सजने लगे
पंडाल
गलियों
में
उत्साहित
हैं बच्चे
गा रहे
हैं झूमकर...
"ए हो!
का हो!
माता जी
की
जय हो।"
बढ़ने
लगी भीड़
मंदिर
में
लगने लगे
मेले
सुनाई
पड़ रहा है भजन..
"या देवी
सर्वभूतेषु
मातृ रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै
नमस्तस्यै नमस्तस्यै
नमो नमः।"
खिलने
लगीं
कुमुदिनियाँ
फूलने
लगे
कास
पियरा चुकी
हैं
धान की
बालियाँ
तैयार है
पकी फसल
गा रहा
है मन...
"मेरे देश
की धरती
सोना
उगले
उगले
हीरे-मोती
मेरे देश
की धरती।"
अच्छा है
सबकुछ
बस भगवान
के लिए
टीवी मत
खोलना !
खोल भी
दिया
तो
समाचार मत देखना !
सुनाई देती हे
वही चीख पुकार...
भ्रष्टाचार, बलात्कार, हाहाकार।
..................................................
...नहीं खोलूँगा जी मगर शहर में और देखूँगा क्या ?
ReplyDeleteबात तो सही है...
ReplyDeleteचारो ओर भ्रष्टाचार ने परेशान कर दिया है..
कुछ दिन मन को शांति दे..
नवरात्री की शुभकामनाएँ...
;-) :-) :-) :-)
चीक पुकार तो बिना टीवी के सुनाई पड़ती हैं....
ReplyDeleteहाँ इन दिनों माता के भजनों ने तसल्ली दे रखी है...
अनु
*चीख
ReplyDeleteसच्ची!!! जाने कबसे खोला भी नहीं....
ReplyDeleteवाह , हमेशा की तरह लाजबाब पांडेयजी।नवरात्र का स्वागत और हालात के खस्ताहाल दोनों का बखूबी चित्रण।
ReplyDeleteसौ प्रतिशत सहमत-
ReplyDeleteकरीना सैफ-
और बदरा सलमान-
जय माँ
नमन -
हाँ सच्ची! बिलकुल नहीं खोलना है टी वी...
ReplyDeleteसमाचार तो देखना ही पडता है काहे कि मै थोड़ा राजनैतिक हूँ न,,,,,
ReplyDeleteनवरात्रि की शुभकामनाएं,,,,
RECENT POST ...: यादों की ओढ़नी
टीवी तो प्रतीकात्मक है। असल बात हालात की अभिव्यक्ति है। आप जैसे कवि हृदय लोग भी राजनीति में है यह सुखद है।
Deleteटीवी... समाचार.. भ्रष्टाचार???? देवेन्द्र जी! क्षमा चाहता हूँ, ये किन वस्तुओं के नाम लिए हैं अपनी कविता में.. कृपया उनके अर्थ कविता के अंत में अवश्य दें ताकि समझने में आसानी हो!!
ReplyDeleteहम तो बस कविता की धुन में रमे "जयंती, मंगला, काली.." पढ़ रहे हैं.. मगन हैं पकी हुई अनाज की बालियों में..
जय दुर्गा मैया की!!
:) आप सब जानते हैं सरकार।
Deleteसत्य से परे सजते हुए पांडाल .....
ReplyDeleteदेवी हैं अंतर्ध्यान
मूर्ति है निष्प्राण
फिर भी मचा है शोर- नमस्तस्यै ....
माताजी की जय हो. :)
ReplyDeleteसमाचार देखें या न देखें, आँखें बंद करने से हकीकत तो नहीं बदलने वाली
ReplyDeleteहाँ, हमारे देश में अच्छा है इतने सारे त्यौहार हैं कि माहौल बदलने का बहाना मिलजाता है।
नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं !!
हकीकत कहाँ बदलती है? समाचार देखे बिना कौन रह पाता है? यह तो टीवी, समाचार के माध्यम से, प्रतीकात्मक रूप से हालात को अभिव्यक्त करने का प्रयास है। हाँ, चैनलों में जो खबर की गदर मचती है, एक ही समाचार को बार-बार आधे-आधे घंटे तक सुनते रहना पड़ता है, लम्बी बहस सुननी पड़ती है, उससे तो मन ऊब ही जाता है। पहले 15 मिनट का समाचार आता था। सभी ध्यान लगाकर सुनते थे। देश-विदेश के सभी महत्वपूर्ण समाचार मालूम हो जाते थे। अब तो एक घंटे टीवी देखो फिर भी पता चलता है कि अमुक समाचार तो छूट ही गया।
Deleteबहुत खूब....|
ReplyDeleteनवरात्री कि हार्दिक शुभकामनाएँ |
सादर नमन |
भ्रष्टाचार, बस? बलात्कार नहीं.
ReplyDeleteसंशोधित कर दिया। अब ठीक है?
Deleteदेवेन्द्र पांडे जी गर खोल लिया टीवी तो सुबहे बनारस का मज़ा जाता रहेगा .चर्चे और चरखे सब जीजाजी के हैं .अभी भी हरीश रावत जी मासूमियत से
ReplyDeleteअशोक खेमका को कह रहें हैं -लोकतंत्र में कौन किसको मरवाता है .मरवा सकता है .बेचारे ने यही तो कहा ,चाहे आप मुझे टर्मिनेट करदो या मरवा दो -मैं
सच को सच कहूंगा .भारत की प्रशासनिक सेवा में होने का मुझे गर्व है ,मेरी निष्ठा इस देश के साथ है किसी सरकार के साथ नहीं है न मैं ने उसकी नीति
के विषय में कुछ कहा है .मेरा काम है नियमानुसार काम करना वह मैं करता रहूँगा .यह वही अधिकारी है जिसके 20-21 साला सेवा में 42 -43 तबादले
हो चुके हैं ईमानदार होने की वजह से .
ज़ाहिर है उन्हें अपनी जान का ख़तरा है .आप कहतें हैं लोकतंत्र में कौन किसको मारता है हम बतलातें हैं -
प्रवीर देव भंज देव ,अलवर के राजा (आपने जोंगा जीप का विरोध किया था ),नागरवाला (आपात काल के दौरान मरवाए गए थे ,माताजी ने 70 लाख
रुपया बैंक से अपने हस्ताक्षर करके निकाला था नागरवाला पुष्टि को तैयार थे .),श्यामा प्रसाद मुखर्जी साहब ,सभी मरवाए गए थे इसी लोकतंत्र में .अब
केजरी -वार (केजरीवाल नहीं
)सरकार के गले की हड्डी बना है .
मैं सुबहे बनारस को रसहीन क्यों बनाऊं ?
सच मैं भी यही करता हूँ ...
ReplyDeleteसही कहा है आपने ।
ReplyDeleteप्रतीकों के माध्यम से आज के हालात बयान करती रचना ....
ReplyDeleteसही कहा आपने ।
ReplyDeleteपहले ध्यान दिया होता इन खबरों को तो आज इनकी बाढ़ सी नहीं आ रही होती इन खबरों की ।
ReplyDeleteहमारे घर के निचे ही देवी का पंडाल बना है बिटिया रानी देखने गई और जोर से कहा देवी बाप्प मोरिया :))
दो बात और कहनी थी अपने ब्लॉग पर ताला लगा दिया है किसी कारन कुछ कॉपी करना हो तो बड़ा मुश्किल होता है दुसरे आप की पिछली पोस्टो को देखना हो तो blog archive नही है उसे कैसे देखेंगे , मुक्ति जी वाली पोस्ट का जिक्र किया है अपनी पोस्ट में बिना आप की आज्ञा के ।
ReplyDeleteआप फीड सब्स्क्राइब करें और मजे से कॉपी पेस्ट करें!
Deleteसजने लगे पंडाल
गलियों में
उत्साहित हैं बच्चे
गा रहे हैं झूमकर...
"ए हो!
का हो!
माता जी की
जय हो।"
बढ़ने लगी भीड़
मंदिर में
लगने लगे मेले
सुनाई पड़ रहा है भजन..
"या देवी सर्वभूतेषु
मातृ रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै
नमो नमः।"....
निरर्थक है ब्लॉग पर ताला लगाना! :-)
Deleteताला तो एक बार जायसवाल जी के विजेट को पढ़कर लगा लिया था। उसमें एक भागता हुआ आदमी भी था। भागते हुए आदमी को तो भगा दिया लेकिन इसे हटाने नहीं आ रहा है। आपने ताला तोड़ने की बुद्धि सिखा कर ताला लगाना तो बेकार ही कर दिया।:) वैसे यह फीड सस्क्राइब कैसे होता है?:)
Deleteअंशुमाला जी, खूब कापी पेस्ट कीजिए, जो मन करे ले जाइये, मेरा कुछ भी नहीं है। सब इसी जगत का अनुभव है। काम का है तो जितना फैले उतना अच्छा।
देवेन्द्र जी
Deleteआप ने खुद ही कहा की थोड़ी खेती बाड़ी आप भी सहेज लीजिये और अपने दरवाजा पर ताला लगाया हुआ है तो कैसे सहेजे :) असल में मुझे मुक्ति जी के फेसबुक की टिप्पणी को आप के ब्लॉग से लेना था जो नहीं ले पा रही थी और उस पोस्ट पर पहुँचने के लिए भी मशक्त करनी पड़ी क्योकि आप के ब्लॉग पर आप की पिछली पोस्टे दिखती ही नहीं है , संभव है तो ब्लॉग आर्काइव भी लगा ले ।
या देवी सर्वभूतेषु, भ्रांति रूपेण संस्थिता...
ReplyDelete....नमो नमः।
Deletehttp://bulletinofblog.blogspot.in/2012/10/blog-post_17.html
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 18-10 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
मलाला तुम इतनी मासूम लगीं मुझे कि तुम्हारे भीतर बुद्ध दिखते हैं ....। .
सोने की जगह पाथर उगल रही है..
ReplyDeleteपता नहीं लोग लाउडस्पीकर लगा कर पूजा क्यों करते हैं !
ReplyDeleteकई महिला ब्लागर टी वी बहुत देखती हैं -मैंने एक को अभी अभी टोका तो उन्होंने कहा हाँ देखती हूँ ! जैसे यह कहना चाह रही हों क्या बिगाड़ लेगें ?
ReplyDeleteकाश आपका उत्सवी सन्देश उन तक पहुँचता तो कितना जन कल्याण होता !
बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही भावनामई रचना.बहुत बधाई आपको .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये
ReplyDeleteटेलीविजन खुल गया है। देख रहे हैं कि एस.पी.सिटी एक लाख की घूस लेते गिरफ़्तार।
ReplyDeleteआपकी सलाह सर माथे पर!
ReplyDelete(वैसे भी ब्लॉग से फ़ुरसत मिले तब ना ...! :))