आज बनारस लौट आया हूँ। यात्रा के बारे में थकान मिटने के बाद ही लिख पाउँगा। अभी तो हैडर और सूर्योदय का आनंद लीजिए।
सरांगकोट, पोखरा-नेपाल की पहाड़ी से सूर्योदय का दृश्य। हेडर का चित्र भी उसी समय का है। जिसमे अन्नपूर्णा हिमालय की चोटियाँ दिख रही हैं। इस हिमालय की चोटी को 'माछा पुछ्रे' कहते हैं। माछा पुछ्रे मतलब मछली की पूँछ। इन्हीं पहाड़ियों में और ऊँचाई पर जाने पर एक स्थान ऐसा है जहाँ से बीच वाली चोटी दो फाँक में ऐसी बटी दिखलाई पड़ती है मानो स्वर्ग से एक बड़ी मछली औंधे मुँह धरती पर आ गिरी है और उसकी पूँछ ही दिखाई दे रही है। ये ठीक दिवाली के दिन खींची गई तस्वीरें हैं।
चलिए इंतज़ार करते हैं !
ReplyDeleteभई वाह , मै तो चित्र देखकर ही भाव विभोर हो गया हूं विवरण का इंतजार रहेगा
ReplyDeleteक्या बात है...!
ReplyDeleteवाकई ! हैडर और सूर्योदय , दोनों खूबसूरत हैं !
ReplyDeleteदेवेन्द्र भाई! बस मनमोहक है यह दृश्य, जिसे देखकर उस चित्रकार को (और आप जैसे छाया कार को) धन्यवाद कहने की इच्छा होती है. एक बार दिल्ली से पटना जाते समय हवाई जहाज से इन चोटियों का और इस सूर्योदय का आनन्द लिया था. बनारस आगमन पर सुस्वागतम और यात्रा वृत्तान्त की प्रतीक्षा रहेगी!
ReplyDeleteदोनों ही तस्वीरें बेहतरीन |
ReplyDeleteஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
ब्लॉग जगत में नया "दीप"
ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
थकान दूर कल्लिजीइये फ़िर आगे की कहानी सुनाईये।
ReplyDeleteसुन्दर दृश्यावली है, धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दृश्य...हिमालय को छूने का मन कर रहा है....
ReplyDeleteअहा..प्रकृति..
ReplyDeleteबहुत सुंदर दृश्य
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सुकुनभरा दृश्य ...
ReplyDelete:-)
बेहतरीन और शानदार।
ReplyDeleteसूर्योदय वाली तस्वीर हाइगा के लिए ले लिया|
ReplyDeleteफोटो लाजवाब हैं,मगर सुर्योदय के फोटो में माछापुछ्रे नहीं दिखाई देता,उसके ऊपर वाले फोटो में शानदार तरीके से दिख रहा है.
ReplyDelete