21.2.10

फागुन का त्यौहार

फागु का त्यौहा
जले होलिका भेदभाव की, आपस में हो प्यार
तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार
हो जाएँ सब प्रेम दीवाने
दिल में जागें गीत पुराने
गलियों में सतरंगी चेहरे
ढूँढ रहे हों मीत पुराने
अधरों में हो गीत फागुनी, वीणा की झंकार
तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार
बर्गर, पीजा, कोक के आगे
दूध, दही, मक्खन को खाये !
कान्हां की बंसी फीकी है
राधा को मोबाइल भाये !
इन्टरनेट में शादी हो पर, रहे उम्र भर प्यार
तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार
अपने सोए भाग जगाएँ
दुश्मन को भी गले लगाएँ
जहाँ भड़कती नफ़रत-ज्वाला
वहीं प्रेम का दीप जलाएँ
भंग-रंग पर कभी चढ़े ना, महंगाई की मार
तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार.

46 comments:

  1. 'जहाँ भड़कती नफ़रत-ज्वाला
    वहीं प्रेम का दीप जलाएँ'
    अच्छी भावनायें अभिव्यक्त की हैं आपने !

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  2. इन्टरनेट में शादी हो पर, रहे उम्र भर प्यार
    तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार

    बहुत सुन्दर सदभावना!

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  3. bahut sunder man ke bhav liye hai ye fagun ka geet .


    जले होलिका भेदभाव की, आपस में हो प्यार
    तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार

    ati sunder !

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  4. वाह , सही होली के रंग बिखेरे हैं, देवेन्द्र जी।
    बहुत सुन्दर।

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  5. बर्गर, पीजा, कोक के आगे
    दूध, दही, मक्खन को खाये !
    कान्हां की बंसी फीकी है
    राधा को मोबाइल भाये !

    इन्टरनेट में शादी हो पर, रहे उम्र भर प्यार
    तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार


    wah wah.

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  6. 'बर्गर, पीजा, कोक के आगे
    दूध, दही, मक्खन को खाये !
    कान्हां की बंसी फीकी है
    राधा को मोबाइल भाये ! '
    वाह! क्या बात है! फागुनी कविता,बहुत बढ़िया !

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  7. देवेन्द्र जी इतन सुंदर, प्रेरक, गेय, फाग गीत मैंने नहीं पढा है। अपको सलाम!!असाधारण शक्ति का पद्य। वैचारिक ताजगी लिए हुए रचना विलक्षण है।

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  8. बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है! बधाई!

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  9. बहुत सटीक कहा ऐसे ही फागुन का इंतजार है, सही तस्वीर खींची है दिमाग पर

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  10. फागुन की इंतेज़ार का मज़ा भी लाजवाब होता है .... खूबसूरत गीत है फाग का .... हमारी तरफ से भी मुल्हाइज़ा फरमाएँ ....

    दिल ही दिल में उतर रहे हों चंचल नैन कटार
    तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार

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  11. उड़ रहे हैं रंग फाग के ! रस-रस बरस रही है फुहार ! आभार ।

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  12. भंग-रंग पर कभी चढ़े ना, महंगाई की मार
    --------- भला है कि अभी बनारसी भंग पर महगाई की मार नहीं चढ़ी है
    बर्गर, पीजा, कोक के आगे
    दूध, दही, मक्खन को खाये !
    कान्हां की बंसी फीकी है
    राधा को मोबाइल भाये !
    ----------- सही कहा है , नयी चीजों में फागुन कम असरदार थोड़े ही है ! ...
    आभार !

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  13. इन्टरनेट में शादी हो पर, रहे उम्र भर प्यार
    तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार
    बहुत सुंदर जी, मजेदार

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  14. जले होलिका भेदभाव की, आपस में हो प्यार
    तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार

    सुंदर रचना ।

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  15. चंद पंक्तियों ने बहुत कुछ कह दिया, सुन्दर प्रस्तुति. रंगारंग होली की शुभकामनाये !

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  16. होली आह्वान का आलाप द्रुत गति पकड़ रहा -बेहतरीन

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  17. कान्हां की बंसी फीकी है
    राधा को मोबाइल भाये !
    .... बहुत सुन्दर, प्रसंशनीय !!!!

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  18. नमस्कार .सुन्दर रचना. होली की अग्रिम रूप में शुभ्कामनायें .

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  19. bahut badhiyaa baat kahi hain aapne.
    main aapki baaton se puri tarah se sehmat hoon.
    waise, sach kahoon to puraani holi ki bahut yaad aa rahi hain, naa jaane kab pehle jaisi holi khelne ko milegi??????
    thanks.
    www.chanderksoni.blogspot.com

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  20. जोरदार और जानदार रचना..अगर ऐसा हो तो सच में होली यादगार होगी...खूबसूरत और बढ़िया अंदाज़े-बयाँ बधाई देवेन्द्र जी..
    हो सका तो होली मुबारक मिल कर देंगे....बनारस में ही..

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  21. pahale to samaj me nahi aaya kee aap ke aatma bechin kyo hai prantu aap ke blog par aakar meri aatma bechen ho gayee ise dekane ke liye danyavad

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  22. इन्टरनेट में शादी हो पर, रहे उम्र भर प्यार
    तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार
    क्या बात है बिलकुल आज के नब्ज़ पे हाथ रख दिया...सुन्दर रचना...

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  23. राधा के मोबाइल का जवाब नहीं ।

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  24. "do patan ke Bich" par aane ke liye shukriya. main apke sujhaw par nishchit rup se vichar karunga.... Banaras se mera vishesh lagawa rah hi... apke bare me jankar bahut kushee huee.
    sadhnyawad
    Ranjit
    (A Gold Medalist allumini of BHU Varanasi)

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  25. अपने सोए भाग जगाएँ
    दुश्मन को भी गले लगाएँ
    जहाँ भड़कती नफ़रत-ज्वाला
    वहीं प्रेम का दीप जलाएँ

    भंग-रंग पर कभी चढ़े ना, महंगाई की मार
    तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार.
    सही बात है हमारे हौसले ऐसे ही होने चाहिये । हर मुश्किल से बेखबर होली के रंग जैसे बधाई इस रचना के लिये

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  26. बर्गर, पीजा, कोक के आगे
    दूध, दही, मक्खन को खाये !
    कान्हां की बंसी फीकी है
    राधा को मोबाइल भाये !


    इन्टरनेट में शादी हो पर, रहे उम्र भर प्यार
    तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार
    maza aa gaya is rang ko padh ,umag dooguni ho gayi is tyohaar ki .

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  27. देवेन्द्र जी आदाब
    मेलमिलाप और आपसी भाईचारे का संदेश देती रचना के लिये बधाई
    होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  28. फागुन के गुन धारे, भाव बहुत ही प्‍यारे।
    एक अच्‍छा गीत।

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  29. इन्टरनेट में शादी हो पर, रहे उम्र भर प्यार
    तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार

    होली की मंगलमयता को दिया गया यह नया दायित्व अद्भुत है ! अच्छा लगा !

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  30. बर्गर, पीजा, कोक के आगे
    दूध, दही, मक्खन को खाये !
    कान्हां की बंसी फीकी है
    राधा को मोबाइल भाये !

    इन्टरनेट में शादी हो पर, रहे उम्र भर प्यार
    तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार

    होली के बहाने बड़ा तीखा व्यंग्य है।
    बधाई!

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  31. तब समझो आया है सच्चा, फागुन का त्यौहार

    बढ़िया कविता , उत्तम विचार से सजी-धजी.
    कुल मिला कर सच्चा फागुन तो प्रकृति है वर्ष ही लेकर आती है, पर हम क्षुद्र स्वार्थियों ने उसके सच्चे पन को भी आज कटघरे में खड़ा कर दिया................

    होली पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं.

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  32. होली मैं छिपा सही अर्थ आपने कविता के माध्यम से शूट सुंदर
    ढंग से प्रस्तुत किया है |बधाई
    आशा

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  33. अरे अभी तक मैं आपसे इतनी दूर क्यों था,भई वाह,आनंद आ गया.

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  34. होली पर एक सुन्दर रचना

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  35. waah bahut sunder rachna
    holi ka rang chad gaya

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  36. वाह वाह!! गजब भाई...देरी के लिए क्या कहूँ.. होली है न!!

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  37. आपको व आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें

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  38. सुन्दर रचना , होली की बधाई और शुभकामनायें.

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  39. फागु की भीर, अभीरिन ने गहि गोविंद लै गई भीतर गोरी
    भाय करी मन की पद्माकर उपर नाई अबीर की झोरी
    छीने पीतांबर कम्मर तें सु बिदा कई दई मीड़ि कपोलन रोरी।
    नैन नचाय कही मुसकाय ''लला फिर आइयो खेलन होरी।``

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  40. बेचैन क्यों !! होली और मिलाद उन नबी की शुभकामनायें

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  41. Holi Mubarak ho ! A poem of new net age !

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  42. Wah ! A beautiful poem of contemporary world.

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