नागपंचमी में दंगल खूब होते हैं
सर्पों को सुनाई नहीं पड़ता मगर वे नाचते हैं, सपेरे की बीन पर!
महुअर भी होते हैं
दो सपेरे
एक दूसरे को मंत्रों से बांधते हैं
एक गिरता है, दूसरा गर्व से सीना ताने अखबार वालों की तरफ देखता है!
दर्शक ताली बजाते हैं
मुझे तो नौटंकी लगती है
मगर बहुतों को आनंद आता है
बेसबरी से प्रतीक्षा करते हैं
कब आएगा
मानसून और
नागपंचमी का त्योहार!
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सर्पों को सुनाई नहीं पड़ता मगर वे नाचते हैं, सपेरे की बीन पर!
महुअर भी होते हैं
दो सपेरे
एक दूसरे को मंत्रों से बांधते हैं
एक गिरता है, दूसरा गर्व से सीना ताने अखबार वालों की तरफ देखता है!
दर्शक ताली बजाते हैं
मुझे तो नौटंकी लगती है
मगर बहुतों को आनंद आता है
बेसबरी से प्रतीक्षा करते हैं
कब आएगा
मानसून और
नागपंचमी का त्योहार!
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नाग उधर भी और नाग इधर भी :)
ReplyDeleteसुंदर ।
सुंदर अहसास !!!
ReplyDeleteदेखें तो बता पायें कभी साँपों को नाचते देखा ही नहीं :(
ReplyDeleteये वैसे नहीं नाचते जैसे नाचते हैं मोर.....फन हिलाते है, इधर से उधर, सपेरे की बीन पर, डसने को तैयार।
Deleteबहुत खूब..
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआभार।
ReplyDeleteइस बार के महूअर की वीडियो क्लिप बनाकर साझा कीजिये।
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