नदी पर पुल
पुल के किनारे कूड़े का ढेर
कूड़े के ढेर पर बच्चे
बच्चों के हाथों में प्लास्टिक के बोरॆ
बोरों में
शाम की रोटी का सपना
पुल के नीचे नदी
नदी में नाला
नाले में डुबकी लगाता आदमी
आदमी के एक हाथ में लोटा
दुसरे में नाक।
न कभी
जल की पवित्रता घटी
न कभी
किसी की नाक कटी
मगर
कुछ तो हुआ है
जो सभी ने
उठा लिये हैं
हाथों में झाड़ू!
पुल के किनारे कूड़े का ढेर
कूड़े के ढेर पर बच्चे
बच्चों के हाथों में प्लास्टिक के बोरॆ
बोरों में
शाम की रोटी का सपना
पुल के नीचे नदी
नदी में नाला
नाले में डुबकी लगाता आदमी
आदमी के एक हाथ में लोटा
दुसरे में नाक।
न कभी
जल की पवित्रता घटी
न कभी
किसी की नाक कटी
मगर
कुछ तो हुआ है
जो सभी ने
उठा लिये हैं
हाथों में झाड़ू!
कुछ तो हुआ है
ReplyDeleteजो सभी ने
उठा लिये हैं
हाथों में झाड़ू ............ बेहद सटीक पंक्तियां
नमस्कार !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा !
मै आपके ब्लॉग को फॉलो कर रहा हूँ
मेरा आपसे अनुरोध है की कृपया मेरे ब्लॉग पर आये और फॉलो करें और अपने सुझाव दे !
बहुत बढ़िया सटीक सामयिक ..
ReplyDeleteकुछ तो बात है..बिना कारण हवा भी नहीं बहती
कुछ तो हुआ है !
ReplyDeleteबहुत कुछ हो गया
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteअब आगे उस झाडू का इस्तेमाल भी हो जाए तो सार्थक है उसे उठाना भी ...
ReplyDelete