31.8.10

दुश्मन.. !


तड़पता है मेरे भीतर
कोई
मुझसा
मचलता है बार-बार
बच्चों की तरह
जिद करता है
हर उस बात के लिए
जो मुझे अच्छी नहीं लगती।

वह
सफेद दाढ़ी वाले मौलाना को भी
साधू समझता है !
जबकि मैं उसे समझाता हूँ ..
'हिन्दू' ही साधू होते हैं
वह तो 'मुसलमान' है !

वह
गंदे-रोते बच्चे को देख
गोदी में उठाकर चुप कराना चाहता है
जो सड़क के किनारे
भूखा, नंगा, भिखारी सा दिखता है !
मैं उसे डांटता हूँ
नहीं s s s
वह 'मलेच्छ' है।

वह
करांची में
आतंकवादियों के धमाके से मारे गए निर्दोष लोगों के लिए भी
उतना ही रोता है
जितना
कश्मीर के अपने लोगों के लिए !
मैं उसे समझाता हूँ
वह शत्रु देश है
वहाँ के लोगों को तो मरना ही चाहिए।

मेरा समझाना बेकार
मेरा डांटना बेअसर
वह उल्टे मुझ पर ही हंसता
मुझे ऐसी नज़रों से देखता है
जैसे मैं ही महामूर्ख हूँ !

अजीब है वह
हर उस रास्ते पर चलने के लिए कहता है
जो सीधी नहीं हैं
हर उस काम के लिए ज़िद करता है
जिससे मुझे हानि और दूसरों को लाभ हो !

मै आजतक नहीं समझ पाया
आखिर उसे
मुझसे क्या दुश्मनी है!

51 comments:


  1. बहुत बढिया-उम्दा कविता के लिए आभार

    खोली नम्बर 36......!

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  2. @ अजीब है वह
    हर उस रास्ते पर चलने के लिए कहता है
    जो सीधी नहीं हैं
    हर उस काम के लिए ज़िद करता है
    जिससे मुझे हानी और दूसरों को लाभ हो !

    अज़ीबों के कारण ही यह संसार रहने योग्य है। आशा है कि वह अज़ीब ऐसे ही ज़िद करता रहेगा।

    मलिच्छ - मलेच्छ
    हानी - हानि

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  3. वाह!! बेहतरीन!

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  4. राहत ये कि वो मेरे ही भीतर से प्रकटता है और मेरे प्रेम को बिखेर देता है धरती पर ! दुआ ये कि इस दुश्मन को जीवित रहना चाहिये धरती पर जीवन की हर उम्मीद के अंतिम क्षण तक !

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  5. यह अच्‍छी बात है कि आप अपने दुश्‍मन को पहचानते हैं।

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  6. बहुत ही बढ़िया और शानदार रचना लिखा है आपने! लाजवाब लगा!

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  7. वह
    करांची में
    आतंकवादियों के धमाके से मारे गए निर्दोष लोगों के लिए भी
    उतना ही रोता है
    जितना
    कश्मीर के अपने लोगों के लिए !
    मैं उसे समझाता हूँ
    वह शत्रु देश है
    वहाँ के लोगों को तो मरना ही चाहिए।
    Kya baat hai! "Qudrat ne to bakshi thi hame ekhi dharti,Hamne kahin Bharat kahin Iran banaya!"

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  8. bahut bhaavpurn...badhiya kavita...sachmuch dusman to hamaare bheetar hi hai.

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  9. वाज़िब जिद्द करता है वो। बहुत सुन्दर तरीके से आपने आदमी के मन की कशमक्श और आज के हालात मे कैसे वो बिना सोचे समझे इन्सानियत का गला घोंटना चाहता है ,दर्शाया है।
    अजीब है वह
    हर उस रास्ते पर चलने के लिए कहता है
    जो सीधी नहीं हैं
    हर उस काम के लिए ज़िद करता है
    जिससे मुझे हानी और दूसरों को लाभ हो
    लाजवाब अभिव्यक्ति। शुभकामनायें

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  10. आत्मा का मन से विद्रोह!!
    सुंदर भाव प्रतिबिंबित हुए, बधाई!!

    हर उस रास्ते पर चलने के लिए कहता है
    जो सीधी नहीं हैं
    हर उस काम के लिए ज़िद करता है
    जिससे मुझे हानी और दूसरों को लाभ हो

    आत्मा की सुनु या मन की? वाह

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  11. आपके भीतर जो है उसे सलाम कहियेगा... :)

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  12. आपके अन्दर पलती बेचैन आत्मा जीवित है ...काश ऐसा दुश्मन सबके हृदय में बसे ...बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति ..

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  13. मै आजतक नहीं समझ पाया
    आखिर उसे
    मुझसे क्या दुश्मनी है!

    hame ye dushmani achchhi lagi......kaash aisee dushmani har vyakti me ho, aur dushman bhari pad jaye..:)

    behtareen............:)

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  14. वाह...एक संवेदनशील मन के अंतर्द्वंद को बहुत सुंदरता के साथ शब्दों में बांधा है आपने.

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  15. अछ्छी रचना.यैसे दुश्मन से हार जाना चाहिए.

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  16. चलों सभी उस अन्दर वाले बच्चे की मान लें, इस बार!

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  17. एक संवेदनशील मन अछ्छी रचना काश ऐसा दुश्मन सबके हृदय में बसे

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  18. एक विचारोत्तेजक रचना।

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  19. यही समभाव कई लोग नहीं समझना चाहते हैं।

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  20. इंसानी कशमकश की बेहतरीन , लाजवाब , शानदार अभिव्यक्ति।

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  21. बहुत ही उम्दा ... लाभ और हानि को वो क्या जाने जो सच मायने में साधु है ... जो बस साधु होता है हिंदू या मुसलमा नही होता .... बहुत अच्छा लिखा है ...

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  22. वह सचमुच साधु है । उसे बाहर आने दो ।
    बढ़िया अभिव्यक्ति ।

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  23. हई देखिये देवेंद्र जी! ई जनाब को एतना दिन से हम खोज रहे थे अऊर ई आपके अंदर लुका कर बईठे हुए थे... सोचे थे कि अपने पास बुलाकर रखेंगे बाकी अब संतोस हो गया कि ऊ जहाँ भी हैं,हिफाज़त से हैं... खाली एगो रिक्वेस्ट है कि उनको दुस्मन मत बोलिए..हमरे जइसा समझिए उनको.. हम त एही कहकर समझा लेंगे अपनाए आप को कि
    मेरे सीने में नहीं तो, तेरे सीने में सही!

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  24. बेहतरीन और सार्थक रचना ...........

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  25. बहुत ही लाजवाब अभिव्यक्ति.

    रामराम.

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  26. .........!
    कल अली-सा ने मेरे नए ब्लॉग 'आनंद की यादें' में एक, एक क्या, एक मात्र कमेंट लिखा था..
    ...दूसरे ब्लॉग को भी थोड़ी-थोड़ी डोज़ देते रहें वर्ना ...!

    आज मैने उनका आदेश मानकर सुबह यह कविता पोस्ट की और अभी ब्लॉग खोला तो इतने सारे कमेंट देख कर प्रफुल्लित होने के साथ-साथ अचंभित भी हूँ। जिन शुभ चिंतकों को मैं अपने नए ब्लॉग में विगत 10 दिन से ढूंढ रहा था वे अकस्मात यहाँ अवतरित हो गए! जब कि मैने लगातार एक के बाद एक 4 पोस्ट झोंक दिया ! आप में से कुछ वहाँ एकाध बार गए भी तो दुबारा नहीं आए..! आप वहाँ आएं इसी लोभ में इस ब्लॉग में बहुत दिनों से कोई पोस्ट नहीं डाली थी। लेकिन अली-सा का आदेश टाल नहीं सका। कहानी न पढ़ने के पीछे दो ही कारण हो सकते हैं..एक तो यह कि लोग लम्बी कहानी पढ़ना पसंद नहीं करते या फिर दूसरा यह कि मेरा कहानी लेखन बेकार चल रहा है। मुझे सही स्थिति की जानकारी हो तो मैं भी दो में से एक काम कर सकता हूँ.. कहानी लिखनी जारी रख सकता हूँ या बंद कर सकता हूँ। वैसे मेरा मन कहता है..कोई पढ़े या ना पढ़े लिखते रहो!
    आप सभी का सुझाव अपेक्षित है।
    ...इस प्यार और स्नेह के लिए सभी का आभारी हूँ।

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  27. मेरा समझाना बेकार
    मेरा डांटना बेअसर
    वह उल्टे मुझ पर ही हंसता
    मुझे ऐसी नज़रों से देखता है
    जैसे मैं ही महामूर्ख हूँ !
    बहुत उचित कहा आप ने, बहुत सुंदर रचना जी धन्यवाद

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  28. देवेन्द्र जी,
    अगर इस रचना को...
    आपकी सर्वश्रेष्ठ कृति कहा जाए...
    तो अतिश्योक्ति नहीं होगी...
    क्या कुछ नहीं कह गए आप...
    इतना बड़ा संदेश देने के लिए बधाई.

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  29. प्‍यारा दुश्‍मन है वो, उसकी बात मान मेरे दोस्‍त, क्‍योंकि यही मेरा दिल भी कहता है।

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  30. अरे.......अरे.......

    ये आप क्या कह रहे हैं.????

    अपने सबसे करीब और अज़ीज़ दोस्त को आप अपना दुश्मन समझ रहे हैं......!!!!!!

    चलिए, अपने उस दोस्त को दुश्मन समझने के लिए सॉरी कहिये और झफ्फी पाइए यानी गले लगिए.

    फिर, देखना आपको खुद अपनी भूल समझ में आ जायेंगी. फिर, आप उसे अपना सबसे अच्छा, प्यारा, और करीबी मित्र कहेंगे.

    चलिय-चलिए, एक बार मेरे कहे अनुसार उस कथित दुश्मन को सॉरी कह कर गले लगाइए.

    बहुत, बढ़िया.

    धन्यवाद.

    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

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  31. आपका दूसरा ब्लॉग बहुत अच्छा हैं.
    लेकिन, गोपनीयता के कारण और सुरक्षा कारणों से मैं उस ब्लॉग पर कमेन्ट नहीं कर सकता हूँ.
    जिसके लिए मैं आपसे माफ़ी चाहता हूँ.
    (अगर आप कहें तो उस ब्लॉग पर कमेन्ट करने की बजाय मैं आपके इस ब्लॉग पर कमेन्ट कर दूंगा. आप उस ब्लॉग को ना छोडिये, लिखते रहिएगा.)
    धन्यवाद.
    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

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  32. मै आजतक नहीं समझ पाया
    आखिर उसे
    मुझसे क्या दुश्मनी है!
    kitana masoom sawal hai na
    sundar abhvykti ke liye badhai

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  33. आप भी बहस का हिस्सा बनें और
    कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
    अकेला या अकेली

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  34. बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति.

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  35. बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति...

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  36. dushmani na sahi, dushman to samajh liya,
    ek sunder rachna..

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  37. आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !

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  38. aakhiri line buri tarah se hairaan karti hain....



    aakhir use mujh se kyaa dushmani hai.......

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  39. bahut badhiya..
    kripya meri bhi kavita padhi jaay..
    http://pkrocksall.blogspot.com/

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  40. बहुत ही मार्मिक रचना..जैसे कि अंतरात्मा की आवाज!....

    ...जन्माष्टमी के पावन अवसर पर बधाई और अनिको शुभ्काम्नाएं!... उपन्यास के लिए आप शैलेश जी से संपर्क करें!...धन्यवाद!

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  41. बहुत सुन्दर भाव.

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  42. .
    बहुत अच्छा लिखा है ...
    .

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  43. वो निदा फाजली साहब का एक कलाम है न :
    दो और दो मिल कर हमेशा चार कहाँ होतें है,
    इन सोच समझ वालों को थोड़ी नादानी दे मौला !

    सुन्दर भावाव्यक्ति ...

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  44. पांडे जी
    इशारों इशारों में बात बहुत दूर तक ले गए आप..... विचारोत्तेजक कविता लिखने और हम सब तक पहुँचाने का दिली शुक्रिया

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  45. ऐसे दुश्मन सब को नसीब हों, ताकि इंसानियत जिन्दा रहे।
    बहुत अच्छा लिखा है आपने, आभार स्वीकारें।

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  46. अंकल जी आप का लेख बहुत अछा है सच मे अध्यापक एसे ही होने चाहिए।

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  47. he he he he
    ha ha ha ha

    achha vyangya,
    hansi bhi ayi aur soch raha hoon ki vastvikta ko kitne dhang se prastut kiya hai
    badhai...

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