गोधूली बेला थी। दून अपने निर्धारित समय से लेट थी मगर अपने काम से छुट्टी के बाद अनुकूल समय पर मिल गई थी और हवा से बातें कर रही थी। हमेशा की तरह खाली खिड़की ढूंढ कर मैं खिड़की के पास बैठ चुका था और खिड़की से बाहर का नजारा लेने में मशगूल था। सई नदी के ऊपर से जब ट्रेन गुजरी तो नदी के रेतीले किनारे के पास एक नाव पर निगाहें एक पल के लिए ठिठक गईं। हाय! क्या सुंदर दृश्य था!!! मेरे मोबाइल का कैमरा ऑन होता तो खींच लेता। ट्रेन भी आज कुछ ज्यादा ही तेज चल रही है। मन मसोस कर अपने आस पास देखने लगा।
मेरा ध्यान मेरे बगल में बैठे एक युवक पर गया जो लगातार अपने दो शरारती बच्चों को बड़े प्रेम से संभाल रहा था और उनके झगड़े सुलझा रहा था। उसकी पत्नी सामने के बर्थ पर लेटी थीं। मैंने आदतन अपनी पूछताछ शुरु की...
लगता है दूर जाना जाना है?
हां, जहां तक यह ट्रेन जाएगी.. हावड़ा।
कहां से आ रहे हैं?
अम्बेडकर नगर से चढ़े हैं।
कौन कौन सी बर्थ है आपकी?
यही आमने सामने दो और उधर दो और..
अच्छा! तो कई लोग हैं?
हां, दस बारह लोग हैं।
हां, जहां तक यह ट्रेन जाएगी.. हावड़ा।
कहां से आ रहे हैं?
अम्बेडकर नगर से चढ़े हैं।
कौन कौन सी बर्थ है आपकी?
यही आमने सामने दो और उधर दो और..
अच्छा! तो कई लोग हैं?
हां, दस बारह लोग हैं।
इतने में सामने लेटी उनकी श्रीमती जी का गर्जन सुनाई पड़ा..झूठ क्यों बोलते हो? कुल छः लोग तो हैं हम लोग! युवक ने बात संभाली..वैसे तो छः लोग हैं बाकी और भी लोग चढ़े हैं। सांवली महिला अब उठ कर बैठ चुकी थीं.. उनसे हमसे क्या मतलब? हम लोगों की कुल छः बर्थ है भाई साहब। इनके बड़े भाई, भाभी बगल में हैं, मेरी बहन है और बच्चे हैं।
मुझे महिला के भोलपन पर आंनद आने लगा। जिन्हें मैं पहले कर्कश समझ रहा था वो तो बड़ी हंसमुख और सीधी सादी निकली! अब वो चहक कर मुझसे बतियाने लगीं और उनके श्रीमान बच्चे संभालते हुए बस हां में हां मिलाने भर के रह गए।
तो आप लोगों का घर अम्बेडकर नगर है और आप लोग कलकत्ता में किसी कम्पनी में काम करते हैं?
नहीं भाई! हम लोगों का घर, दुकान और काम सब कलकत्ता में है। हम लोग किछौछा शरीफ गए थे।
क्या? की छौ छा ?? ये कहां है?
अरे! आप यहीं के हो कर किछौछा शरीफ नहीं जानते! तभी एक दूसरे यात्री ने समझाया कि यह अम्बेडकर नगर रेलवे स्टेशन से २५ किमी की दूरी पर एक छोटा सा कस्बा है, जहां किछौछा शरीफ की दरगाह है। बिलकुल अजमेर शरीफ की तरह!
मेरे लिए यह एकदम नई बात थी। अजमेर शरीफ का नाम तो सुना था लेकिन अयोध्या के इतने पास स्थित इस दरगाह से बिलकुल अपरिचित था। गूगल सर्च किया तो यह जानकारी हाथ लगी...
किछौछा शरीफ प्रसिद्ध सूफी संत सय्यद मखदूम अशरफ जहांगीर अशरफी की दरगाह के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म ईरान में सेमनान में हुआ था और विशेष रूप से चिश्ती पद्धति को आगे बढ़ाने में उन्होंने उल्लेखनीय योगदान दिया। इन संत ने बहुत यात्राएं की और लोगों तक शान्ति का सन्देश पहुँचाया। किछौछा दरगाह शरीफ एक छोटी पहाड़ी पर बना है, जो कि एक ताल से घिरा हुआ है। सम्पूर्ण परिसर संगमरमर, टाइल्स और कांच से सजाया गया है। साल भर हजारों की तादाद में श्रद्धालु भारत और दुनिया भर से इस दरगाह पर आते हैं। यहां एक तालाब है। जिसका पानी अमृत के समान है!
पढ़कर मैंने ऐसे एक लंबी सांस ली मानो मैं वाकई महामूर्ख हूं। कलकत्ते से आकर लोग यहां अपनी मन्नते पूरी होने पर चादर चढ़ा कर वापस भी लौट रहे हैं और मुझे यहीं पास के जिले का होकर भी कुछ नहीं पता! पहले पता होता तो न जाने कितने दबे अरमान वक़्त के पैरों तले बेरहमी से कुचले जाने से पहले ही पूरे हो जाते!!!
महिला चहक रही थीं...वहां तो हर समय हजारों की भीड़ रहती है। परिवार है न भाई साहब, परिवार में किसी न किसी को कोई न कोई कष्ट तो होता रहता है। वहां जाने पर सब कष्ट दूर हो जाता है।
मैंने महिला के पति से पूछा..आप क्यों गए थे? क्या मन्नत मांगी थी? पूरी हुई?
पूरी हुई न! तभी तो चादर चढ़ाने गए थे। दरअसल इनको दिमागी बीमारी थी!!!
अब मेरा दिमाग घूम गया। मैं इतनी देर से एक ऐसी महिला से बातें कर रहा हूं जिनका दिमाग खराब था और अब किछौछा शरीफ की दरगाह में मन्नत मांगने से ठीक हो चुका है। अब मैं खूब ध्यान से उसकी हर हरकतों पर गौर करने लगा। पहली बार बात शुरू करते हुए इनका पति से गरजना..हम लोग छः हैं, झूठ क्यों बोल रहे हैं? फिर मुझे मीठी बोली से समझाना/चहकना। महिला अनवरत जारी थी....
अब हम ठीक हैं भाई साहब। कलकत्ते में कालीघाट के पास अपना घर है। इनकी किराने की दुकान है। बहुत बड़ा है हमारा परिवार। ये लोग चार भाई हैं। सभी एक ही घर में रहते हैं। सबके पास अलग अलग कमरा है। हमने अपने बारे में इत्ता सब बताया अब आप अपने बारे में बताइए?
मैं देर तक उन्हें अपने और बनारस के बारे में बताता रहा। आश्चर्य यह लगा कि उन्हें बनारस के बारे में कुछ नहीं पता था! वैसे ही जैसे मुझे किछौछा शरीफ की दरगाह के बारे में कुछ नहीं पता था।
dil ko chuu gaya
ReplyDeleteरोचक यात्रा संस्मरण
ReplyDeletereally love this article
ReplyDeleteसंस्मरण पड़ कर हमें भीआनन्द आया .
ReplyDeleteदीपोत्सव की अनंत मंगलकामनाएं !!
ReplyDeleteतभी तो उनमें चहचहाहट थी
ReplyDeletehey get the list of best tamil movies download website.
ReplyDeleteVery informative article that you share. In future you share more. Thanks for sharing..
ReplyDeleteमेगा जॉब योजना । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बिहार के खगड़िया जिले से करेंगे योजना का शुभारंभ Today News in hindi
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