एक व्यक्ति नदी में डूब रहा था और मदद के लिए बार बार हाथ हिला रहा था.. दूर पुल पर से गुजारते ने उसे देखा और मुस्कुराते हुए अपना हिलाकर चिल्लाया - एन्जॉय डूड!! मतलब ये कि अगर आपके पोस्ट का समय न देखें तो पता ही न चले कि ये उदित होता सूर्य है कि अस्त होता हुआ.. लेकिन समय के अलावा एक और प्रमाण है इस बात का कि यह उदीयमान सूर्य है.. अंतिम तस्वीर में सूर्य स्वयं प्रकट होकर अपनी बाहें फैलाए कह रहा है: मर्त्य मानव की विजय का तूर्य हूँ मैं, उर्वशी! अपने समय का सूर्य हूँ मैं.
सलिल भैया, यह उगते सूरज की तस्वीरें हैं यह पता चल रहा है। तस्वीरों पर क्लिक करके, बड़ा करके भी देख सकते हैं। पहली तस्वीर में ओस की बूँदें साफ दिखाई देंगी। दूसरी से भ्रम हो सकता है। तीसरी की चमक सूर्य की रश्मियाँ ही प्रदान कर सकती हैं। जब इतने में उगता सूरज है तो एकाध संदेह भी मिट सकता है। लेकिन मुझे लग रहा है कि आपने अंतिम शानदार पंक्तियों के लिए उगते और अस्त होते सूरज की बातें लिखकर जमीन तैयार की है। जैसे अस्तित्व को, परम पिता परमेश्वर को भी सूर्य को उगता हुआ दिखाने के लिए धरती बनानी पड़ी होगी।
सूर्योदय और सूर्यास्त की तस्वीरों में फर्क करना बहुत आसान है. सूर्यास्त के समय आसमान अधिक चमकीला नारंगी होता है, किन्तु सूर्यास्त के समय आकाश में कालिमा अधिक होती है. इसीलिये सूर्यास्त की तस्वीरें अधिक आकर्षित करती हैं, लेकिन सूर्योदय के चित्र शान्ति प्रदान करते हैं.
सभी छाया चित्र बहुत ही अच्छे हैं किंतु मुझे ओस की बूदों वाले चित्र कुछ अधिक ही अच्छे लगते हैं। कभी-कभी इन बूदों पर पड़ने वाली किरणों से इन्द्रधनुषी रंगों की छटा और भी आकर्षक बन पड़ती है। कभी प्रयास करके देखियेगा। धान और बाजरा ....फसल पकने पर समाचार दीजियेगा। पहले भी आपके ऊपर लिट्टी-चोखा बाकी है।
बहुत ही अच्छी तस्वीरें ...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत. पूरा एक साल हो गया कंक्रीट के जंगल से बाहर निकले. ऐसे में ऐसी तस्वीरें कितनी शान्ति प्रदान करती हैं.
ReplyDeletenice photos..
ReplyDeleteअहा,
ReplyDeleteबसें प्रकृति के मध्य आज हम..
...पहली, दूसरी बहुत प्रभावी सीन है...आखिरी वाली में आप हमें बुला रहे हैं ।
ReplyDeleteएक व्यक्ति नदी में डूब रहा था और मदद के लिए बार बार हाथ हिला रहा था.. दूर पुल पर से गुजारते ने उसे देखा और मुस्कुराते हुए अपना हिलाकर चिल्लाया - एन्जॉय डूड!!
ReplyDeleteमतलब ये कि अगर आपके पोस्ट का समय न देखें तो पता ही न चले कि ये उदित होता सूर्य है कि अस्त होता हुआ.. लेकिन समय के अलावा एक और प्रमाण है इस बात का कि यह उदीयमान सूर्य है.. अंतिम तस्वीर में सूर्य स्वयं प्रकट होकर अपनी बाहें फैलाए कह रहा है:
मर्त्य मानव की विजय का तूर्य हूँ मैं,
उर्वशी! अपने समय का सूर्य हूँ मैं.
सलिल भैया, यह उगते सूरज की तस्वीरें हैं यह पता चल रहा है। तस्वीरों पर क्लिक करके, बड़ा करके भी देख सकते हैं। पहली तस्वीर में ओस की बूँदें साफ दिखाई देंगी। दूसरी से भ्रम हो सकता है। तीसरी की चमक सूर्य की रश्मियाँ ही प्रदान कर सकती हैं। जब इतने में उगता सूरज है तो एकाध संदेह भी मिट सकता है। लेकिन मुझे लग रहा है कि आपने अंतिम शानदार पंक्तियों के लिए उगते और अस्त होते सूरज की बातें लिखकर जमीन तैयार की है। जैसे अस्तित्व को, परम पिता परमेश्वर को भी सूर्य को उगता हुआ दिखाने के लिए धरती बनानी पड़ी होगी।
Deleteसूर्योदय और सूर्यास्त की तस्वीरों में फर्क करना बहुत आसान है. सूर्यास्त के समय आसमान अधिक चमकीला नारंगी होता है, किन्तु सूर्यास्त के समय आकाश में कालिमा अधिक होती है. इसीलिये सूर्यास्त की तस्वीरें अधिक आकर्षित करती हैं, लेकिन सूर्योदय के चित्र शान्ति प्रदान करते हैं.
DeleteIn fact the best photograph is in the blog header.
ReplyDeleteSun glow on face, background of dull green and greyish blue sky - a sublime effect.
ya! such type of photo.. is realy God gift. thanks.
Deleteसभी छाया चित्र बहुत ही अच्छे हैं किंतु मुझे ओस की बूदों वाले चित्र कुछ अधिक ही अच्छे लगते हैं। कभी-कभी इन बूदों पर पड़ने वाली किरणों से इन्द्रधनुषी रंगों की छटा और भी आकर्षक बन पड़ती है। कभी प्रयास करके देखियेगा।
ReplyDeleteधान और बाजरा ....फसल पकने पर समाचार दीजियेगा। पहले भी आपके ऊपर लिट्टी-चोखा बाकी है।
nice pics.................
ReplyDeleteखूबसूरत तस्वीरें !
ReplyDeletebehtreen tasveeren ek se badhkar ek devender ji
ReplyDeleteबहुत सुंदर तस्वीरें ...!!
ReplyDeleteDosri Tasveer Visesh Roop se Pasand aai
ReplyDeleteबहुत सुन्दर तस्वीरें।
ReplyDeleteअब कैसे खुल गये रास्ते कहने के
ReplyDeleteसुबह से बंद क्यों चल रहे थे?
गूगल गुगली कर रहा होगा