ठीक है!
नौकरी के लिए
बाप को मारते हैं
छोकरी के लिए
माँ को मारते हैं
और तुम कहते हो
ठीक है!
कहाँ ठीक है?
अब तो करने लगे हैं
चमत्कार!
राह चलते बस में
बलात्कार!
विरोध करो तो
लाठी, पानी की बौछार
और तुम कहते हो ठीक है!
कहाँ ठीक है?
माना कि
तुम्हारे पास भी बेटियाँ हैं
लेकिन तुमने यह नहीं जाना
कि हमारे पास
सिर्फ बेटियाँ हैं
न एसी कार, न सिपहसलार,
ले देकर प्यार ही प्यार है
जख्म मिलता है तो दिखाते हैं गुस्सा
यह गुस्सा नहीं
जरा ठीक से समझो
यह हमारे
आँसुओं की धार है
और तुम कहते हो ठीक है!
कहाँ ठीक है?
ठीक तुम्हारे लिए होगा बाबू
हमारे लिए तो
सब बेठीक है।
ठीक तो तब होगा
जब 'छक्के' भी लगाने लगेंगे 'छक्का'
उखाड़ देंगे तुम्हारी गिल्लियाँ
कर देंगे तुम्हें क्लीन बोल्ड
तब हम कहेंगे..
ठीक है!
हाँ, अब ठीक है।
....................................................................
नोटः अभी तक तो ब्लॉग से फेसबुक में स्टेटस लिखता था आज पहली बार हुआ कि फेसबुक में स्टेटस लिखते-लिखते यह व्यंग्य लिखा गया। लिखा तो सिर्फ 10 मिनट में है लेकिन दर्द तो कई दिनो का है।
हम न समझे थे बात इतनी सी
ReplyDeleteख्वाब शीशे से दुनिया पत्थर की
:(
ये बिलकुल ठीक है |
ReplyDelete'..कर देंगे तुम्हें क्लीनबोल्ड..'
ReplyDelete- शंखनाद हो चुका है !
Aisa hi ho. Amen.
ReplyDeleteMadhuresh
एक एकदम ठीक है .
ReplyDelete'छक्के' के अलावा सब ठीक है !
ReplyDeleteधन्यवाद।
ReplyDeleteबिल्कुल ठीक कहा
ReplyDeleteबहुत खूब ... १० मिनट में ये कमाल है तो जब दिल में आग होगी तो क्या होगा ...
ReplyDeleteप्रभावी प्रस्तुति ...
ये न होता तो
ReplyDeleteदूसरा ग़म होना था,
मैं वो हूँ जिसे हर हाल में ही
ठीक होना था।
वाह ......बहुत ही ज़बरदस्त।
ReplyDeleteबहुत ख़ूब!
ReplyDeleteशायद इसे पसन्द करें-
कवि तुम बाज़ी मार ले गये!
सही है, उनके लिए सब ठीक है लेकिन आमजन के लिए कुछ भी ठीक नहीं है। बहुत ही अच्छी रचना।
ReplyDeleteकाहे नाराज़ हो रहे हैं,
ReplyDeleteपूछ ही तो रहे हैं कि ठीक है ? :)
व्यंग्य से ज्यादा मार्मिक चेतना है ...
ReplyDeletezaayaz aalrosh !
ReplyDeleteAabhar saamyik sarthak lekhan ke liye......
ek arse blog se tatsth rahee iseese post nahee padee
samay samay par pichalee saree post padne hai. :)
.
ReplyDelete.
.
तुमने कहा
अंत में
ठीक है !
पर
किसी को
लिखना पड़ा
गर
यह सब
रहते तुम्हारे
भर
आँखो में
अश्रु धार
डर
रहा है इक
बेटी का बाप
भर
गया जब उसका
सब्र का बाँध
तो, बाबू !
कहीं भी
यहाँ
कुछ भी
ठीक नहीं है...
कुछ करोगे
क्या तुम ?
...
शानदार प्रतिक्रिया के लिए आभार।
Deleteआभार।
ReplyDeleteबेहद सटीक ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना.यहाँ यैसा ही है देवेन्द्र बाबु,ये संसार है और यहाँ कुछ भि ठीक है तो तारीफे काबिल है.
ReplyDeleteसंजय, रणक्षेत्र में क्या सब ठीक है।
ReplyDeleteजो लोग पांडे जी अपनी लौंडियाँ लौंडे गिना रहे हैं पुलिस इनकी रखैल है ये वी आई पी छोकरी छोकरा हैं एक भी आन्दोलनकारियों के बीच होता तो पुलिस की .......जाती .बढ़िया सन्देश प्रसारित करती है नव वर्ष पर्व पर यह पोस्ट .आभार .नूतन वर्ष अभिनन्दन !मूर्खों की कमी नहीं है एक ढूंढोगे हजार मिलेंगे .काठ के बन्दे हैं ये सारे के सारे निर्भाव ,स्पन्दनहीन ....
ReplyDelete3hVirendra Sharma @Veerubhai1947
ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 दिमागी तौर पर ठस रह सकती गूगल पीढ़ी
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3hVirendra Sharma @Veerubhai1947
ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 खबरनामा सेहत का
bhai vakai dhritrashtr hi hain hamare p m .....apki rachana unke theek hai pr karara tamacha hai ....badhai sweekaren .
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteहां अब ठीक है.
ReplyDeleteबहुत सटीक व्यंग,
रामराम
दर्द जायज भी है और व्यंग में ये दर्द दिख भी बखूबी रहा है |
ReplyDeleteसादर