पोखरा नेपाल का बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। वर्षा के मामने में इसे आप भारत का चेरापूँजी कह सकते हैं। हिमालय, झरनों और झीलों की सुंदरता के मामले में अद्वितीय है। मैं चारों ओर पहाड़ों से घिरे इस खूबसूरत घाटी की भोगौलिक लम्बाई-ऊँचाई या क्षेत्रफल की बात नहीं करना चाहता। गूगल में सर्च करके यह सब जाना जा सकता है। ढूँढकर लिख भी सकता हूँ लेकिन यह तो बस मगज़मारी हुई। मैं तो बस इसकी प्राकृतिक सुंदरता की बातें करना चाहता हूँ और यहाँ की कुछ तस्वीरें दिखाना चाहता हूँ।
गोरखपुर से 97 किमी दूर नेपाल बार्डर है सुनौली। यहाँ से पोखरा के लिए बसें मिलती हैं। पोखरा यहाँ से लगभग 260 किमी दूर होगा। यहाँ से पोखरा जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक अधिक घुमावदार पहाड़ी मार्ग जो स्यांग्जा होते जाता है तथा दूसरा नारायण गढ़, मुंग्लिंग होते । मैं नारायण गढ़ वाले मार्ग से गया। सुनौली से नारायण गढ़ (बीच में एक पहाड़ी पार करने के बाद) लगभग 100 किमी का सीधा सपाट तराई मार्ग है। नारायण गढ़ में रात्रि विश्राम के बाद सुबह पोखरा के लिए बस में बैठा। मैं अकेला था और मेरे हाथ में मेरा कैमरा। नारायण गढ़ से मुग्लिंग तक बस नारायणी नदी के किनारे-किनारे चलती है। यह रास्ता भी अधिक घुमावदार नहीं है। दायें पहाड़ ,सामने सड़क और बायें तेज धार में बहती पहाड़ी नदी। रास्ते में बस एक स्थान पर यात्रियों को खाना खिलाने के लिए रूकी। मेरे पेट में भूख नहीं, आँखों में वहाँ के नज़ारों को कैद करने की प्यास थी। बस से उतरते ही एक लड़का सड़क के किनारे-किनारे चलता दिखाई दिया। सामने नदी बह रही है।
पोखरा पहुँचने पहले यहीं से प्राकृतिक सुंदरता आपके सफर की थकान को पल में दूर कर देती है। रास्ते भर आप खिड़कियों से बाहर झांकते, अपलक इन पहाड़ों की सुंदरता को देखते हुए चलते जायेंगे। मैं कुल्लू से मनाली तक कार से गया हूँ। यहाँ का सफर भी वैसा ही खूबसूरत है।
यह चलते बस से खींची गई तस्वीर है। नजदीक का पत्थर आपको भागता हुआ दिखाई देगा। मुग्लिंग तक ऐसे ही बस नदी के किनारे-किनारे चलती है और आपको रास्ते का पता ही नहीं चलता। लगता है यहीं कहीं पहाड़ों में घर बनाकर रहा जाय तो कितना अच्छा हो! दूसरे ही पल पहाड़ों की कठिन जिंदगी का खयाल आता है और मन उदास हो जाता है।
सोचिए, जब चलती बस से इतनी खूबसूरत तस्वीरें खींची जा सकती हैं तो बस रूकी हो और दमदार कैमरा हो तो फिर यहाँ के नजारे कितने खूबसूरत दिखेंगे!
मुग्लिंग में जाकर रास्ते दो भाग में बंट जाते हैं। सीधे काठमांडू चला जाता है और बायें पोखरा। दोनो की दूरी यहाँ से लगभग समान है। काठ के मार्ग में मुंग्लिंग से 4-5 किमी की दूरी पर मनकामना देवी का प्रसिद्ध मंदिर हैं जहाँ जाने के लिए रोप वे की सुविधा उपलब्ध है। सुना कि इस मंदिर तक जाने के लिए रोप वे का सफर सबसे खूबसूरत है। मैं पोखरा की बस में सवार था इसलिए यहाँ नहीं जा पाया। एक बात समझ में आई कि इस पहाड़ी सफर का आनंद अपनी गाड़ी से चलने पर दुगुना हो जाता।
मुग्लिंग से आगे का मार्ग भी कम खूबसूरत नहीं है। ऐसे नजारे भी देखने को मिलते हैं..
और ऐसे भी...
सफर की सुंदरता का यह आलम था! मंजिल की कल्पना मुझे रोमांचित किये जा रही थी।
क्रमशः
hamko bhi yatra kra di aapne abhar
ReplyDeleteSafar to nahee karti...padh ke safar ka aaaaaanad aa gaya!
ReplyDeleteये जो नीचे वाला लास्ट फोटो है ये गजब है मैने पहली बार इस तरह के ढालदार खेत देखे । इंतजार रहेगा आपकी अगली पोस्ट का
ReplyDeleteआपने पहली बार देखे!तब तो मेरा श्रम सार्थक हो रहा है।
Deleteफोटो तो सारी गज़ब हैं! कैमरे से ब्लॉगिंग जम रही है!
Deleteकमाल है ! अकेले ही निकल पड़े नेपाल की यात्रा पर !
ReplyDeleteलगता है यह कैमरा तो सौत बन गया होगा किसी का ! :)
पोखरा की खूबसूरती देखने का इंतजार रहेगा.
चौथा फोटो बड़ा दिलचस्प है.
टिप्पणी कहाँ जा रही हैं .
ReplyDeleteबेहद खुबसूरत चित्र और उतना ही सुन्दर विवरण
ReplyDeleteबहुत सुंदर नज़ारे .....
ReplyDelete.....सब चित्र सुन्दर हैं पर आखिरी वाला अद्भूत है। ढालदार खेत...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्र, आनन्ददायक यात्रा रही होगी आपकी यह..
ReplyDeleteवाह मज़ा आ गया......इतना सुहाना सफ़र........आगे का इंतज़ार रहेगा ।
ReplyDeletevery nie tour.The child looks cut.
ReplyDeleteइसे यात्रा-वृत्तांत कहूँ या फोटो फीचर... या एक संवेदनशील कविमना, छायाचित्रकार की रचना है या फिर नेपाल के ब्रांड-एम्बैसेडर का बयान!! प्रकृति के इस नायाब भूभाग का सम्मोहित करने वाला दृश्य!!
ReplyDelete.
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खुद पहाड़ी हूँ, इसलिये पहाड़ तो काफी देखे हैं मैंने, मुझे व्यक्तिगत तौर पर केदारनाथ के रास्ते सी सुंदरता बहुत कम देखने को मिली, पोखरा भी एक बार जाने का मन है, ठीकठाक होटल-बाजार तो हैं न वहाँ ?
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बहुत सुन्दर चित्र
ReplyDeleteवाह सुंदर यात्रा चित्रण.पांडेय जी आपने मुझे अपने कॉलेज के दिन की याद दिला दी जब हन गोरखपुर से पोखरा घूमने गये थे, उसकी सभी सुखद व सुंदर स्मृतियाँ ताजा हो गयीं।
ReplyDeleteवाह खूबसूरत नज़ारे ...आभार
ReplyDeleteजल कितना साफ़ ओर निर्मल दिखाई दे रहा है ...
ReplyDeleteकई कई यादें ताज़ा हो गयीं अपनी भी ...