25.12.12

ठीक है!



ठीक है!

नौकरी के लिए
बाप को मारते हैं
छोकरी के लिए
माँ को मारते हैं
और तुम कहते हो
ठीक है!

कहाँ ठीक है?

अब तो करने लगे हैं
चमत्कार!
राह चलते बस में
बलात्कार!
विरोध करो तो
लाठी, पानी की बौछार
और तुम कहते हो ठीक है!

कहाँ ठीक है?

माना कि
तुम्हारे पास भी बेटियाँ हैं
लेकिन तुमने यह नहीं जाना
कि हमारे पास
सिर्फ बेटियाँ हैं
न एसी कार, न सिपहसलार,
ले देकर प्यार ही प्यार है
जख्म मिलता है तो दिखाते हैं गुस्सा
यह गुस्सा नहीं
जरा ठीक से समझो
यह हमारे
आँसुओं की धार है
और तुम कहते हो ठीक है!

कहाँ ठीक है?

ठीक तुम्हारे लिए होगा बाबू
हमारे लिए तो
सब बेठीक है।

ठीक तो तब होगा
जब 'छक्के' भी लगाने लगेंगे 'छक्का'
उखाड़ देंगे तुम्हारी गिल्लियाँ
कर देंगे तुम्हें क्लीन बोल्ड
तब हम कहेंगे..
ठीक है!
हाँ, अब ठीक है।
....................................................................
नोटः अभी तक तो ब्लॉग से फेसबुक में स्टेटस लिखता था आज पहली बार हुआ कि फेसबुक में स्टेटस लिखते-लिखते यह व्यंग्य लिखा गया। लिखा तो सिर्फ 10 मिनट में है लेकिन दर्द तो कई दिनो का है।

27 comments:

  1. हम न समझे थे बात इतनी सी
    ख्वाब शीशे से दुनिया पत्थर की
    :(

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  2. '..कर देंगे तुम्हें क्लीनबोल्ड..'
    - शंखनाद हो चुका है !

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  3. एक एकदम ठीक है .

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  4. 'छक्के' के अलावा सब ठीक है !

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  5. बिल्कुल ठीक कहा

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  6. बहुत खूब ... १० मिनट में ये कमाल है तो जब दिल में आग होगी तो क्या होगा ...
    प्रभावी प्रस्तुति ...

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  7. ये न होता तो
    दूसरा ग़म होना था,
    मैं वो हूँ जिसे हर हाल में ही
    ठीक होना था।

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  8. वाह ......बहुत ही ज़बरदस्त।

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  9. सही है, उनके लिए सब ठीक है लेकिन आमजन के लिए कुछ भी ठीक नहीं है। बहुत ही अच्‍छी रचना।

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  10. काहे नाराज़ हो रहे हैं,
    पूछ ही तो रहे हैं कि ठीक है ? :)

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  11. व्यंग्य से ज्यादा मार्मिक चेतना है ...

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  12. zaayaz aalrosh !

    Aabhar saamyik sarthak lekhan ke liye......

    ek arse blog se tatsth rahee iseese post nahee padee

    samay samay par pichalee saree post padne hai. :)

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  13. .
    .
    .
    तुमने कहा
    अंत में
    ठीक है !

    पर
    किसी को
    लिखना पड़ा
    गर
    यह सब
    रहते तुम्हारे
    भर
    आँखो में
    अश्रु धार
    डर
    रहा है इक
    बेटी का बाप
    भर
    गया जब उसका
    सब्र का बाँध


    तो, बाबू !
    कहीं भी
    यहाँ
    कुछ भी
    ठीक नहीं है...

    कुछ करोगे
    क्या तुम ?


    ...




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    1. शानदार प्रतिक्रिया के लिए आभार।

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  14. बहुत सुन्दर रचना.यहाँ यैसा ही है देवेन्द्र बाबु,ये संसार है और यहाँ कुछ भि ठीक है तो तारीफे काबिल है.

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  15. संजय, रणक्षेत्र में क्या सब ठीक है।

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  16. जो लोग पांडे जी अपनी लौंडियाँ लौंडे गिना रहे हैं पुलिस इनकी रखैल है ये वी आई पी छोकरी छोकरा हैं एक भी आन्दोलनकारियों के बीच होता तो पुलिस की .......जाती .बढ़िया सन्देश प्रसारित करती है नव वर्ष पर्व पर यह पोस्ट .आभार .नूतन वर्ष अभिनन्दन !मूर्खों की कमी नहीं है एक ढूंढोगे हजार मिलेंगे .काठ के बन्दे हैं ये सारे के सारे निर्भाव ,स्पन्दनहीन ....



    3hVirendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 दिमागी तौर पर ठस रह सकती गूगल पीढ़ी
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    3hVirendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 खबरनामा सेहत का

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  17. bhai vakai dhritrashtr hi hain hamare p m .....apki rachana unke theek hai pr karara tamacha hai ....badhai sweekaren .

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  18. आपकी यह प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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  19. हां अब ठीक है.
    बहुत सटीक व्यंग,

    रामराम

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  20. दर्द जायज भी है और व्यंग में ये दर्द दिख भी बखूबी रहा है |

    सादर

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