महाशिवरात्रि के दिन 'बाबा' का दर्शन कर लौट रहा था. सुबह से बारिश हो रही थी और पूरी तरह भींग चुका था. गोदौलिया चौराहे पर एक मित्र मिल गया. वह जानता था कि मैं कविता लिखता हूँ और शतरंज भी खेलता हूँ. वह मुझसे भांग और ठंडाई पीने का अनुरोध करने लगा. मैं घबड़ा गया. बोला, " यह तो संभव ही नहीं है. भांग मुझे सूट नहीं करता." वह नहीं माना, मुझे जबरदस्ती ठंडाई की दुकान पर ले गया. भांग खिलाई, ठंडाई पिलाया और जो कहा वह हू-ब-हू यहाँ लिख रहा हूँ. आशा है आपको मजा आयेगा, बनारस की मस्ती और काशिका बोली से रू-ब-रू होने का अवसर मिलेगा. प्रस्तुत है कविता - भांग में बहुत मजा हौ. आप चाहें तो भांग छानकर भी 'वेलेंटाइन' का मजा ले सकते हैं.
भांग में बहुत मजा हौ
भांग छान के जब लिखबा तs लिखबा ऊँची चीज
जबरी खिलाइब भांग रजा तू हौवा ऊँची चीज
सुतबा तs सुतले रह जइबा उठबा तs नचबा राजा
उड़बा नील गगन में जा के परियन से मिलबा राजा
भांग में बहुत मजा हौ.
खेलबा जब शतरंज तs चलबा घोड़ा साढ़े तीन
हार के पाकिस्तानी भगलन अब पटकाई चीन
तोहरे मन शहनाई बाजी भौजी के लागी बीन
देर रात तक खेलबा तs पटकाई खाली टीन
भांग में बहुत मजा हौ.
लइकन के महतारी तोड़ी तू उनके पुचकरबs
उठा के गोदी बहुत प्यार से उनसे जब ई पुछबs
केकर बेतवा हौवा बोला पापा क कि अम्मा कs
तोहार नाम केहू ना लेई बोलिहैं खाली अम्मा कs
भांग में बहुत मजा हौ. ..
बढ़िया :)
ReplyDelete:)...........
ReplyDeleteRachana mazedar to ab honee hee thee.........
हा हा हा ! भांग में बहुत मज़ा है ।
ReplyDeleteसही कहा है , भाई सही कहा है।
achha......?
ReplyDeleteबाह ..... बहुत मज़ा है भांग मा ..... ऊ तो नज़र आ रहा बा तोहार ब्लॉग मा ......
ReplyDeletebhaang.............
ReplyDeleteasli mazaa khud ke paise se nahi balki maangi hui bhaang se aataa hain.
hain naa, bhaang-maang kaa combination.
haha ha haha
thanks.
www.chanderksoni.blogspot.com
aapki kavita men bhi bhang jaisa maza hai.
ReplyDeleteअभी तक एक ही फ़िल्मी गीत सुन पाया था भंग का रंग जमा हो और पान खा लिया जाये तो जिगर मे झटका लगता है ,आज यह भी जाना कि घोडा साडे तीन घर भी चल सकता है यदि खिलाडी नशे मे हो -पैदल दो दो घर चल सकता है क्योंकि ""भांग घुटे तो ऐसी घुटे जैसे गाडो कीच ,घर के जानैं मर गये ,आप नशे के बीच "
ReplyDeleteजय हो।
ReplyDeleteye bhaang ka rang bhi khoob raha.
ReplyDeleteअरे काहे ललचाये दे रहे हो थोडी भाग हमे भी भेज देते तो पता भी चलता कि क्या मजा है, वेसे हम ने आज तक भाग देखी भी नही, सुनी जरुर है, लेकिन आप की कविता मै भांग का नशा जरुर हो गया.
ReplyDeleteधन्यवाद
लाजवाब! ठंडाई की बात ही निराली है.
ReplyDeleteका्शिका क अन्दाज बहुतै सुहावन हौ !
ReplyDeleteभांग चढ़ गइले पर तऽ सच्चों ऊँची बात ही कहाई !
शानदार । आभार ।
sachmuch bhang me bahut maja hai. mera bhi anubhav aapke jaisa hi hai. achhe kavi our lekhak k liye bhang oushadhi hai.
ReplyDeleteभांग के नशे के नाम से ही और सब नशा कोसों दूर भाग जाता है !
ReplyDeleteमहादेव...महादेव!
ReplyDeleteभागं खाय के बनारस क लन्दन ब्रीज देखला की ना गुरु।
असली बनारस त भांग खाय के लउकयला।
महादेव।
देवेन्द्र जी ,
ReplyDeleteयहाँ पत्ते भी नायिका के ही बदन के थे ...जो उस आग से झुलस कर झड रहे थे .....!!
और भांग का मजा एक बार लिया था ...पता है आसमां में उड़ कर कैसे राजकुमार नज़र आते हैं ....
खेलबा जब शतरंज तs चलबा घोड़ा साढ़े तीन
ReplyDeleteहार के पाकिस्तानी भगलन अब पटकाई चीन
तोहरे मन शहनाई बाजी भौजी के लागी बीन
देर रात तक खेलबा तs पटकाई खाली टीन
vaise to mujhe bhojpuri samajh mein kam hi aati lekin jitna bhi samajh mein aaya bahut achha laga.....
देवेन्दर जी मैं बहुत आभारी हूँ आपका तथा आपके सुझाव का भी , मेरी तस्वीरें भी ब्लॉग पर हों .... मैं जल्दी अमल करूंगा ! आपके ब्लॉग पर आ कर भंग का मज़ा तो लिया ही एक बहुत बेहतर कलमकार से मुलाक़ात भी हुई!बहुत सुंदर रचनाएँ हैं आपकी !बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteवाह! बहुत महीन घुटी है भांग!
ReplyDeleteमहोदय धन्यवाद.
ReplyDeleteरचना बहुत अच्छी लगी. आभार.
बहुत सुंदर रचनाएँ हैं।
ReplyDeleteवाह..लग रहा है एकदम भाँग के नशे में ही बन है यह कविता...बहुत बढ़िया मस्त बनारसी अंदाज...धमाकेदार कविता...
ReplyDeletePee aapne aur maze hamne bhi uthaye!
ReplyDeleteअरे जबरदस्त देवेन्द्र जी....जबरदस्त।
ReplyDeleteहम तो मनाते हैं कि बीच बीच में यूं ही आपको कोई भंग पिलाता रहे और हम यूं ही मस्ती में सराबोर ऐसी रचना से रुबरु होते रहें।
bhang main maja hai? jai bhole baba ki
ReplyDeleteभाँग के नशे में सुंदर रचना करडाली
ReplyDeleteआभार ...........
बहुत सुन्दर पोस्ट
ReplyDeleteआभार ...........
का बात है भाई देवेन्द्र जी| ई त एहारो चढ़ गइल।
ReplyDeleteखेलबा जब शतरंज तs चलबा घोड़ा साढ़े तीन
मजवै आ गइल डाइरेक्ट। बहुत बढ़िया लगल!
सब भोले के नगरी क कमाल हऽ
सादर
गजबै -अभी से !
ReplyDeleteभांग का मजा दूना कर रही है ये उड़ते घोड़े की तस्वीर...
ReplyDeleteसच कहा...]
भांग में बहुत मजा है..
सही पकड़े भाई
Deletedevendra jee
ReplyDeletehamare ghar jo bhee aata hai use VISHVAS jaroor padne ke liye prerit karatee hoo aua aap vishvas wale uncle ban gaye hai............:)