हम बहुत परेशान हैं जी। ईर्ष्या और जलन से हमारी छाती फटी जा रही है।
उंगलियों मे खुज़ली हो रही है। जिसे देखो वही लिखे जा रहा है ! सुबह डैशबोर्ड में चार नई
पोस्ट, शाम होते होते चौदह ! पता नहीं
कहां-कहाँ से आइडियाज आ रहे हैं ! यह
हाल तो अपने डैशबोर्ड का है। ब्लॉग एग्रीगेट तो झांका ही नहीं। कोई लिख रहा है फिर
मिटा दे रहा है। कोई लिख रहा है और लोग कह रहे हैं, “मिटाओ- मिटाओ, गंदा लिखे हो !” तो मुस्कुराये जा रहा है। हम नहीं मिटाते का कर लोगे ? कोई मिटाये पर शोर मचा रहा है। कोई धमकिया रहा है। हम फलनवा को बहुते
मारेंगे का कर लोगे ? कोई धमकियाने पर पोस्ट लिखे जा रिया
है। बोल्ड के नाम पर ओल्ड में रोल्डगोल्ड की पालिस लगा कर सोने जैसा चमकिया रहा
है।J
एक ने सपना देखा तो सभी सपने देखने लगे। ए देखो मेरा सपना, ए सुनो
मेरा सपना। ऐसा लगा जैसे रात मे सपनो का बाजार लगता हो ! मन हुआ निकल पड़ें घर से, ले आयें दू चार गो सपना खरीद कर और चेप दें अपने ब्लॉग में।J कई रात
भगवान से मनाये कि हमको भी एक मस्त सपना दिखा दो ताकि पोस्ट लिख कर नाम कमा सकें
मगर हाय ! एगो सपना नहीं आया। L मेरा
साया याद किया तो उनका साया नजर आया J सपनो के मठाधीश ने तो निंदकों को गज़ब
अंदाज में चैलेंज भी दे दिया है ! ओ निंदक, मेरे सब्र का इम्तहान ले ! हमने तो सुना था.. तू मेरे सब्र का इम्तहान मत ले वरना
तेरा मुंह तोड़ देंगे। मगर यह क्या..? तू मेरे सब्र का
इम्तहान ले ! कोई जबरी भी इम्तहान देता है ? इसका मतलब तो यह हुआ कि तू इम्तहान ले हम तेरा मुंह नहीं तोड़ेंगे बल्कि
हर बार पास हो कर दिखायेंगे।J यह तो गज़ब का आत्मविश्वास हुआ ! उनका दावा है कि उनके
जीवन में कई घटनाएं ऐसी घटीं कि जो अनजाने में कह दिया वो घटित हो गया। ऐसा लग रहा
है उन्हें भी निर्मल बाबा की तरह कोई शक्ति प्राप्त हो गई है। वे भी बाबा बनने की
राह में हैं ! इससे पहले लब गुरू थे। दुःखी लबरों को मुक्ति
मार्ग बताते थे। मैने उनसे कह दिया है... मेरे से लब करके मेरे बारे मे गलत ख्वाब
देखना तो कृपया लब मत खोलना। मेरे बारे में अच्छा अच्छा ही बताना। कोई गंदी बात
हुई तो किसी को मत बताना। चार दिन की जिंदगी वो भी नाहक संशय मे कटे।
मेरी खोपड़ी फटी जा रही है। सीने में जलन आँखों में तूफान सा यूँ है
कि सबके पास गज़ब के सनीसनीखेज, भावनात्मक, कमेंट बटोरू आइडियाज आ रहे हैं और हम
हैं कि उन्हें पढ़के उनकी पोस्ट में टिपिया के अपना कीमती समय जाया किये जा रहे
हैं। दूसरे के ब्लॉग में कमेंट करने में आलसी और अपने ब्लॉग में रोज भयंकर-भयंकर,
तिलस्मी, औघड़ी पोस्ट लिखने के आदती ब्लॉगर भी हैं। वैज्ञानिक तरीके से काम की
शिक्षा देने वाले यौन विशेषज्ञ भी यहाँ मौजूद हैं। उन्होने एक पोस्ट डाली फिर आगे
लिखा...अभी तो ये अंगड़ाई है आगे और मलाई है ! जिसे देखो वही लार टपकियाते वहाँ कूदे जा रहे हैं। दो
तीन बार तो मैं ही झांक चुका।J अपनी सारी कविताई चौपट हुई जा रही है। एक
बात पर खोपड़ी ठहरती है तब तक गलती से किसी का ब्लॉग पढ़ लेता हूँ। लोभ है कि
कन्ट्रौले नहीं हो रहा है। ब्लॉग पढ़ा नहीं कि खोपड़िया उधरे घूम जाती है। अपनी
मौलिक सोच गई चूल्हे भाड़ में। दूसरे हैं कि अपना भी लिखे जा रहे हैं दूसरे के
ब्लॉग पर बहुत अच्छा-बहुत अच्छा कमेंट भी किये जा रहे हैं। बड़े ढाँसू-ढाँसू
आइडियाज निकल कर सामने आ रहे हैं। पानी वाला आइडिया तो अपन के पास भी है लेकिन
कमाल के चुटकुले भिड़ रहे हैं। जी टीवी ने निर्मल बाबा को क्या हाई लाइट किया कि
एक बड़े व्यंग्यकार ने खट से एक पोस्ट का जुगाड़ कर लिया। वे भी बाबा बनने की राह
में हैं। अस्टाचार-भस्टाचार मुद्दे से सब उबिया गये लगते हैं। नये नये मुद्दों पर
बहस छिड़ी हुई है।
हमारी खोपड़ी भन्ना रही है। करें तो का करें ! सोचा, चलो..ब्लॉग चर्चा करें। लिंक और नाम एक्को नहीं देंगे। ई तो सबही दे देता
है और आप क्लिकिया के झट से पहुँच जाते हैं। मजा तो तब है जब लिखें हम और लिंक आप
दें J इत्ती मेहनत से पढ़े हैं तब लिख रहे हैं,
आप हैं कि..... अरे ब्लॉग में डूबो तो जानो कि यहाँ किन्ने बड़े-बड़े रणधीरा छुपे
बैठे हैं ! J
भौत मजा आया!...व्यंग्य इतना बढ़िया है कि टिप्पणी में लिखने के लिए शब्द ही नहीं मिल रहे सर!...बहुत बहुत आभार!
ReplyDeleteउत्साहित करने के लिए आपको भी धन्यवाद।
Deleteआज तो हमारा भी सिर भिन्ना गया ... पोस्ट तो पढ़ क\ली आपकी पर लिंक नहीं दे पा रहा हूँ इतनी देर से ... इब क्या करूं ...
ReplyDeleteमज़ा अ गया इस व्यंग का ...
इब दुबारा आइये। कमेंट पढ़कर समझ जायेंगे कि किसकी चर्चा हो रही है।
Deleteप्रिय ईर्ष्यालु , जलनखोर , छातीफाड़न हारे , ब्लागर जी ,
ReplyDeleteआशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि अब आपकी अँगुलियों की खुजाल मिट गई होगी ! दूसरे के सपनों और बाबागिरी की दम पे एक पोस्ट खुद ही लिख डाले इसका धन्यवाद हमें ना सही बाबा यौन शिक्षानन्द जी को ज़रूर दीजियेगा :)
किन्तु आपसे एक शिकायत है कि आपने मेरा साया के साथ न्याय नहीं किया ! कितना ज़ुल्म है जो साया सबका साथ देता है आपने उसका साथ नहीं दिया :)
भगवान निर्मलानन्द जी आपको साया द्रोह के लिए कभी क्षमा नहीं करेंगे :)
वाह! वाह! मतलब व्यंग्य असरकारी है। ..आभार आपका :)
Deleteसरकारी लोग असरकारी काम करें ! ये अच्छीsss बाsssत नईं है :)
Deleteछातीफाड़न हारे शब्द नोट किया जाए....!
Deleteबिना लिंक दिए ब्लॉग चर्चा कर डाले ... इ आईडिया आया कहाँ से, काहें झूठ बोलते हैं कि आपको कोई सपना नहीं आया. जरूर इ आईडिया सपने में ही आया होगा.
ReplyDeleteअभी तो ये अंगड़ाई है .. आगे और मलाई है' इस मलाई के चक्कर में तो आप पड़े हैं तभी तो तीन बार चक्कर लगा आये हैं और तुर्रा ये कि दोष हमें ही दी रहे हैं. आत्मा बेचैन हो कोई बात नहीं पर अंतरात्मा को तो इतना बेचैन न कीजे.
मस्त .... जय हो
अपनी तो एक्कै आत्मा है। दो होती तो क्या मजा रहता! एक भाग जाती तो दूसरी को पकड़ के बैठा लेता।:) Its a new Idia Sir ji! thank u.. very much.
Deleteगुरु बहुत अच्छा लिखे हैं |
ReplyDeleteशुक्रिया।
Deletewhat an ideia devender ji
ReplyDeleteThanks.
Deleteलिंक ना देने में ही भलाई है...
ReplyDeleteहाँ.. सही कह रही हैं। क्या पता कौन नाराज हो जाय! इसीलिए नहीं दिया:)
Deleteलिंक देने में ऐसा भी क्या डरना ! भला वेब तरंगों पे चढ़ कर कौन किसका क्या बिगाड़ लेगा :)
Deleteआपकी इस पोस्ट की चर्चा कल सुबह सुबह चरचा परचा खरचा मंच पर की जा रही है।
ReplyDelete*
जब आपने लिंक नहीं दी तो हम क्यों दें।
लिंक आप नहीं दिये तो क्या ! चरचा परचा खरचा मंच के दूसरे ब्लॉगर हमें लिंक दे ही देंगे। आप वहाँ आइयेगा जरूर मेरा उत्तर पढ़ने:)
Deleteव्यंग्य से अपनी बात कहना भी कला है , बधाई
ReplyDeleteहाँ, बड़ा कलाकार होता तो पूरी कलाकारी करके बताता क्या क्या खला है:)
Deleteहा हा हा एक घर तो डायन भी छोड़ देती है -आप तो डायन से भी गए गुज़रे निकले ..करीबी दोस्तों तक नहीं बख्शा -मगर आपको उनका शुक्रगुजार होना चाहिए एक घेलुआ की पोस्ट जुगाड़ गयी :) अब अपनी वाली भी लिख डालिए ..कविता ओविता ! :)
ReplyDeleteइसे करीबी दोस्तों पर किये जाने वाले स्नेह का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाना चाहिए। :)
Deleteअरविन्द जी ,
Deleteकरीबी दोस्तों को नहीं बख्शने में ही भलाई है क्योंकि वे दोस्ती निभा ले जायेंगे , जबकि करीबी दुश्मनों को नहीं बख्शने से खतरा ज्यादा है , ये बात देवेन्द्र जी अच्छे से जानते हैं :)
इस पोस्ट पर क्या कमेन्ट करूँ .....आप ही बताइए ...!
ReplyDeleteजी, केवल राम जी। यह कोई सार्थक गंभीर आलेख नहीं है। मेरे विचार से इस पोस्ट पर सही कमेंट यह होना चाहिए...
Delete........
अच्छा अभी रहने दीजिए, बाद में बतायेंगे। वरना जो पढ़ेगा वह मेरे ही कमेंट को दोहराकर मेरी बोलती बंद कर देगा।:)
@ केवल राम ,
Deleteआप तो " केवल हे राम " कह कर भी जा सकते थे :)
बहुत सुन्दर वाह!
ReplyDeleteआपकी इच्छा के सम्मान में एक लिंक जिसमें 5 लिंक पोशीदा हैं पहले शब्द से ही
See
1- यौन शिक्षा देता है बड़ा ब्लॉगर
2- http://allindiabloggersassociation.blogspot.com/?ext-ref=comm-sub-email
जी धन्यवाद। मुझे पूरी उम्मीद थी। आप कभी आते नहीं, मौके पर आ ही गये :-) ....आभार।
Deleteएक नई कहावत है कि ‘शब्द शब्द पर लिखा है पढ़ने वाले का नाम‘
Deleteसो आपकी यह उत्तम रचना बांचना हमारे भाग्य में था सो आना हो गया।
धन्यवाद !
आप एक कविता लिख डालिए ब्लॉग पर। शब्दों का चयन गूगल बाबा से खोजिएगा। फिर देखिएगा कितना हिट और कितना हित होता है।
ReplyDeleteबड़ी नेक सलाह दी आपने..शु्क्रिया। वैसे आपको जानकारी के लिए बता दें कि जिन शब्दों की ओर आपका संकेत है उसकी नई खेप गूगल बाबा को बनारस से सप्लाई की जाती है। सो बनारसी लोग उन शब्दों के लिए गूगल बाबा के मोहताज नहीं हैं। कहाँ औऱ कैसे चयन करना है यह बेहतर जानते हैं..इसीलिए शब्दों की सप्लाई करके भी गुदगुदा के चले जाते हैं, पाने वाले को जरा भी दर्द नहीं होता।:)
Deleteचर्चा में नहीं दिए गए सभी लिंक लाजवाब हैं...मेरी पोस्ट का लिंक न देने के लिए आभार...
ReplyDelete
जय हिंद...
एक साथ कितने से पंगा ले पाते सर जी ? आपको अपने ब्लॉग मे देखने को आँखें तरस गई थीं। ...टेस्ट की जानकारी देने के लिए आपके आभारी हुए :)
Deleteपाण्डेय जी!
ReplyDeleteइन्डीभिजुअल पोस्ट से आइडिया जुगाड़ने के बजाये सब्भे ब्लॉग से कलेक्टिभ आइडिया निकालकर अच्छी जलन मिटाई है आपने.. ऊपर वाला भी जल बरसाने लग पड़ा मगर आप हैं कि न बुझे है किसी जल से ये जलन वाले अंदाज़ में हैं!!
'बेचैन आत्मा' बने खुद घूमते हैं और बदनाम करते हैं हम जैसे ओरिजिनल आइडिया(चोरों)को.. समझ लीजिए कि आज आख़िरी बार आये हैं आपके पास... अब कल आवेंगे देखनए कि आप का कहे हैं!!
ई नया आइडिया तो हिट हो गया लगता है। अब लोग जब जब बवाल करेंगे हम धमाल मचायेंगे।
Deleteब्लॉग चर्चा बिना लिंक की बहुत सार्थक रही .... वैसे काफी लिंक इशारों में बता ही गए .... चलिये जलन से एक पोस्ट तो ठेल ही दी :):)
ReplyDeleteहा हा हा ...गज़ब मस्त कमाल.
ReplyDeleteआपने तो सर की भन्नाहट बड़ी सरलता से निकाल दी, हम क्या करें।
ReplyDeleteआप तो नकल पर पी0एच0डी0 कर चुके हैं। हम आपके का सलाह दे सकते हैं:)
Delete@ वे पहले लब गुरु थे :)
ReplyDeleteपहले मैंने सोचा ये टंकण की त्रुटि होगी जो अप 'लव' गुरु को 'लब' गुरु कह रहे हैं फिर लगा कि शायद आप 'लव' को 'लब' से शुरू मानकर कर इसे एक दूसरे के पर्याय कह रहें हों :)
ई अंग्रेजों का लव भी तो लब से ही शुरू होता है।:) दिल्ली से चला लव यूपी मे लब और बिहार जाते जाते लभ हो गया है।
Deleteऔर बंगाल पहुंचते-पहुँचते "लोभ" हो जाता है!!
Deleteहा...हा..हा..अपनी पहुँच बिहार तक ही थी:)
Delete'sabdhan'.....yahan 'luv...lub..lubh...love....bole to labheria'
Deleteke vyrus dikhai de rahe hain......
bakiya 'vyang' jandar raha.....
pranam.
:) हाहाहा
Deleteजबर्दस्त.... रोचक और सार्थक.... मजा आ गया...
ReplyDeleteसादर।
बहुत सुन्दर वाह!
ReplyDeleteवैसे तो आप सबके उस्ताद निकले....तरह-तरह लेकिन अपने मौलिक-ओलिक आइडियाज़ लेकर लिखने वाले लोगों को आपने उन्हें ही मिक्स कर खिचड़ी पका दी.अगर ऐसे लोग दाल-भात न बनाते तो बनारसी खिचड़ी कैसे बनती ?
ReplyDelete....बकिया,एक बड़ा तबका यह भी है यहाँ कि अगर आप किसी मुद्दे को पकड़ते हो तो अनजाने में कुछ मित्र भी खिसक जाते हैं,तो कुछ लोग एक ही मुद्दे को लेकर माठा किये हुए हैं.
...इस समय सपने देखना और उन पर चर्चियाना ज़्यादा अहम हो गया है,बनिस्पत हकीकत में जो ब्लॉग-जगत में हो रहा है इसके.तुलसी बाबा ने ऐसे लोगों के लिए ही बचने का रास्ता पहले ही निकाल दिया था,'मूंदहु आँख कतहुँ कोउ नाहीं' !
यह आपकी खुशकिस्मती है कि आपके खीसे में बहुरंगी जमात मौजूद है ,इसके मज़े लेते रहें !
मेरे मित्र खिसकने वाले नहीं है संतोष जी। आलोचना का मजा लेना खूब जानते हैं। अब आप को ही लें.. देर आये दुरूस्त आये :)
Deleteयह संसार ही बहुरंगी जमात है। क्या ही अच्छा हो जो सभी खुल कर मत भेद प्रकट करें मगर मन गांठ न पालें, हो जाय तो सुलझाते चलें :)
भाई,आपकी पोस्ट तभी नज़र आई जब यौन-विशेषज्ञ पंडितजी ने याद दिलाई !
Deleteनजूमी साब ने भी नहीं बताया !
:-) हा हा हा ...क्या बात है, आज तो अपने सभी के मन कि बातें लिख डाली बहुत ही बढ़िया व्यङ्गात्म्क प्रस्तुति आभार।
ReplyDeleteइस बहाने ब्लॉग जगत को चर्चा के लिए मसाला तो मिला न ?
ReplyDeletebadiya hai sir ji....hhum to aapki hi baat par amal karte hue in charchaon aur aise lekho se uchit doori bana kar rakhte hain idhar kuch dino se blog par sakriyta bhi kam hai isliye samjh nahi paye ki vaar kidhar kidhar hue hain.
ReplyDeleteनो कमेन्ट!
ReplyDeleteहम दो दिन बाहर रहे , आपने तो चर्चा के झंडे गाड़ दिए । :)
ReplyDeleteहर बार कोई नया पैंतरा ढूंढ लाते हो भाई ।
यह अंदाज़ भी खूब रहा ।
chinta na karo bhai sahib..upar wala sab dekhta hai..abhi aapki kripa ruki hai bas ek 2000 ka cheque kaat kar rakhna address baad mein note kara lenge...cheque kaatte hi aapki ruki kripa aani shuru ho jaayegi.. ab der nahi karna.
ReplyDeleteआप की बात में सच्चाई भी है और व्यंग्य भी........
ReplyDeleteइसी कारण तो मेरा मन भी ब्लागिंग से उखड़ जाता है। लेकिन फिर लौट आता हूँ...
सुन्दर प्रस्तुति... बहुत बहुत बधाई...
कल देर रात ही पढ़ा था, सिर्फ़ हाजिरी लगा लीजिये अभी। रात को लौटकर फ़िर से तीसरी बार पढ़ूंगा। तब तक उस गाने को ही हमारा कमेंट मान लिया जाये - तू चीज बड़ी है मस्त-मस्त।
ReplyDeleteबिना लिंक दिए सबको लपेटते अच्छी व्यंग्य चर्चा करती पोस्ट!
ReplyDeletejabardast lekh...abhi kuch hi din se kuch aise blogs par pahunchi jahan jabardast ghamashan ho raha hai...particular bloggers par hi posts ban rahi hai...jab shuru mein blog world mein aayi thi to bahut jyada achcha laga..aisa laga real world se kuch to alag hai yahan par dheere dheere pata chala yahan bhi vahi sab hota hai jo hamare gali muhalle mein chalta rahta hai...nispaksh aur nidarta se sahi muddon ko uthane vale kam aur apni bhadas nikalkar nafrat failane vale jyada hai
ReplyDeleteछुपि-छुपि बइठे बड़े रणधीरा
ReplyDeleteकाशी में छाती पीटैं रघुबीरा।।
ब्लॉग जगत में छाये चिरकुटवा
सजी दुकनिया में बइठे निरमलवा।।
सपने में देखैं ब्लॉग कबीरा
काशी में छाती पीटैं रघुबीरा॥
लगता है ब्लॉग में बहुत समय गवां रहे हैं आप.घूमिये-घामिये,नाचिये-कुदीये,स्वास्थ भी अछ्छा रहेगा.
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