28.2.10

छाना राजा...

सभी को होली के शुभ अवसर पर भांग की ठंडाई, एक बीड़ा मस्त बनारसी मगही पान और ढेरों शुभकामनाएँ
मेरी कामना है कि आप सपरिवार होली की मस्ती में यूँ डूब जाएँ कि आस पास की लहरों को भी पता न चले.



छाना राजा...

काहे हौआ हक्का-बक्का !
छाना राजा भांग-मुनक्का !

पेट्रोल, डीजल, दाल, बढ़े दs
चीनी कs भी दाम बढ़े दs
आपन शेयर मस्त चढ़ल हौ
आपस में सबके झगड़े दs

देखा तेंदुलकर कs छक्का
काहे हौआ हक्का-बक्का !

रमुआं चीख रहल खोली में
आग लगे ऐसन होली में
कहाँ से लाई ओजिया-गोजिया
प्राण निकस गयल रोटी में

निर्धन कs नियति में धक्का
काहे हौआ हक्का-बक्का !

भ्रष्टाचार बढ़ल, बढ़े दs
शिष्टाचार मिटल, मिटे दs
बीच बजरिया नामी नेता
छमियाँ के रगड़े, रगड़े दs

घड़ा पाप कs फूटी पक्का
काहे हौआ हक्का-बक्का !

38 comments:

  1. 'घड़ा पाप कs फूटी पक्का
    काहे हौआ हक्का-बक्का '

    अंत में आप भी घनघोर आशावादी निकले ...चलिये हमने भी आपके सुर में सुर मिला दिया ! रंग पर्व की अशेष शुभकामनायें !

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  2. काहे हौआ हक्का-बक्का...?
    गजब बनारसी बोली ,इस बार अस्सी कवि सम्मेलन की सात्विक रचनाओं की रिपोर्टिंग की प्रतीक्षा रहेगी.
    मघई पान और बनारसी भंग के साथ ,आपको सपरिवार होली की शुभकामनायें.

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  3. Happy holidevendrajee........
    Gujiya se adhik mithas aapkee rachana kee bhasha me hai .
    hakka - bakka hone ka to thour shuru ho hee gaya hai..........kab tak ?

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  4. होली की बधाई और शुभकामनायें!

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  5. होली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  6. 'घड़ा पाप कs फूटी पक्का
    काहे हौआ हक्का-बक्का '
    -वाह!बहुत खूब!

    ****आपको सपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाये****

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  7. ye raha asli holi geet to..
    इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे..
    ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना..
    लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है..
    कोई बाहर का पक्का रंग लगाना..
    के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये..
    ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये..
    इस बार.. ऐसा रंग लगाना...
    (और आज पहली बार ब्लॉग पर बुला रहा हूँ.. शायद आपकी भी टांग खींची हो मैंने होली में..)

    होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...

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  8. सुन्दर खासकर आपकी भाशा बहुत अच्छी लगी.
    होली की बधाई और शुभकामनाएं.

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  9. बजट, क्रिकेट, भ्रष्टाचार, छमिया सभी को लपेट लिया होली में ..... बहुत अच्छा ......
    आपको और आपके परिवार को होली की बहुत बहुत शुभ-कामनाएँ ...

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  10. कौनो नाहीं हक्का बक्का, सबै लगावे इक्का छ्क्का. होली कौ त्योहार है ही ऐसो कि काहु को असल रूप नायें दीखे, सब रंगन में छुपायलें.

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  11. आदाब देवेन्द्र जी
    आपको परिवार सहित
    होली की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  12. मन मोह लेते हैं आप !
    हक्का - बक्का रह जाता हूँ ...
    ............................................
    भ्रष्टाचार बढ़ल, बढ़े दs
    शिष्टाचार मिटल, मिटे दs
    बीच बजरिया नामी नेता
    छमियाँ के रगड़े, रगड़े दs

    घड़ा पाप कs फूटी पक्का
    काहे हौआ हक्का-बक्का !''
    ................ भगवाल करते कि ई पाप-घड़ा जल्दी से फूटत !
    और यह भी
    कि
    आपका दायित्व-पूर्ण फगुवाना जारी रहे !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
    होली की ढेरों शुभकामनाएं !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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  13. वाह वाह क्या फाग कविता है...
    व्यंग रस बरसा है...
    आपको सपरिवार होली की बधाई!!

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  14. होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाये और ढेरो बधाई.

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  15. होली के पावन अवसर पर लाजवाब प्रस्तुति , आपको होली की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकानायें ।

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  16. आपको और आपके परिवार को होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

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  17. प्रिय देवेंद्रजी ! ,होली पे लिखी आपकी तीनों रचनाएँ बहुत लाजवाब हैं ...दिल बाग - बाग हो गया.जी करता है की इन्हें आप कवि सम्मलेन में पढ़ें और में खूब ताली बाजाऊं.
    मस्त रहिये ,हंसिये-हंसाइये .

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  18. 'घड़ा पाप कs फूटी पक्का
    काहे हौआ हक्का-बक्का
    bahut majedaar rahi ,happy holi

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  19. 'घड़ा पाप कs फूटी पक्का
    काहे हौआ हक्का-बक्का
    ...बहुत खूब !!
    .....होली की लख-लख बधाईंया व शुभकामनाएं !!!

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  20. अरे, ई ठेठ बनारसी बोली तऽ पढ़ै से चूक गयल रहली हऽ !
    पहिले तऽ इहाँ ठिठकै के पड़ल मन में कसक लियाइ के -
    "निर्धन कs नियति में धक्का
    काहे हौआ हक्का-बक्का !"
    बाद में आशा कै रंग सहज कइलस, जब पढ़ली -
    "घड़ा पाप कs फूटी पक्का
    काहे हौआ हक्का-बक्का !"

    फगुनहटी कै जोर देखली इहाँ चभक के ! गिरिजेश भईया के दहिनवार निकलला आप ! आभार !
    होली क बहुत-बहुत बधाई !

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  21. deshaj ka abhinav anupam rang-roop
    kaavya ka pathneey srijan
    aur parivesh ke prati aapki sachet soch
    sb kuchh nayab...
    badhaee
    holi ki mangalkaamnaaeiN.

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  22. भ्रष्टाचार बढ़ल, बढ़े दs
    शिष्टाचार मिटल, मिटे दs
    बीच बजरिया नामी नेता
    छमियाँ के रगड़े, रगड़े दs
    घड़ा पाप कs फूटी पक्का
    काहे हौआ हक्का-बक्का !
    बहुत सुंदर - होली की हार्दिक बधाई

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  23. जबर्दस्त..सर जी...अब समझ आया के काहे कौआ हक्का-बक्का..दिल मोर हो गया!!..शायद राजा से बचे तो जनता को भी भांग मुनक्का छानने को मिले अब होली पर..शान्दार रचना के साथ होली का आगाज करने पर आपको सपरिवार होली की ढ़ेरों बधाइयाँ

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  24. देवेन्द्र जी
    पान का बीड़ा.............बहुत बहुत शुक्रिया.होली के अवसर पर आपकी कविता मन को भाई.....देसी तरीके में लिखी कविता वाकई प्रभावी बन पड़ी है........... क्या बात है........

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  25. वाह भई वाह ,एक नए अंदाज़ की पोस्ट ham to हो गाए padh ke hi hakka bakka
    एक दम मस्त मजेदार ह....हा ..हा , बहुत कुछ कह डाला इतने में ही
    आपको व आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें

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  26. वाह, एक और वाह....... वाह भाई वाह

    उम्‍दा रचना

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  27. खजाने तक देर से पहुँचा बनारसी मस्ती का खुमार और होली का त्योहार दोनों रंगों से भरपूर आपकी यह खूबसूरत कविता...
    हम तो बढ़िया लगाना ही था क्योंकि सब कुछ सीधे सीधे माइंड में जा रहा है..आख़िर बनारसी अंदाज जो ठहरा ....

    देर के लिए माफी दिहअ चच्चा होली क बहुत बहुत बधाई ..

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  28. घड़ा पाप कs फूटी पक्का
    काहे हौआ हक्का-बक्का !
    --
    बहुत दिना से सुनत हई हम
    कहत रहलन हमरो कक्का !

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  29. घड़ा पाप कs फूटी पक्का
    काहे हौआ हक्का-बक्का !
    वाह! क्या कहने !

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  30. घड़ा पाप कs फूटी पक्का
    काहे हौआ हक्का-बक्का !

    वाह!देवेन्द्र जी
    आपको परिवार सहित
    होली की हार्दिक शुभकामनाएं. pls visit krantidut.blogspot.com

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  31. Bahut badiya .Padkar maza aa gaya.

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  32. पेट्रोल, डीजल, दाल, बढ़े दs
    चीनी कs भी दाम बढ़े दs
    आपन शेयर मस्त चढ़ल हौ
    आपस में सबके झगड़े दs


    देखा तेंदुलकर कs छक्का
    काहे हौआ हक्का-बक्का !


    aisa lagta hai jaise kisee ne meree anubhutee ko Awaz de dee hai. kavita ko apne dil ke pas mahshus kar raha hun.
    Badhaee
    Ranjit

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  33. आज मेरी भी आत्मा बेचैन हो रही थी सोचा तो पता चला कि बहुत दिन से आपके ब्लाग पर नही आ पाई। बहुत सुन्दर सकारात्मक रचना है। बहुत बहुत शुभकामनायें

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  34. घड़ा पाप कs फूटी पक्का
    काहे हौआ हक्का-बक्का !
    Oh...kya baat kahi! Kaash aisa ho!

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  35. घड़ा पाप कs फूटी पक्का
    काहे हौआ हक्का-बक्का !
    आमीन!
    वइसे कहवते मे घड़ा फूटत हौ आजकल। काहे से कि पाप क घड़ा अब स्टेनलेस स्टील क बने लगल हौ। थोड़ा बहुत पचकी। बाकी ठोंक पीट के फिर सही हो जाई।

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  36. rang birange rango ki holi ki aapko bhi shubhkaamnaae :)

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  37. भाई इस रचना का ध्वनि प्रभाव तो अद्भुत है । बधाई ।

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