कल मैने एक कविता पोस्ट की थी...पापा। जिसको आप सब ने खूब पसंद किया। उसी मूड में, उसी दिन, मैने दो कविताएँ और लिखी थीं। जिन्हें आज पोस्ट कर रहा हूँ।
पत्नी
प्रेशर कूकर सी
सुबह-शाम आँच पर
चढ़ती
हवा का रूख देख
खाना पकाती है
दबाव बढ़ते ही
चीखने-चिल्लाने
लगती है
पहली सीटी देते
ही
दबाव कम कर देना
चाहिए
अधिक हीट होने
पर
ऊपर का सेफ्टी
वाल्ब उड़ जाने
या फट जाने का
खतरा बना रहता है
पिचक जाने पर
मरम्मत के बजाय
दूसरे की तलाश
करना
अधिक बुद्धिमानी
है।
............................
पति
एक शर्ट
जो गंदा होने पर
धुल जाता है
सिकुड़ जाने पर
प्रेस हो जाता
है
बाहर स्मार्ट बना
घूमता है
घर में
हैंगर के प्रश्न
चिन्ह की तरह चेहरा लिए
सर पर सवार रहता
है
प्रश्न चिन्ह को
पकड़ कर टांग दो
चुपचाप टंगा
रहता है
दुर्लभ नहीं है
पैसा हो
तो फट जाने पर
दूसरा
बाजार में
आसानी से मिल
जाता है।
......................................देवेन्द्र पाण्डेय।
पति और पत्नी को नए सन्दर्भों से देखने का यह प्रयास प्रसंशनीय है ....!
ReplyDeletekal hi sandhya mam ke blog par isi se milta julta aalekh padhne ko mila or aaj phir se ek nayi paribhasa , wakyi majedar hai,..
ReplyDeletejai hind jai bharat
नया अंदाज़ पसंद आया ...
ReplyDeleteसावधान रहें ...
शुभकामनायें !
:)लेकिन सीटी कैसे धीमी करनी है ..? कोई ट्रेड सीक्रेट हो तो धीमे से इधर भी पास करियेगा :)
ReplyDeleteऔर दूसरी में तो आपने नारीवादियों के मन की कह दी ..
कोई मोल तोल करने आये तो इधर भी भेजिएगा -यह माल भी कब का बिकाऊ है :)
बहुत रोचक प्रस्तुति..
ReplyDeleteकरे आत्मा फिर हमें, अन्दर से बेचैन |
ReplyDeleteढूंढ़ दूसरी लाइए, निकसे अटपट बैन |
निकसे अटपट बैन, कुकर की सीटी बाजी |
समझे झटपट सैन, वहीँ से बकता हाँजी |
गर रबिकर इक बार, कुकर का होय खात्मा |
परमात्मा - विलीन, करे - बेचैन - आत्मा ||
पैसे पर बिकते रहे, तभी तो है यह हाल |
ReplyDeleteमौज अन्य करते रहे, पंडित गुरू दलाल |
पंडित गुरू दलाल, पकड़ शादी करवाए |
कहो गुरू क्या हाल, पूछने फिर ना आए |
फींचा जाता रोज, गजब पटकाता ऐसे |
बकरी वाला कथ्य, हगे मिमिया के पैसे ||
http://www.blogger.com/post-edit.g?blogID=661367040317442003&postID=8149899408205929481
ReplyDeleteवाह क्या अन्दाज है.
ReplyDeleteघरेलु हिंसा कानून लागु होने के बाद मरम्मत की बात सोचना जरा खतरनाक है और दूसरा खरीदना तो उससे भी अच्छा हो कुकर को फटने न दे और पहली सिटी में ही उसे आंच से उतार कर उसे ठंडा रखे | और पति की हालत तो और भी बुरी कर दी आप ने कुकर तो फिर भी दसको तक चलता है और भारत में तो उससे भी लम्बा पर शर्ट की उम्र तो बहुत कम होती है पैसा कितना भी हो पर बदलेगे कितना :)))
ReplyDeletewaaaaaaaaaaaah
ReplyDeleteरविकर जी...
ReplyDeleteभौचक कर देती गुरू, तुकबंदी की चाल
पंखा बन नाचा करें, चौचक तेरा माल।
गजब का अवलोकन, सटीक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteकतई ’यूज़ एंड थ्रो’ फ़ार्मूला:)
ReplyDeleteगजब का विश्लेषण।
ReplyDeleteक्या बात है.....
पत्नी और पति की एक और परिभाषा अच्छी लगी बधाई
ReplyDeleteभाई, अगर कुकर फटा तो शर्ट के इतने चीथड़े उड़ेंगे की प्रेस करवाने लायक न बचेगी !
ReplyDeleteमिसिर जी की तरफ़ दो-चार 'सौदे' ज़रूर भेज देना !
मज़ेदार कबिताई !
ये अदला-बदली की भावना कविताई में आ ही गयी। सही है जी। :)
ReplyDeleteयहाँ तो हिसाब किताब बराबर है कुकर और हेंगर दोनों एक साथ टांग दिए।
ReplyDeleteएक नए अंदाज में सुन्दर रचना
ReplyDeleteबदलने की बडी चाहत है, इतना आसान होता तो सब सुखी ना हो जाते। शादी करने के बाद तो लगता है कि बस यह प्रयोग और नहीं।
ReplyDeleteक्या बात है.....गजब
ReplyDeleteनहीं जी, जो बात पापा कविता में थी वो इनमें नहीं है। बल्कि मेरे हिसाब से ये दोनों बेहद कमजोर हैं।
ReplyDeleteबढिया है !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर. बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteबहुत बढि़या।
ReplyDeletewaah bahut khoob........
ReplyDeleteदूसरी ढूंढोगे, क्यों?...बताऊँ अभी भाभी जी को?
ReplyDeleteआनंद से भर दिया आपने.अच्छी लगी ..
ReplyDeleteअच्छी मरम्मत की है पांडे जी.. कुकर की भी और शर्ट की भी!!
ReplyDeleteपति -पत्नी की परिभाषा तो अज़ब-गज़ब ही है पाण्डेय जी !
ReplyDeleteएक की तलाश करनी पड़ती है ........दूसरा बाज़ार में आसानी से मिल जाता है......क्या कहने !
:-) :-)
ReplyDeleteबढ़िया है देव बाबू अच्छी उपमा है पति पत्नी की |
bas muskura sakti hu:)
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ अपनी अपनी जगह प्रभावशाली हैं ..पर दोनों जगह ही बदलाव की गुंजाईश नहीं है :)
ReplyDeleteबहुत ठीक है,पति और पत्नी का वर्णन.प्रेसर कुकर की तरह वो भी फट जातीं तो दूसरी लाने का अवसर मिल जाता.
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की ११०० वीं बुलेटिन, एक और एक ग्यारह सौ - ११०० वीं बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteकुकर और हैंगर - कमाल है आपका भी !
ReplyDeletevvv
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