9.10.24

काव्य गोष्ठी

आज आकाशवाणी वाराणसी में एक काव्य गोष्ठी की रिकॉर्डिंग हुई जिसका प्रसारण 14-10-2024 को शाम 10 बजे होगा। गोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार एवं कवि आदरणीय डॉ अत्रि भारतद्वाज, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मुक्ता, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मंजरी पाण्डेय के साथ मुझे भी सहभागिता करने का अवसर मिला। मैने 3 कविताएँ सुनाई... विजयोत्सव, गंगा के तट पर और तीन बकरियां।





25.9.24

काव्य गोष्ठी

19 अगस्त 2023 को आकाशवाणी से प्रसारित काव्य गोष्ठी का यूटूब लिंक है.,...

https://youtu.be/K39UYglFIcA?si=4j1evtq8klKzSdgg

21.9.24

हे भगवान! तेरे कैसे-कैसे नाम!!!(3)

 मूँछ वाले हनुमान जी 

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वाराणसी 'कचहरी' से 'मकबूल आलम रोड' होते हुए 'चौकाघाट' की तरफ जाते समय 'वरुणा पुल' आता है। इसी पुल से ठीक पहले बाईं तरफ यह मन्दिर है। यहाँ 'मूँछ वाले हनुमान जी' विराजमान हैं।

यह भक्तों का प्रेम है जो अपने भगवान को विभिन्न नामों से पुकारता है। किसी भक्त ने सोचा होगा, 'हनुमान जी ब्रह्मचारी थे तो इसका मतलब यह थोड़ी न है कि उनकी मूंछे नहीं होंगी! आखिर कब तक मूंछे नहीं होंगी? इसी प्रश्न ने ऐसे हनुमान जी की कल्पना की होगी जिनकी मूँछ होंगी। भगवान ने भी भक्त की इच्छा पूर्ण करी और इस रूप में विराजमान हो गए। जय हो, मूँछ वाले हनुमान जी की। 🙏

(यह मेरी भक्त रूप में कल्पना है, इस मन्दिर की स्थापना का मूल कारण पता हो तो कृपया कमेंट कर अवगत कराने का कष्ट करें। 🙏)

https://youtu.be/a2UsYZQ29pc?si=IPftv9A1hO9_k-6h

साइकिल की सवारी

आज भोर अँधेरे नहीं, भोर उजाले घूमने निकले। स्नान-पूजा के बाद इत्मीनान से सुबह 5.20 पर निकले जब उजाला हो रहा था। अपनी साइकिल का मन खुश था तो लम्बी दूरी की यात्रा पर चल पड़ी। पाण्डेपुर, चौका घाट तक ट्रैक्टर, भारी वाहन, कार, ऑटो, बाइक के हारन का सामना करना पड़ा। मतलब एक घण्टे देर से चलो तो सड़क पर वाहनों की भीड़ जुट जाती है। ध्वनि, वायु प्रदूषण ने मजा किरकिरा कर दिया लेकिन जैसे ही चौका घाट का चौराहा पार कर शहर में घुसा नजारा बदला-बदला था।

धीरे-धीरे होती है बनारस की सुबह, धीरे-धीरे जागता है शहर। शहर में दुकानें बन्द थीं, वाहन भी बहुत कम चल रहे थे।आराम-आराम से साइकिल चलाते हुए, संस्कृत विश्वविद्यालय, लहुराबीर, चेतगंज, कोदई चौकी पहुँच गया।

दशास्वमेध थाने के सामने से जैसे ही गोदौलिया की ओर मुड़ा, तीर्थ यात्रियों और ई रिक्शा वालों की भीड़ से सामना हुआ। कई प्रकार की आवाजें सुनाई पड़ने लगी। दक्षिण भारतीय महिलाओं को अपने रिक्शा में बिठाने के लिए कोई अम्मा! अम्मा! चीख रहा था, तो कोई यात्रियों को विश्वनाथ दर्शन कराने के लिए बुला रहा था। कोई ऑटो वाला... गेट नम्बर 4, गेट नम्बर 4 चीख रहा था तो कोई भैरोनाथ-भैरोनाथ बोलकर यात्रियों को अपने पास बुला रहा था। 

इस भीड़ में साइकिल चलाना मेरे लिए तो असम्भव था। मैने सब देखते-सुनते, बचते-बचाते गोदौलिया चौराहा पार किया, जब भीड़ कम मिली, फिर साइकिल चलाना शुरू किया। थोड़ी भीड़ सोनारपुरा चौराहा के पास भी मिली। यहाँ बगल में गौरी-केदार का प्रसिद्ध मन्दिर है। यह दक्षिण भारतीयों का इलाका ही है, यहाँ भी अम्मा! अम्मा! का शोर सुनाई दिया। आगे असि चौराहे पर थोड़ी भीड़ फिर शांति। पप्पू चाय की दुकान अभी बन्द थी। लंका चौराहा पार करने के बाद तो स्वर्ग का द्वार ही पार करना हुआ! मधुबन, छात्र संघ भवन, कला भवन, विज्ञान भवन, हिन्दी भवन, वाणिज्य भवन पार करते हुए कब विश्वनाथ मन्दिर पहुँच गया, पता ही नहीं चला। घड़ी देखा तो 6.35 मिनट हुए थे, मतलब 75 मिनट की साइकिल की सवारी हो चुकी थी। आगे का वर्णन वीडियो में है। लिंक...

https://youtu.be/qDXKAyEiy9w?si=O3MZfmWWkfgRLSo6 

शहर के बाहरी इलाकों आशापुर, सारनाथ से चौका घाट चौराहे तक की भीड़ और शहर की भीड़ में काफी फर्क देखने को मिला। बाहरी इलाकों में साइकिल चलाना ध्वनि, वायु प्रदूषण के कारण थोड़ा बोरियत भरा रहा। जबकि शहर में सुबह साइकिल चलाने में कोई परेशानी नहीं हुई। तीर्थ स्थानों पर धार्मिक भीड़ और ऑटो रिक्शा वालों के शोर से कोई परेशानी नहीं हुई, बल्कि उनको देखने में आनंद ही आया। धीरे-धीरे जागता है शहर लेकिन मन्दिर के पास कभी सोता ही नहीं है, हमेशा हँसता रहता है! हर हर महादेव।

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19.9.24

हे भगवान! तेरे कैसे-कैसे नाम!!!(2)

 'खाकी कुटि हनुमान मन्दिर' 

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कपिल धारा, ग्राम कोटवा से राजघाट की ओर बढ़ें तो आगे रास्ते में 'निशात राज द्वार' दिखाई देता है। इस द्वार से लगभग 20-30 मीटर आगे बाईं (लेफ्ट) ओर मुड़े तो लगभग 500 मीटर पर हनुमान जी का एक मन्दिर है जिसका नाम है.. खाकी कुटि।

कुछ दिन पहले पीर बाबा की पुलिया पर स्थानीय निवासी श्री राम गोपाल जी ने इस मन्दिर के बारे में बताया था। आज नमो घाट से लौटते समय मन बना कर चला कि आज तो दर्शन करना ही है। एक राह चलते आदमी से रास्ता पूछा तो उसने सराय मोहाना के सामने से एक पगडंडी वाला रास्ता दिखाते हुए बोला, "आ गयल हउआ! बस सामने लउकत हौ!" साइकिल वहीं ताला मारकर पैदल ही आगे बढ़ा तो रास्ता बहुत कठिन। जब आगे बढ़ना असम्भव दिखा तो भगवान से क्षमा मांगते हुए लौट आया। साइकिल लेकर लौटने लगा तो एक ग्रामीण महिला ने रोककर पूछा, "एहर कहाँ गयल रहला?" हमने जब बताया तो हँसकर बोली, "के तोहें उहाँ भेज देहलस! आगे पक्का रास्ता हौ, तोहार साइकिल आराम चल जाई।" महिला की बात से हिम्मत आई और फिर 'जय हनुमान जी' बोलता आगे बढ़ा और एक दूसरे आदमी के सहयोग से साइकिल चलाते हुए आराम से पहुँच गया। 

वहाँ जब स्थानीय लोगों, पुजारी जी से बात किया तो जाना यह मन्दिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। जिसे मैं 'खाखी खुखी' बोल रहा था वह 'खाकी कुटि' है। रोचक जानकारी यह मिली की इस मन्दिर का निर्माण 'खाखी बाबा' ने किया था। वे केवल खाक (राख) खाकर जीवन यापन करते थे इसलिए लोग उन्हें खाखी बाबा कहते थे। उन्होंने इसी स्थान पर हनुमान मन्दिर बनाया इसलिए यह स्थान 'खाखी कुटि हनुमान जी' के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 

कालांतर में एक नेपाली बाबा भिक्षा मांगते हुए आए और यहीं रहने लगे। उन्होने भिक्षा मांगकर मन्दिर का सिलाब ढलवाया और मन्दिर को बढ़िया बनवाया! यह अचरज की बात है। क्या जमाना था! भिक्षा मांगते हुए आए और भिक्षा मांगकर दूसरे देश में जाकर मन्दिर को बढ़िया बनवा दिया! उनकी बात सुनकर महामना की याद हो आई... उन्होने तो भिक्षा मांगकर पूरा विश्वविद्यालय ही बना दिया था! हमें गर्व करना चाहिए कि हमारे पूर्वज अपने लिए नहीं, अपने समाज के लिए जीते थे। जय 'खाखी कुटि हनुमान जी' की।🙏


यू ट्यूब लिंक...

https://youtu.be/FTfAGlnOHNU?si=XAkDidfxietffKjm 

हे भगवान! तेरे कैसे-कैसे नाम!!!(1)

यह भक्तों का प्रेम है, भोलेनाथ को प्रेम से जो चाहें बुलाएं। चौका घाट से वरुणा पुल की तरफ जैसे ही बढ़ेंगे, यह मन्दिर सड़क पर ही दिख जाएगा। राह चलते, सड़कों पर बने, कई मन्दिर दिखलाई पड़ जाते हैं। इनके नाम मुग्ध करते हैं। भोलेनाथ, संकट मोचन, भैरोनाथ, दुर्गा माई यह सब तो सुने सुनाए नाम हैं। हे भगवान! तेरे कैसे-कैसे नाम!!! इस शृंखला में मेरा प्रयास होगा कुछ नए नाम दिख जांय तो उनको जोड़ा जाय, जैसे यह है... बउरहवा बाबा। 😃
https://youtu.be/LvI0AO-oOMg?si=68Ko3w1Cpyu2L8I2 

13.9.24

हे गणेश


वक्रतुंड महाकाय!

शक्ति दो

कर सकें सवारी

हम भी

चूहे पर।


चंचलता के प्रतीक

चूहे पर 

सवारी करना क्या सरल है?

सवारी क्या

इसे तो पकड़ना ही

कठिन है।


रोटी का लालच दे

कुछ समय के लिए

फंसा तो सकते हो

चूहेदानी में 

लेकिन कब तक?

क्या केवल

एक ही चूहा है 

घर में?

एक को पकड़ा और बाकी

सारी उम्र

ऊधम मचाते रहें!

दूसरे को फंसाने के लिए

पहले को 

छोड़ना ही पड़ेगा।


हत्या कर सकते हो

यह आसान है

जहर की पुड़िया खरीदी

आटे के घोल में मिलाया

और.. 

धोखे से खिला दिया!

क्या फिर 

नहीं आ जाते,

समाप्त हो जाते हैं

पूरी तरह?


चूहे को 

मोदक खिलाकर

खूब मोटाते हुए स्वतंत्र छोड़कर

बुद्धि से 

अपने वश में करके

उस पर 

आजीवन सवारी करना!

यह तो 

गणेश जी ही कर सकते हैं।


हे बुद्धि विनायक!

शक्ति दो

कर सकें सवारी 

हम भी

मन पर।

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