मार्निंग वॉक में शाख से झूलते कई आजाद तोते दिखे।मैंने कहा..बोलो! जय श्री राम। तोते इस शाख से उस शाख पर झूलते और मुझे देख कहते- 'टें' 'टें'।
मैं फिर बोला-गोपी कृष्ण कहो बेटू, गोपी कृष्ण।
तोते बोले- टें..टें।
अच्छा बोलो...जय भीम।
तोते बोले-टें..टें।
मैने सोचा, ये मेधावी छात्र होंगे।
मैंने कहा-बोलो! आजादी। छीन के लेंगे आजादी!!! भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाअल्लाह-इंशाअल्लाह।
तोते इस बार गुस्से से चीखते हुए उड़ गए- टें.. टें..टें.. टें..
मुझे एक बात समझ में आ गई. तोते यदि वास्तव में आजाद हों तो बस अपनी ही जुबान बोलते हैं। जय श्री राम, जय भीम या आजादी-आजादी बोलने वाले तोते तो वे होते हैं जिन्हें पढ़ाया/रटाया जाता है।
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बहुत कम शब्दों में आपने बहुत ही गहरी बात कह दी बंधुवर... जो स्वतंत्र हैं, उनकी भाषा, विचार और आचरण भी स्वतंत्र होते हैं! मन मोह लिया आपने!!
ReplyDeleteआभार। बड़ी खुशी हुई आपको यहाँ देखकर।
Deleteआभार।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteतोते यदि वास्तव में आजाद हों तो बस अपनी ही जुबान बोलते हैं।
ReplyDeleteसटीक कटाक्ष ... गहन बात कह दी ....
बहुत बढ़िया .
आभार।
Deleteबहुत सुन्दर और सार्थक ।
ReplyDelete--
ऐसे लेखन से क्या लाभ? जिस पर टिप्पणियाँ न आये।
ब्लॉग लेखन के साथ दूसरे लोंगों के ब्लॉगों पर भी टिप्पणी कीजिए।
तभी तो आपकी पोस्ट पर भी लोग आयेंगे।
सही कहा आपने आदरणीय। प्रयास करूंगा।
Deleteबहुत सुन्दर व्यंग्य
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteवाह😅
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteतोते यदि वास्तव में आजाद हों तो बस अपनी ही जुबान बोलते हैं।
ReplyDeleteहम पंछियों से भी गए गुजरे हैं, हमें अपनी आजादी पर इतना इतराना नहीं चाहिए। सवाल खड़ा करती है लघुकथा, क्या सच में हम आजाद हैं ?
धन्यवाद।
Deleteआदरणीय सर, बहुत ही अच्छा और सशक्त कटाक्ष जो हँसता भी है और आत्मा को झकझोर देता है । वास्तविक स्वतंत्रता तो तभी है जब हम किसी के अधीन होकर उसके विचारों से प्रभावित हो कर अपनी अभिव्यक्ति ना करें । हार्दिक आभार इस सुंदर रचना के लिए ।
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteआप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।
ReplyDeleteबहुत ही कम शब्दों में सारगर्भित रचना,समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी भ्रमण करें,सादर शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत गहरा कटाक्ष...। खूब बधाई
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