(१)
स्कूल में
स्कूल में
घोड़े भी थे
लेकिन टाप किया
एक गधे ने।
लेकिन टाप किया
एक गधे ने।
अरे! यह कैसे हुआ?
आप सब जानते हैं सरकार!
.....................
(२)
स्कूल मे
आम के
कई वृक्ष थे
आम के
कई वृक्ष थे
आम
न विद्यर्थियों को मिले
न शिक्षकों को।
न शिक्षकों को।
फिर कौन खाया?
आप सब जानते हैं सरकार!
...........................
(३)
स्कूल में
चपरासी कुर्सी पर बैठा था
बाबू
कक्षा में पढ़ा रहा था
अध्यापक
हिसाब-किताब देख रहे थे
प्रधानाचार्य
फ़ाइल ढूंढ रहे थे.
चपरासी कुर्सी पर बैठा था
बाबू
कक्षा में पढ़ा रहा था
अध्यापक
हिसाब-किताब देख रहे थे
प्रधानाचार्य
फ़ाइल ढूंढ रहे थे.
अरे! सब उल्टा-पुल्टा कैसे?
आप सब जानते हैं सरकार!
................................
(४)
दफ्तर में
जब अधिकारी था
बाबू नहीं
जब बाबू था
अधिकारी नहीं
दोनों थे
मगर फाइल नहीं मिली
दैव संयोग!
एक दिन ऐसा भी आया
जब सभी थे।
जब अधिकारी था
बाबू नहीं
जब बाबू था
अधिकारी नहीं
दोनों थे
मगर फाइल नहीं मिली
दैव संयोग!
एक दिन ऐसा भी आया
जब सभी थे।
तब तो काम हो गया होगा?
अफसोस!
उस दिन साहब का मूड ठीक नहीं था।
उस दिन साहब का मूड ठीक नहीं था।
अरे! तब काम कैसे हुआ?
आप सब जानते हैं सरकार!!!
................................
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (24-06-2016) को "विहँसती है नवधरा" (चर्चा अंक-2383) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद
Deleteब्यंग की बेहद खूवसूरत शैली । बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद.
ReplyDeleteवाह आप भी सब जानते हैं सरकाऱ।
ReplyDelete:)
DeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteबहुत बढ़िया
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