छत पर माटी के प्याले रख दे
पानी, चोंच भर, निवाले रख दे।
भूखे हैं, गली के कुत्ते भी
खा जाएंगे, गोरे/काले, रख दे ।
जाने कौन, काम आ जाए सफर में!
कूड़ेदानी में, मन के जाले रख दे।
मिलेगी छाँव भी, यूँ ही, चलते-चलते
दो घड़ी रुक, पैरों के छाले रख दे।
जानता हूँ, तू भी, परेशां है बहुत
अपने होठों पे, कोरोना के, ताले रख दे।
जो भरा हुआ है इस ,'बेचैन आत्मा'में
ReplyDeleteयूं ही जस का तस हमारे हवाले रख दे
बहुत कमाल जा रहे हैं सरकार
आप ब्लॉग जगत में प्राण फूंकिए।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteजरूरत तो आज इन सभी बातों की है ...