धूप से उज्ज्वल सफ़ेद बाल
गाल
जैसे कश्मीरी सेव
लाल-लाल
मार्निंग वॉक में मिले
एक बहत्तर वर्षीय बुजुर्ग
अपनी धुन में मस्त
तेज थी उनकी चाल !
मैंने छेड़ा...
श्रीमान,
वृद्ध होकर भी आप दिखते हैं जवान !
अपने चिर युवा होने का राज बताइये ?
जरा धीरे चलिए
मुझे यूँ न दौड़ाइए !
अँधेरा छटते ही
बूढ़ा सूरज
चिड़ियों की तरह चहचहाने लगा
सामान्य परिचय के बाद
अपनी कहानी और जीवन दर्शन
हँसते हुए
यूँ सुनाने लगा..
पाँच वर्ष पहले
पत्नी का स्वर्गवास हो गया
अकेला हूँ, विश्वास हो गया.
एक वर्ष पहले
तीसरा सबसे छोटा बेटा भी
अपने दो बड़े भाइयों की तरह
बहू की आँखों का तारा हो गया
अपना घर बसा कर
गृहस्थी का मारा हो गया
देखते ही देखते
बहुत बड़ा हो गया
अपने पैरों पर खड़ा हो गया .
दो बेटियाँ थीं
दोनों की शादी कर दी
अब घर में कोई शोर नहीं है
सर में कोई बोझ नहीं है
प्रभु भजन में कोई रोक नहीं है
सभी मुझे अपने घर बुलाते हैं
मगर मैंने सभी से कह दिया है
यहीं रहूँगा .
बड़ी मेहनत से
तीस साल पहले यहाँ घर बनाया था
इसमें मेरी पत्नी की यादें बसती हैं
इसमें मेरे बच्चों की
मौन किलकारियाँ गूँजती हैं
इसकी हर ईंट
मेरे संघर्ष की सीमेंट से जुडी है
इसे छोड़कर कहीं नही जाऊँगा .
यहाँ हर तरफ मौज ही मौज है
जितना जीना था जी लिया
अब तो हर सांस बोनस है
मैं हर पल
जिंदगी का मजा ले रहा हूँ
ईश्वर को धन्यवाद दे रहा हूँ
अच्छा, अब चलूँ ...!
हर रोज इस मार्ग से प्रवेश करता हूँ ..
नमस्कार !
हाँ, हाँ, जानता हूँ.....
बाग में प्रवेश करने का
वह छोटा और सीधा रास्ता है
मगर आदत से लाचार हूँ
अपने द्वारा निर्धारित मार्ग और सिद्धांतों पर ही चलना पसंद करता हूँ
नमस्कार.....!!
इतना कह कर
मुस्कुराते, हाथ हिलाते,
वे चले गए
मैं अपलक
देर तक
उन्हें जाते देखता रहा .
ठीक वैसे ही
जैसे कोई मझधार में फंसा व्यक्ति
किनारों को
हसरत भरी निगाहों से देखता है.
( चित्र गूगल से साभार )