मणिकर्णिका घाट
बिछी लाशें और जलती चिताओं के ऊपर
एक पतंग उड़ रही थी!
कोई
ठुमका लगा रहा था और वह
ठुमक-ठुमक
उछल रही थी!!!
बगल में
विश्वनाथ धाम है,
हर हर महादेव के नारे लग रहे थे
ये नारे
खुशी के अतिरेक की कहानी कहते हैं।
श्मशान के बगल में
सिंधियाघाट है
ऊपर संकठा माता का मन्दिर है
आज वहाँ
अन्नकूट का शृंगार था।
यह कोई
आज की बात नहीं है,
चिताएं रोज जलती हैं,
पतंग रोज उड़ता है,
हर हर महादेव के नारे रोज लगते हैं
अन्नकूट न सही
माँ संकठा की आरती
रोज होती है,
इसी का नाम बनारस है।
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बहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteप्रतिक्रिया के लिए आभार।
Deleteबनारस वही है जहां हर घड़ी रस बना रहता है
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteऊपर-नीचे आगे-पीछे
ReplyDeleteसुख-दुख के हर पल को मींचे
जीवन बगिया वही खिले
सृष्टि की माया जो सींचें...।
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कितनी सहजता से जीवन का सार व्यक्त किया है आपने सर।
'बनारस' जीवन का विहंगम दृष्टिकोण है जो
माया-मोह,सांसारिकता-अध्यात्मिकता सभी को परिभाषित करता है।
बहुत अच्छी लगी अभिव्यक्ति सर।
सादर।
पड़ने और प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद।
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