दुखी इन्सान ने कहा
मेरा वक्त ख़राब चल रहा है
वक्त हँसने लगा
उसने कहा
वो वाला समय कितना अच्छा था!
वक्त फिर हँसने लगा
उसने ईश्वर से प्रार्थना किया
हे प्रभु!
मेरा वक्त ख़राब चल रहा है, अच्छा कर दो!
मेरा प्रसाद स्वीकार करो
पुजारी ने प्रसाद चढ़ा कर आशीर्वाद दिया
पंडित जी ने
लम्बी पूजा कराई और दक्षिणा लेने के बाद बोले
तुम्हारा कल्याण हो
तुम्हारे अच्छे दिन आने ही वाले हैं
वह खुश हो गया
उसके साथ
पंडित जी भी खुश हुए
पुजारी भी खुश हुआ
और तो और
मंदिर के बाहर खड़े
सदा रोते रहने वाले
भिखारी ने भी
अपने गंदे हाथ पसारे
उसने
भिखारी को भी
खुशी-खुशी एक रूपया दिया
और आगे बढ़ गया
वक्त
पागलों की तरह
ठहाके लगाने लगा!!!
मैंने पूछा
कितनी देर से ठहाके लगा रहे हो
कुछ पता भी है ?
वक्त ने कहा-
मेरे पास घड़ी नहीं है!
और...
फिर ठहाके लगाने लगा.
.............
मेरा वक्त ख़राब चल रहा है
वक्त हँसने लगा
उसने कहा
वो वाला समय कितना अच्छा था!
वक्त फिर हँसने लगा
उसने ईश्वर से प्रार्थना किया
हे प्रभु!
मेरा वक्त ख़राब चल रहा है, अच्छा कर दो!
मेरा प्रसाद स्वीकार करो
पुजारी ने प्रसाद चढ़ा कर आशीर्वाद दिया
पंडित जी ने
लम्बी पूजा कराई और दक्षिणा लेने के बाद बोले
तुम्हारा कल्याण हो
तुम्हारे अच्छे दिन आने ही वाले हैं
वह खुश हो गया
उसके साथ
पंडित जी भी खुश हुए
पुजारी भी खुश हुआ
और तो और
मंदिर के बाहर खड़े
सदा रोते रहने वाले
भिखारी ने भी
अपने गंदे हाथ पसारे
उसने
भिखारी को भी
खुशी-खुशी एक रूपया दिया
और आगे बढ़ गया
वक्त
पागलों की तरह
ठहाके लगाने लगा!!!
मैंने पूछा
कितनी देर से ठहाके लगा रहे हो
कुछ पता भी है ?
वक्त ने कहा-
मेरे पास घड़ी नहीं है!
और...
फिर ठहाके लगाने लगा.
.............
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "पहचान तो थी - पहचाना नहीं: सन्डे की ब्लॉग-बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन का आभार.
Deleteबहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteवक्त भी इंतजार में है अच्छे दिनो के :)
धन्यवाद.
Deleteबहुत सुन्दर ....
ReplyDeleteधन्यवाद.
Deleteबहुत खूब !
ReplyDeleteधन्यवाद.
Deleteक्या बात है... हाथ पर घड़ी बाँधे हम भूल जाते हैं कि घड़ी कलाई पर बंधी हो, तब भी वक्त हवा में उड़ा जाता है!! बहुत अच्छे प्रतीक! बहुत बढ़िया रचना!
ReplyDeleteआभार आपका.
Deleteजबरदस्त रचना
ReplyDeleteआभार।
Deleteवक्त का हंसना और हमारा बदलना..बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteजब तुम खुश होते हो तभी तो अच्छा वक्त होता है। उसने पंडित को पुजारी को भिखारी तक को खुशी दी तो वही उसका अच्छा वक्त हुआ।
ReplyDeleteसादर प्रणाम। यही तो वक्त भी कहना चाहता है। अच्छा-बुरा मैंं नहीं तुम्हारा जीने का अंदाज है. आंतरिक मन:स्थिती है।
Deleteकई बार लगता है वक्त को भी अच्छे वक्त का इंतज़ार है ... पर इंतज़ार पूर होते ही वक्त भूतकाल हो जाता है ...
ReplyDeleteवक्त के तीनों काल
Deleteवक्त को हँसने के सिवा कुछ आता भी है ?
ReplyDelete...
नहीं !
वक्त ऐसे ही ड्रामे करवाता रहता है इंसान से- और मज़ा लेता है.
ReplyDeleteजी.
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