बाहर
लाख अँधेरा हो
उजाला है
लोहे के घर में
लाख अँधेरा हो
उजाला है
लोहे के घर में
मौन हैं
अंधेरे में डूबे हुए खेत
हलचल है
घर में
अंधेरे में डूबे हुए खेत
हलचल है
घर में
बाहर भी
श्रमिक थे, किसान थे
जब तक
सूरज था
सूरज के डूबते ही
मौन हो गये खेत
श्रमिक थे, किसान थे
जब तक
सूरज था
सूरज के डूबते ही
मौन हो गये खेत
उजाले के साथ
शोर का
अँधरे के साथ
मौन का
गहरा नाता दिखता है!
शोर का
अँधरे के साथ
मौन का
गहरा नाता दिखता है!
मौन थे
बुद्ध भी
जब तक अँधेरा था
बुद्ध भी
जब तक अँधेरा था
अँधेरा हो
तो चुप रहना चाहिये
अँधरे में
परिंदे भी
खामोश रहते हैं
मेंढक, झिंगुर के अलावा
कोई शोर नहीं करता।
तो चुप रहना चाहिये
अँधरे में
परिंदे भी
खामोश रहते हैं
मेंढक, झिंगुर के अलावा
कोई शोर नहीं करता।
कमाल की रचना... शब्दों का जादू...!!
ReplyDeleteमौन के गहन अर्थ होते हैं, सही कहा आपने, शुभकामनाएं।
ReplyDeleteरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
इतने दिनों बाद बेचैन आत्मा को देख चैन आ गयी ..!😊
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteअँधेरे में मौन ही बेहतर .किसी बात का पता न हो तो चुप ही रहना चाहिए
ReplyDeleteअँधेरे में एक रहस्य है और मौन से बड़ा रहस्य क्या हो सकता है..
ReplyDeleteवाह अद्भुत
ReplyDeleteअँधेरे में चुप रहना चाहिए...
ReplyDeleteक्या बात!
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteकमाल है आप गद्य और पद्य दोनों में ही पारंगत हैं और भावों को पढने में भी | रचते जाइए
ReplyDeleteउत्साह वर्धन के लिए सभी मित्रों का आभारी हूँ।
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