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वैलेनटाइन
बिसरल बंसत अब तs राजा
आयल वैलेनटाइन ।
राह चलत के हाथ पकड़ के
बोला यू आर माइन ।
फागुन कs का बात करी
झटके में चल जाला
ई त राजा प्रेम कs बूटी
चौचक में हरियाला
आन कs लागे सोन चिरैया
आपन लागे डाइन। [बिसरल बसंत…..]
काहे लइका गयल हाथ से
बापू समझ न पावे
तेज धूप मा छत मा ससुरा
ईलू-ईलू गावे
पूछा तs सिर झटक के बोली
आयम वेरी फाइन । [बिसरल बसंत…..]
बाप मतारी मम्मी-डैडी
पा लागी अब टा टा
पलट के तोहें गारी दी हैं
जिन लइकन के डांटा
भांग-धतूरा छोड़ के पंडित
पीये लगलन वाइन। [बिसरल बसंत…..]
दिन में छत्तिस संझा तिरसठ
रात में नौ दू ग्यारह
वैलेन टाइन डे हो जाला
जब बज जाला बारह
निन्हकू का इनके पार्टी मा
बड़कू कइलन ज्वाइन। [बिसरल बसंत…..]
राह चलत के हाथ पकड़ के
ReplyDeleteबोला यू आर माइन ।
हेप्पी वेलन्टाईन डे...
वाह वा ....वाह वा ...वाह वा ....
ReplyDeleteआनंद आ गया !
आज सिर्फ यही ...वाह ..वाह ...वाह
ReplyDeleteHa,ha,ha! Maza aa gaya!
ReplyDeleteबहुत्ते जबरजंग बा....
ReplyDeleteपहले तS पूरा फागुन के महीना हो ला आब खाली एक्के थो दिन...का कार्ल जाय टैम नइखे बाडन....
बेहतरीन!!
ReplyDeleteवाह देवेन्द्र जी,
ReplyDeleteआनंदन आनंदम!!
happy valentine's day........:)
ReplyDeleteराह पकड़ के बोलने वालों का कवच बलिटाहन बाबा।
ReplyDeleteदिन में छत्तिस संझा तिरसठ
ReplyDeleteरात में नौ दू ग्यारह
वैलेन टाइन डे हो जाला
जब बज जाला बारह.....
बेहतरीन!!
बढ़िया है देव बाबू.....आपकी मस्ती में मस्त हो गए है हम भी|
ReplyDeleteकाहे लइका गयल हाथ से
ReplyDeleteबापू समझ न पावे
तेज धूप मा छत मा ससुरा
ईलू-ईलू गावे
हा हा हा ! यह तो वैलेंटाइन डे में होली की मस्ती आ गई । बढ़िया ।
devendra ji...bada maja aa gayil yi..geet padh ke.....majedar velentine....
ReplyDeleteआन कs लागे सोन चिरैया
आपन लागे डाइन। [बिसरल बसंत…..waah..kya bat..hai...
वाह...वाह...वाह...वाह...वाह...
ReplyDeleteक्या बात कही है...लाजवाब !!!
इतनी मीठी लगी आपकी यह रचना कि क्या कहूँ...
सार्थक सटीक करारा व्यंग्य है यह...
कुढा पड़ा मन एकदम से हरिया गया...
bahut bahut आभार आपका...
बहुत लाजवाब, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम
गजबे लिख दिया भाय,बहुते बधाई.
ReplyDeleteहिन्दी,अंग्रेजी और आपकी अपनी बोली में यह कविता ने नया रंग ही जमाया है। प्रेम दिवस आपको भी मुबारक हो।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना.
ReplyDeleteसलाम.
पाँड़े जी! आपन कबिताई देखकै त हमार मनवा भी ईलू ईलू गावे लागत हव्वे!! जब्बरजंग!!
ReplyDeleteबसंत पर वेलेंटाइन 'कुर्की आदेश' जैसा लाया है ,किसी देश की सांस्कृतिक परम्पराओं की 'बेदखली' की यह चिंता साधारण नहीं है ! एक अत्यंत गंभीर विषय / चिंताजनक विषय पर हाथ उठाने के लिए धन्यवाद !
ReplyDeleteवाह वाह कमाल की रचना है। बस ईलू ईलू ही गाते हैं। लव कहाँ रह गया है?
ReplyDeleteआपका चुटीला व्यंग्य ! गजब तेजधार ! निःशब्द हूँ.
ReplyDeleteJai ho
ReplyDeleteसरस , सजीली रचना - बधाई ।
ReplyDeleteहाहाहाहाह का बात है पाण्डेय जी कमाल हो गया, बहुत खूब ।
ReplyDeleteवाह ..वाह ...वाह
ReplyDeleteप्रेम दिवस आपको भी मुबारक हो।
वाह वाह ..मजा आ गया .
ReplyDeleteकाहे लइका गयल हाथ से
ReplyDeleteबापू समझ न पावे
तेज धूप मा छत मा ससुरा
ईलू-ईलू गावे
क्या बात है देवेन्द्र जी ....
बहुत खूब ......
करारा व्यंग्य!!
ReplyDeleteपाण्डेय जी!
ReplyDeleteबहुत ही व्यञ्जक
भोजपुरी का पुट इसे और भी आनन्ददायक बना रहा है।
वर्तमान में भोजपुरी में ऐसी ही सार्थक रचनाओं की आवश्यकता है, ताकि भोजपुरी फिल्म के माध्यम से जो अश्लील गीत समाज में फैले हैं उनकी प्रभुता कुछ कम हो सके और समाज को एक अच्छा संदेश मिले कि भोजपुरी में अच्छी रचनायें भी होती हैं।
हालांकि मोती बी. ए., भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी को सही राह दिखाई है, परन्तु समकालीन रचनाकारों द्वारा इसे आगे बढ़ाना आवश्यक है।
अवधी क्षेत्र से होंने के कारण यद्यपि मैं भोजपुरी बोल नहीं सकती पर समझ सकती हूँ।
मुझे आशा है कि आप भविष्य में भी ऐसी ही सुन्दर, संप्रेषणीय रचना करते रहेंगे।
दिन में छत्तिस संझा तिरसठ
ReplyDeleteरात में नौ दू ग्यारह
वैलेन टाइन डे हो जाला
जब बज जाला बारह.....
बहुत खूब ....
आपकी कविता बेचैन रहती है आपकी कलम से निकलने के लिए -यह भी वैसी ही है :)
ReplyDeleteबहुत खूब!
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