दिन के शोर में
गुम हो गए
भोर के प्रश्न
अपने-अपने
घोसलों से निकल
फुदकते रहे
परिंदे।
शाम की शिकायत
सुनते सुनते
रात बहरी हो गई
बोलते-बोलते
गहरी नींद सो गए
थके-मांदे
परिंदे।
परिंदों में
काले भी थे
सफेद भी
कबूतर भी थे
गिद्ध भी
लेकिन
सब में एक समानता थी
सभी परिंदे थे
और..
सभी के प्रश्न/
सभी की शिकायतें
सिर्फ पेट भर
भोजन के लिए थीं।
......
गुम हो गए
भोर के प्रश्न
अपने-अपने
घोसलों से निकल
फुदकते रहे
परिंदे।
शाम की शिकायत
सुनते सुनते
रात बहरी हो गई
बोलते-बोलते
गहरी नींद सो गए
थके-मांदे
परिंदे।
परिंदों में
काले भी थे
सफेद भी
कबूतर भी थे
गिद्ध भी
लेकिन
सब में एक समानता थी
सभी परिंदे थे
और..
सभी के प्रश्न/
सभी की शिकायतें
सिर्फ पेट भर
भोजन के लिए थीं।
......
वाह !
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteकविराज के अनुसार संसद रोटी पर बहस चल रही है, सब्र कर!
ReplyDelete*संसद में
Deleteये मुद्दा कभी ख़तम नहीं होगा।
Deleteयथार्थ ! कम शब्दों में बहुत अच्छा चित्रण ।
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteपरिंदों ने माध्यम से बहुत कुछ कह गए आप ...
ReplyDeleteयथार्थ सच सार्थक ...
शुभकामनाएँ ...
ब्लॉग से निरंतर जुड़े रहने और मुझे उत्साहित करते रहने के लिए आभार आपका।
Deleteबहुत बढ़िया !
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteसारी कवायत पेट से, पेट के लिए, लेकिन यह है भरता ही नहीं कभी ......
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
Blog से जुड़े रहने के लिए आभार।
Deleteधन्यवाद।
ReplyDeleteधन्यवाद।
ReplyDeleteग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है जन्माष्ट्मी की हार्दिक शुभकामनाएं...!
ReplyDeleteAwesome article! It is in detail and well formatted that i enjoyed reading. which inturn helped me to get new information from your blog.
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