11.5.20

बकवास कविता

चलो!
हम लिखें, तुम लिखो, सब लिखें
बकवास कविता।

पहलवान सर माथे पर
निर्बल दूर भगाएं।
नेता जी की चरण वंदना
साथी को लतियाएँ

लिखो!
अपना चरित्र/आचरण
सतियानास कविता
चलो!
हम लिखें, तुम लिखो, सब लिखें
बकवास कविता।

एक झलक दिखला दिए
समझ गए होगे
अपना कुकर्म अपने को
खूब पता होगा

बताओ!
झूठ/मक्कारी अपनी
लतखोर कविता
चलो!
हम लिखें, तुम लिखो, सब लिखें
बकवास कविता।
........................

No comments:

Post a Comment