3.7.17

नाता

बाहर
लाख अँधेरा हो
उजाला है
लोहे के घर में

मौन हैं
अंधेरे में डूबे हुए खेत
हलचल है
घर में

बाहर भी
श्रमिक थे, किसान थे
जब तक
सूरज था
सूरज के डूबते ही
मौन हो गये खेत

उजाले के साथ
शोर का
अँधरे के साथ
मौन का
गहरा नाता दिखता है!

मौन थे
बुद्ध भी
जब तक अँधेरा था

अँधेरा हो
तो चुप रहना चाहिये
अँधरे में
परिंदे भी
खामोश रहते हैं
मेंढक, झिंगुर के अलावा
कोई शोर नहीं करता।

11 comments:

  1. कमाल की रचना... शब्दों का जादू...!!

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  2. मौन के गहन अर्थ होते हैं, सही कहा आपने, शुभकामनाएं।
    रामराम
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

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  3. इतने दिनों बाद बेचैन आत्मा को देख चैन आ गयी ..!😊

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  4. अँधेरे में मौन ही बेहतर .किसी बात का पता न हो तो चुप ही रहना चाहिए

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  5. अँधेरे में एक रहस्य है और मौन से बड़ा रहस्य क्या हो सकता है..

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  6. अँधेरे में चुप रहना चाहिए...
    क्या बात!

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  7. कमाल है आप गद्य और पद्य दोनों में ही पारंगत हैं और भावों को पढने में भी | रचते जाइए

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  8. उत्साह वर्धन के लिए सभी मित्रों का आभारी हूँ।

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