नागपंचमी में दंगल खूब होते हैं
सर्पों को सुनाई नहीं पड़ता मगर वे नाचते हैं, सपेरे की बीन पर!
महुअर भी होते हैं
दो सपेरे
एक दूसरे को मंत्रों से बांधते हैं
एक गिरता है, दूसरा गर्व से सीना ताने अखबार वालों की तरफ देखता है!
दर्शक ताली बजाते हैं
मुझे तो नौटंकी लगती है
मगर बहुतों को आनंद आता है
बेसबरी से प्रतीक्षा करते हैं
कब आएगा
मानसून और
नागपंचमी का त्योहार!
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सर्पों को सुनाई नहीं पड़ता मगर वे नाचते हैं, सपेरे की बीन पर!
महुअर भी होते हैं
दो सपेरे
एक दूसरे को मंत्रों से बांधते हैं
एक गिरता है, दूसरा गर्व से सीना ताने अखबार वालों की तरफ देखता है!
दर्शक ताली बजाते हैं
मुझे तो नौटंकी लगती है
मगर बहुतों को आनंद आता है
बेसबरी से प्रतीक्षा करते हैं
कब आएगा
मानसून और
नागपंचमी का त्योहार!
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ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, यारों, दोस्ती बड़ी ही हसीन है - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteनाग उधर भी और नाग इधर भी :)
ReplyDeleteसुंदर ।
:)
Deleteसुंदर अहसास !!!
ReplyDeleteदेखें तो बता पायें कभी साँपों को नाचते देखा ही नहीं :(
ReplyDeleteये वैसे नहीं नाचते जैसे नाचते हैं मोर.....फन हिलाते है, इधर से उधर, सपेरे की बीन पर, डसने को तैयार।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-07-2015) को "मिज़ाज मौसम का" (चर्चा अंक-2044) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार।
Deleteबहुत खूब..
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteइस बार के महूअर की वीडियो क्लिप बनाकर साझा कीजिये।
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