22.4.20

माटी के प्याले रख दे...

छत पर माटी के प्याले रख दे
पानी, चोंच भर, निवाले रख दे।

भूखे हैं, गली के कुत्ते भी
खा जाएंगे, गोरे/काले, रख दे ।

जाने कौन, काम आ जाए सफर में!
कूड़ेदानी में, मन के जाले रख दे।

मिलेगी छाँव भी, यूँ ही, चलते-चलते
दो घड़ी रुक, पैरों के छाले रख दे।

जानता हूँ, तू भी, परेशां है बहुत
अपने होठों पे, कोरोना के, ताले रख दे।

5 comments:

  1. जो भरा हुआ है इस ,'बेचैन आत्मा'में
    यूं ही जस का तस हमारे हवाले रख दे

    बहुत कमाल जा रहे हैं सरकार

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    1. आप ब्लॉग जगत में प्राण फूंकिए।

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  3. बहुत खूब ...

    जरूरत तो आज इन सभी बातों की है ...

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