3.2.17

पचपन साल का आदमी

वरिष्ठ नागरिक होने
और
रिटायर्ड होने की
निर्धारित उम्र
साठ साल होती है
साठ से
पाँच ही कम होता है
पचपन साल का आदमी

समा जाते हैं
हाथ की पाँच उँगलियों में
ख़ास होते हैं
ये पाँच साल
फैले तो जिंदगी
रेत की तरह फिसलती,
भिखारी-सी लगे
जुड़े तो
मुठ्ठी बन जाय!

कभी
अँगूठा या तर्जनी मत दिखाना!
पचपन साल का आदमी
तुम्हारा
अँगूठा देखता है तो
चबा लेता है
अपनी ही चारों उँगलियाँ
तुम्हारी
तर्जनी देखता है तो
गुस्से से पटक देता है
अपने ही मेज पर
मुठ्ठी!

अकेले में
नींद से पहले
छाती पर मूँग की तरह
सोती हैं उँगलियाँ...
अब पाँच साल ही बचे
करनी है
बिटिया की शादी
अब पाँच साल ही बचे
लड़के को
नहीं मिली नौकरी
अब पाँच साल ही बचे
लदा है माथे पर
ढेर सारा कर्ज

कभी अखबार से
कभी
नई सरकार के बजट से
करता है उम्मीद
ढूंढता है...
शादी के रिश्ते,
नौकरी के विज्ञापन,
आयकर में छूट,
युवाओं के लिये रोजगार,
होम लोन की ब्याज दर
और....
पत्नी को खुश करने के लिये
कोई अच्छी खबर

नहीं होती उसके पास
बच्चे की तरह
पूरी धरती
युवा की तरह
पूरा आकाश
या फिर
वरिष्ठ नागरिकों की तरह
जिंदगी का
कोई एक
निर्धारित कोना

सोम से शनि तक
काम से जूझता
बीच-बीच में
ज्ञान बघारता
हा-हा, ही -ही करता
खुद को सही
दूसरों को
गलत कहता
झूठी हँसी हँसता
कभी घर
कभी दफ्तर
सर पर उठाये
देर तक
हाँफता रहता है
पचपन साल का आदमी।

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