द़फ्तर जाते हुए
लोहे के घर की खिड़की से
बाहर देखता हूँ
अरहर और सरसों के खेत
पीले-पीले फूल!
क्या यही बसंत है?
भीतर
सामने बैठी
दो चोटियों वाली सांवली लड़की
दरवाजे पर खड़े
लड़कों की बातें सुनकर
लज़ाते हुए
हौले से मुस्कुरा देती है
लड़के
कूदने की हद तक
उछलते हुए
शोर मचाते हैं!
क्या यही बसंत है?
अपने वज़न से
चौगुना बोझ उठाये
भागती
लोहे के घर में चढ़कर
देर तक हाँफती
प्रौढ़ महिला को
अपनी सीट पर बिठाकर
दरवाजे पर खड़े-खड़े
सुर्ती रगड़ते
मजदूर के चेहरे को
चूमने लगती हैं
सूरज की किरणें!
क्या यही बसंत है?
अंधे भिखारी की डफ़ली पर
जल्दी-जल्दी
थिरकने लगती हैं उँगलियाँ
होठों से
कुछ और तेज़ फूटने लगते हैं
फागुन के गीत
झोली में जाता है
हथेली का सिक्का!
क्या यही बसंत है?
द़फ्तर से लौटते हुए
लोहे के घर से
मुक्ति की प्रतीक्षा में
अंधेरे में झाँकते
नेट पर
दूसरे शहर की
चाल जांचते
मोबाइल में
बच्चों का हालचाल लेते
पत्नी को
जल्दी आने का आश्वासन देते
मंजिल पर पहुँचते ही
अज़नबी की तरह
साथियों से बिछड़ते
हर्ष से उछलते
थके-मादे
कामगार!
क्या यही बसंत है?
……………
धन्यवाद।
ReplyDeleteमुबारक हो बसंत एक्सप्रेस का सफ़र
ReplyDeleteaajkal mausam bhi i apne marji ke maalik hain
ReplyDeleteNew post तुम कौन हो ?
new post उम्मीदवार का चयन
बसंत की प्रचलित अवधारणा मन से निकाल कर जो भी शीत से बाहर आता दिखे, उसे बसंत मान लें।
ReplyDeleteजो भी शीत से बाहर आता दिखे, उसे बसंत मान लें..वाह!
Deleteनहीं जी बसंत तो पान बेच रहा है अपनी दुकान में चौराहे वाली :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर बसंत है !!!!
बैचन आत्मा ने बसंत की आत्मा से मिलन करा दिया ...सही चिंतन दर्शन ! बधाई !
ReplyDeleteबसंत के कितने सारे रंग दिखा दिये आपने .....
ReplyDeleteवसंत के कितने-कितने रूप -जब जैसा भाए 1
ReplyDeleteअभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर.
ReplyDeleteबसंत उत्सव का प्रतिक है :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बसंतके अनेक रंगों की प्रस्तुति !!
ReplyDeleteमन में हो बसंत तो कभी और कहीं नहीं होता उसका अंत...
ReplyDeleteजी।
Deleteहाँ --- यही बसंत है !
ReplyDeleteसृष्टि के जिस सौंदर्य से मन की आँखों को सुकून मिले, वही बसंत है
ReplyDeleteबसंत बच्चे की मुस्कान में
माँ जो नज़र उतारती है - उसमें
लड़की के ऊँचे सपनों में
सफलता में
बसंत .... आपकी हर एक पंक्तियों में
सही है।
Delete..आभार।
उत्साह वर्धन के लिए सभी का आभार।
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिवयक्ति।
ReplyDeleteजीवन के विविध रूपों में प्रकट होता बसंत ..... बहुत सुन्दर | हमारे ब्लॉग पर कुछ चित्र आपकी प्रतीक्षा में हैं :-)
ReplyDeleteआदमी को बसंत की अनुभूति होनी बंद हो गई है,नहीं तो प्रकृति बसंत के आने पर विभोर हो उठती है,पेड़ों पर नए-नए हरे-भरे पत्ते निकल आते हैं ,कीड़े-मकोड़े और सांप - बिस्छु जमीन से निकल आते हैं.............अगर बसंत न आये और ठंडा मौसम बना रहे तो सब प्राणी खत्म हो जाएँ.
ReplyDeleteThanks for sharing, nice post! Post really provice useful information!
ReplyDeleteGiaonhan247 chuyên dịch vụ vận chuyển hàng đi mỹ cũng như dịch vụ ship hàng mỹ từ dịch vụ nhận mua hộ hàng mỹ từ trang ebay vn cùng với dịch vụ mua hàng amazon về VN uy tín, giá rẻ.