धूप
अभी आई नहीं थी धरती पर
प्यास
अचकचा कर जगी और
दौड़ने लगी
पंछी दाने के लिए
चौपाये
चारे के लिए
मनुष्य
अपने और पालतू पेट के लिए
घरों से निकलने लगे
दूसरे भी नज़ारे थे
कोई तेज-तेज चल रहा था
कोई दौड़ रहा था
और कोई
अजीब-अजीब आवाजें निकालते हुए
रह-रह कर
दोनों हाथ हवा में
लहरा रहा था
यह भूखे-प्यासे की नहीं
खाये, पीये, अघाये लोगों की दौड़ थी
मगर इनमें भी
कोई तृप्त नहीं था
उस प्यास की
कोई एक मूरत होती तो
तस्वीर खींच कर
दिखा देता
मेरे हाथ में कैमरा था
अभी आई नहीं थी धरती पर
प्यास
अचकचा कर जगी और
दौड़ने लगी
पंछी दाने के लिए
चौपाये
चारे के लिए
मनुष्य
अपने और पालतू पेट के लिए
घरों से निकलने लगे
दूसरे भी नज़ारे थे
कोई तेज-तेज चल रहा था
कोई दौड़ रहा था
और कोई
अजीब-अजीब आवाजें निकालते हुए
रह-रह कर
दोनों हाथ हवा में
लहरा रहा था
यह भूखे-प्यासे की नहीं
खाये, पीये, अघाये लोगों की दौड़ थी
मगर इनमें भी
कोई तृप्त नहीं था
उस प्यास की
कोई एक मूरत होती तो
तस्वीर खींच कर
दिखा देता
मेरे हाथ में कैमरा था
मैं मार्निंग वॉक पर था.
दो कैमरे एक साथ चला लेना वाकई में गजब है
ReplyDeleteएक हाथ से एक दिमाग से :)
सुन्दर ।
आभार सर जी।
Deleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteयह प्यास कैमरे में कहाँ कैद होती है, कलम की रेखाओं में ही यह जीती है
ReplyDeleteसही कहा आपने
Deleteआभार आपका
ReplyDeleteज्यादा देखना सेहत के लिए खराब है.... खास कर तब, जब आप सेहत बनाने के लिए मॉर्निंग वॉक पर निकले हों!
ReplyDeleteवाह जी बहुत अच्छे सुबह की सैर में दो दो अलग अलग नज़ारे , क्या बात है भई वाह बहुत बढ़िया देवेन्द्र भाई | गहरी बात
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteअब इसके बाद कहाँ कुछ बाकी रह जाता है दिखाने को... वैसे भी आपका कैमरा ये सब देखने के अलावा भी बहुत कुछ देखता है जो देखने योग्य होता है!
ReplyDeleteप्यास किसके रोके रूकती है ... और अगर केमरा होता तो आप शायद कैद न कर पाते उसे ... तेज़ रफ़्तार है जमाने की प्यास की ...
ReplyDeleteमार्निंग वाक और कैमेरा और फिर आपके कैमरे आँख बहुत तेज है
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी.
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