29.11.17

कथरी

कथरी...1
कइसन तबियत हौ माई?
कहारिन ठीक से तोहार सेवा करत हई न?
काहे गुस्सैले हऊ?
पंद्रह दिना में घरे आवत हई, ई खातिर!
का बताई माई
तोहार पतोहिया कs तबियत खराब रहल
अऊर
ओ शनीचर के
छोटका कs स्कूल में... ऊ का कहल जाला... पैरेंट मीटिंग रहल
तू तs जानलू माई
शहर कs जिनगी केतना हलकान करsला

तोहसे से तs कई दाईं कहली,
चल संगे!
उहाँ रह!
तोहें तs बप्पा कs माया घेरले हौ
ऊ गइलन सरगे,
इहाँ बैठ कबले जोहबू?
हाली न अइहें।

का कहत हऊ माई?
ई कथरी से जाड़ा नाहीं जात?
दूसर आन देई?
तोहें मोतियाबिंद भईल हो, एहसे दिखाई नाहीं देत
ले!
कहत हऊ तs नई कथरी ओढ़ाय देत हई।
(पलटकर, वही रजाई फिर ओढ़ा देता है!)

माई!
नींद आयल राति के?
का कहली?
नवकी कथरी खूबे गरमात रही!
खूब नींद आयल!!!

ठीकै हौ माई,
चलत हई
सब सौदा धs देहले हई कोठरी में
कहरनियाँ के समझाय देहले हई
नौकरी से छुट्टी नाहीं मिलत माई
जाना जरूरी हौ।
तोहार बिसवास बनल रहे,
कथरी तs
जबे आईब
तबे बदल देब!
पा लागी।
...........

कथरी-2
सरगे में
मजा काटा
बाकि 
सुना करतार!
उलट पुलट
पुरनकी कथरी ओढ़ावेला
बेटवा तोहार!

बूझला...
माई के मोतियाबिंद भयल हौ त
गंधइबो न करी!
भिनसहरेे पूछी बेईमनवाँ..

नींद आयल माई?
मनेमन हँसी कs फुहारा छूटेला
मुहवाँ से बस इतने कहीला...

हाँ बेटवा!
खूब नींद अायल
नवकी कथरी बहुते गरमात रही!
पगलुआ खुश हो जाला।

हमे कs देई
कहरनियां हवाले
अपना जाई
शहरिया कमावे
मेहरिया के अपने
कपारेे चढ़ाई
लइकन के
इसकूले पढ़ाई
पन्द्रह दिना में इहाँ आई तs
पुरनकी कथरी
उलट-पुलट ओढ़ाई!
एहसे भला
जाड़ा जाई?
नाहीं किनाता एगो रजाई
त उफ्फर पड़े
अइसन कमाई!
..................

1 comment:

  1. गजब है ये तो। कपूत की करतूत।

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