फिर पसीना
पोछ कर
पढ़ने लगा
उनके शहर में
आज फिर
बारिश हुई!
देखा है हमने
अपने शहर से
बादलों को
रूठकर जाते हुए
औ. सुना है..
देखा है तुमने
बादलों को
झूमकर
गाते हुए!
कहो न!
क्या सच में
तुम्हारे भी शहर में
बारिश हुई!
यार!
बिजली भी नहीं
अपने शहर में
इनवर्टर बुझ जाये कब
पता नहीं है
तपता रहा
धूप में
दिन भर यहाँ
उतार कर
फेंके हुए शर्ट से
श्वेत चकत्ते
हँस रहे
मुझ पर
झर रहे हैं
स्वेद कण
अब भी
और तुम
लिखते हो कि
मौसम सुहाना है!
झूठ मत बोलो, बताओ
क्या सच में
तुम्हारे ही शहर
बारिश हुई!
यार!
जब बारिश हुई तो क्या,
सूँघ पाये
उस सोंधी सुगंध को
जो निकलती है धरा से
पहली बारिश में!
महसूस भी कर पाये
खुशबू जरा सी
जो बिखरती है हवा में
बाट जिसकी जोहते थे
पागलों की तरह
हर साल हम!
क्या
भीग पाये बारिश में?
या ओढ़ छाता
खरीद कर
आलू-नेनुआ
डांटते हुए बच्चों को
घुस गये
घर में
बाबूजी की तरह!
झूठ लगती हैं मुझे
बातें तुम्हारी
भीगे नहीं होगे
तुम अभी, पूरी तरह
देखकर छींटे जरा सी
चीखते हो क्यूँ?
आज मेरे शहर
बारिश हुई!
फिर पसीना
पोछ कर
पढ़ने लगा
उनके शहर में
आज फिर
बारिश हुई!
.........
पोछ कर
पढ़ने लगा
उनके शहर में
आज फिर
बारिश हुई!
देखा है हमने
अपने शहर से
बादलों को
रूठकर जाते हुए
औ. सुना है..
देखा है तुमने
बादलों को
झूमकर
गाते हुए!
कहो न!
क्या सच में
तुम्हारे भी शहर में
बारिश हुई!
यार!
बिजली भी नहीं
अपने शहर में
इनवर्टर बुझ जाये कब
पता नहीं है
तपता रहा
धूप में
दिन भर यहाँ
उतार कर
फेंके हुए शर्ट से
श्वेत चकत्ते
हँस रहे
मुझ पर
झर रहे हैं
स्वेद कण
अब भी
और तुम
लिखते हो कि
मौसम सुहाना है!
झूठ मत बोलो, बताओ
क्या सच में
तुम्हारे ही शहर
बारिश हुई!
यार!
जब बारिश हुई तो क्या,
सूँघ पाये
उस सोंधी सुगंध को
जो निकलती है धरा से
पहली बारिश में!
महसूस भी कर पाये
खुशबू जरा सी
जो बिखरती है हवा में
बाट जिसकी जोहते थे
पागलों की तरह
हर साल हम!
क्या
भीग पाये बारिश में?
या ओढ़ छाता
खरीद कर
आलू-नेनुआ
डांटते हुए बच्चों को
घुस गये
घर में
बाबूजी की तरह!
झूठ लगती हैं मुझे
बातें तुम्हारी
भीगे नहीं होगे
तुम अभी, पूरी तरह
देखकर छींटे जरा सी
चीखते हो क्यूँ?
आज मेरे शहर
बारिश हुई!
फिर पसीना
पोछ कर
पढ़ने लगा
उनके शहर में
आज फिर
बारिश हुई!
.........
इंतज़ार कीजिये बारिश जरुर होगी !
ReplyDeletelatest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
पहली बारिश के बहाने कई यादें ताज़ा कर गई आपकी ये रचना ...
ReplyDeleteकई चित्र केनवस पे उभर आए ...
हमारे यहां तो मान्सून आ पहुंचा है, आपके यहां भी आता ही होगा, सुंदर रचना.
ReplyDeleteरामराम.
बढ़िया .....
ReplyDeleteपूरी रचना एक साथ पढना अच्छा लगा..
अनु
प्रवाहमय सुंदर रचना,बढ़िया प्रस्तुति ,,,
ReplyDeleterecent post : मैनें अपने कल को देखा,
होगी बरिश , और इस बार सब भींग भी लेगें ! :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteवाह, बहुत खूब..
ReplyDeleteमौसमों की राह नही तकती बदली
ReplyDeleteमेरी पलकों में छुप जाती है
जब भी उसका मन चाहे
बिन मौसम ही बरस जाती है...
धन्यवाद।
ReplyDeleteधन्यवाद।
ReplyDeleteवर्षा , बरखा , नेहा , मेघा -- सब दुःख देती हैं। :)
ReplyDeleteजो भी हो बारिश का बेकरार इंतज़ार है
ReplyDeleteआ रही है वह ,आहट आने लगी,कभी भी झमकती आ खड़ी होगी सिर पर !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteबारिश की आहट आई तो है ......बहुत सी यादों को समेटे सुंदर रचना
ReplyDeleteआपने लिखा....हमने पढ़ा
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 13/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
बहुत सुन्दर ,.
ReplyDeleteआज बरसी है बदली
ReplyDeleteआती चली जाती थी
बूंदें गिरी और बह गईं
सोंधी खुशबु नहीं मिली
बहुत सुन्दर रचना... शुभकामनायें
वाह क्या बारिश हुई है उनके शहर में ही सही । य़हां भी होगी और आप मुस्कुरायेंगे, कि मेरे शहर में भी आज बारिश हुई ।
ReplyDeleteवाह.......अति सुन्दर ......
ReplyDeleteवाह... बारिश के बहाने सम्वाद... सुन्दर रचना... बारिश की बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति...
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबारिश की बूंदों सी भीगी-भीगी रचना... बहुत बहुत बधाई...
ReplyDelete@मानवता अब तार-तार है