू ही फोटू झोंक रहे हैं।
देखिएगा तो मान ही जाइयेगा कि सुबह की सैर में दिलजला भी दिलदार होता है । दिलबर का
साथ हो तो कहना ही क्या !
बहुत ही बढि़या ।
ReplyDeleteतस्वीरें देखकर मन कर रहा है कि हमें भी आपके साथ सुबह सुबह भ्रमण पर जाना चाहिए। चलिए आते हैं।
ReplyDeleteयी तो पूरी शूटिंग हो गयी महराज ...लोकेशन भी नदिया के पार से कुछ कम नहीं -आज तो चित्र ही बोल रहे हैं शब्दों की कौनो ख़ास आवशयकता नहीं है .....
ReplyDeleteगर्ल फ्रेंड के साथ में, हाथ में डाले हाथ |
ReplyDeleteइन्द्र विचरते स्वर्ग में, गोदी में रख माथ |
गोदी में रख माथ, अजी ऐरावत जैसे |
खाने के वे दन्त, छुपा के रक्खे कैसे ??
भेजे सुन्दर चित्र, ये खतम पुराना ट्रेंड |
युगल चित्र की आस, साथ में हो गर्ल फ्रेंड ||
यही रौनक बनी रहे, चित्र देखकर आनन्द आ गया।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर तस्वीरें! ऐसा लगा रहा है जैसे हम भी आप और भाभीजी के साथ सुबह सुबह बर्मन पर निकल पड़े! बहुत बढ़िया पोस्ट!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
बढिया....
ReplyDeleteफुर्सत के पलों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल
मेरे देस में पवन चले पुरवाई और धरती कहे पुकार के.. हर फोटो के साथ एक-एक गाना गूंजने लगा मन में!!
ReplyDeleteबनी रहे जोड़ी...!! उधर पंडित अरविन्द मिसिर जी भी जबरजंग पोस्ट लगाए हैं!! हम तो दुनो को मिलाकर देख रहे हैं भाई!!
सुरिया गये तो क्या ... सुरियाने से ही तो इतने सुन्दर दृश्यों से रूबरू होने का मौका मिला.
ReplyDeleteआप यूँ ही सुरियाते रहें
बेहतरीन ऐसे ही टहलन जारी रहे और हमें भी प्रकृति के दर्शन होते रहें।
ReplyDeleteब्लॉगिंग का फुल मज़ा सैर-सपाटे के साथ....!अइसन फ़ोटू अब कहाँ दिखती हैं ? आँखी जुड़ा गईं !
ReplyDeletedekh kar bahut achcha laga.....
ReplyDeletePurane din laut aye....
aise he ghumte rahiye aur usska anand hamein bhi lene dijiye.......
..
.
.
.
.
.
.
.Aur aapki SEHAT bhi pehle se acchi ho gayi hai....
MATLAB
.
.
.
.
.
.
.
CHARHARI KAYA...........
बढ़िया मस्ती में हो आज महाराज !
ReplyDeleteफोटोग्राफी पसंद आई, मगर सही व्यवस्थित तरीके से नहीं लगा पाए पोस्ट में ! हो सके तो कैप्शन देते हुए दुबारा सैट करें !
नया अंदाज़ पसंद आया ...शुभकामनायें !
यह सैर हो रही है या फोटोग्राफी?
ReplyDeletebadee achhi sair hai
ReplyDeleteदोनो बहुत मस्त हौआ.येक फोटू हाथ मे हाथ डाल के भी हो जाइत तो और अछ्छा लागत.कम - से कम अपन येक औलाद के काहे नाहीं ले गइला ?
ReplyDeleteवाह देव बाबू......सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों के साथ छायाचित्र तो कमाल के हैं |
ReplyDeleteक्या बात है! वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति बधाई
ReplyDeleteयह विश्वविधालय है या किसी गोरी का प्यारा गाँव !
ReplyDeleteवैसे खींचते खिंचाते फोटोग्राफर तो बन ही गए ।
बहुत सुन्दर नज़ारे हैं भाई । बधाई ।
सुना था शादी के बाद पति पत्नी हमशक्ल दिखने लग जाते हैं :)
ReplyDeleteफोटोग्राफ्स आज ही देख पाया हूं आप दोनों बारी बारी से एक दूसरे की नज़र उतार लीजियेगा !
achcha laga aap logon ko dekhkar......
ReplyDeletebadhai or subhkaamnayen..jai hind jai bharat
सही है महाराज, भैरी भैरी गुड मार्निंग भई आप सबकी:)
ReplyDeleteअति उत्तम!
ReplyDeletegood photo with good seen.
ReplyDeleteधान , बजरी और पोखरा को देख - मन तो गाँव आने का हो गया ! सोंचा था छठ में आने को ! पर प्रोग्राम कैंसिल ! पुराणी यादे ताज़ी हो गयी ! आप दोनों को बधाई ! सुबह का सैर स्वास्थ्य बर्धक !
ReplyDeleteवाह ,आनंद ही आनंद है सर जी .
ReplyDeleteआपके साथ- साथ,हमारी भी सैर हो गई,गुफ़्तगू हो गई ज़न्न्ती-नज़ारों से.
ReplyDeleteगज़ब प्रकृति के नज़ारे.
ReplyDeleterochak.............hariyaali ka to jawab nahi............
ReplyDeleteवाह वाह देवेन्द्र जी ... फोटो तो सभी लाजवाब हैं ... मस्त हरियाली निखरी हुयी है ... पर सभी अकेले अकेले क्यों ... लगता है कोई खींचने वाला नहीं मिला ...
ReplyDelete